Book Title: Jain Dharm ki Udarta
Author(s): Parmeshthidas Jain
Publisher: Johrimal Jain Saraf

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Page 116
________________ १०६ . जनधम की उदारता पवैया भोपाल, हकीस-पं० बसन्तलालजी जैन झांसी, पं० सुन्दर लालजी जैन वैद्यरत्न, पं० शिखरचन्द्रजी जैन. वैद्य फरुखनगर, पंधनश्यामदासजी जैन शात्री बहरामघाट, परवीन्द्रनाथजी जैन न्यायतीर्थ रोहतक आदि अनेक विद्वानों ने अपनी शुभ सम्मतियां प्रदान की है जिन्हें विस्तार भय से यहां प्रगट नहीं किया है। .: तथा जैन मित्र, दिगम्बर जैन, सुदर्शन, जैन ज्योति, प्रगति • जिन विजय, स्वराज्य, प्रताप, कर्मवीर, नवयुग, बम्बई समाचार, ' जैन, लोकवाणी बादि अनेक पत्रों ने भी मुक्त कण्ठ से जैनधर्म की उदारता की प्रशंसा की है। आशा है कि जैन समाज इस . द्वितीयावृत्ति को प्रथमावृत्ति की अपेक्षा और भी अधिक प्रेम से देखेगी आर जैनधर्म की उदारता को अपने आचरण में उतारने मा .. ' -प्रकाशक ला . पुस्तक मिलने पते-- १- जा० जौहरीमल जी जैन सर्राफ बड़ा दरीबा, देहली। २- दिगम्बर जैन पुस्तकालय सूरत, (हिन्दी और गुजराती) ३-जैन साहित्य पुस्तक कार्यालय, हीरा बाग--बम्बई । ४-श्रीधर दादा धावते--सांगली ( मराठी.)। गयादत्त प्रेस, बाग दिवार देहली में छपा :

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