Book Title: Jain Dharm Kya Hai
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 11
________________ इस ज्ञानके मुग्थ्य सात ग्राह्य-आवश्यकीय पदार्थ हैं, जिनको नागनमें तत्व कहते हैं। ये इस प्रकार हैं (१) जीतव्य अथवा चेतन पदार्थ अर्थात जीव तत्य (२) अचेतन अर्थात् अनीव तत्व (2) आश्रयतत्व अर्थात् आत्मामें पुगलका आना (४) बंध तत्व (६) संबर तत्व (६) निरा और (५, मोक्ष तत्व । इनकता विशेष वर्णन निम्न प्रकार है: (१) जीव तत्व एक मीतव्य पदार्थ है और यह वास्तवमें परमोष्ट चेतना म्वरूप है। उसकी उत्ति किसी दृष्टि से भी पुगलसे नहीं है । म्यभावतः जीव तत्व सर्वदर्शी और सर्वानन्द पूर्ण है तथा अपरिगति अतुल और अक्षय बल-वीय संयुक्त है । जैसे अन्य सर्व पदार्थ अनादिनिधन है जैसे ही जीवतत्व है। यह

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