Book Title: Jain Dharm Kya Hai
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 5
________________ है जो अगाध नौवन और किसी न किसी रूपमें वाम्ननिक भानंदना अभिलागी न हो। धर्म ही एक ऐसा विज्ञान है जो इसकी दवा है | धर्मरे ही हमें वह सुख और आनंद गिल सक्ता है जिसके लिए प्राणीमात्र लालायित हो भटक रहे हैं। परन्तु विम्गय है कि रितने ही प्रचलिन धर्म कंबल आनाओं और निरर्थक गुप्त समन्यायों पुराणादिकका निरूपण कर ही नुप दो रहे हैं जब कि उनके स्थानमें वैज्ञानिक ढंगनी आवश्यक्ता है । यह पहिले ही दर्मा दिया है कि विज्ञान (Scit.nce) ही एक ऐसा माधन है कि नियरे शंकाएं शीघ्र और निधीनिरूपमें दूर कर दी जाती हैं और इच्छित पदार्थकी सिद्धि हो सकी है। जैन धर्ममें अन्य धर्मास यही विलक्षणता है कि यह एक शुद्ध .

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