________________
ammmmmmmmmmmmmmamawarimmara maw.nuarrammarnamanna
जैनधर्म की उदारता वह चोर और दुराचारी तथा हत्यारा था। फिर भी उसे मुनि दीक्षा दी गई । (योग शास्त्र)
(E) मथुरा में जितशत्रु राजा और काला नाम की वेश्या के संयोग से कालवेशीकुमार हुआ । इस प्रकार व्यभिचारोत्पन्न वेश्यापुत्र कालवेशी कुमार ने मुनि दीक्षा ले ली। ('मथुराकल्प' जिनप्रभसूरि कृत और मुनि न्यायविजयी कृत टीका)
(१०) चाण्डाली के पुत्र हरिकेशी वक्ला ने मुनि दीक्षा ली। उनकी पूजा ऋपि, ब्राह्मण, राजा और देवों ने भी की (उत्तराध्ययन सूत्र)
(११) मथुरा में कुवेरसेना वेश्या से कुवेरदत्त और कुवेरदत्ता नामक पुत्र पुत्री हुये । दैवयोग से दोनों का विवाह हुआ। कुवेरदत्ता ने दीता ली। उधर कुवेरदत्त ने अपनी माता को पत्नी वना लिया! और निमित्त मिलने पर वह भी मुनि हो गया। वेश्या कुवेरसेना ने भी जैनधर्म स्वीकार किया। (मथुरा कल्प)
(१२) मथुरा में जिनदास ने अपने दो वैलों को मरते समय णमोकार मंत्र दिया और उन बैलों ने आहार पानी का त्याग किया। जिससे वे मर कर नागकुमार देव हुये (म० क०) __(१३) पुष्यचूल और पुष्पचूला दोनों भाई बहिन थे। दोनों ने
आपस में विवाह कर लिया। इस प्रकार वे व्यभिचारी बने । फिर भी पुषचूला ने दीक्षा ली और उसने कर्म बंधन काट डाले। (म० क०)
(१४) वस्तुपाल तेजपाल प्राग्वाट जातीय असराज की पत्नी कुमारदेवी के पुत्र थे । कुमारदेवी अन्नहिल पट्टन की विधवा थी। असराज ने उससे पुनर्विवाह किया था । अर्थात् वस्तुपाल तेजपाल विधवा के पुत्र थे। इतने पर भी वस्तुपाल (प्राग्वट जाति) ने