Book Title: Jain Dharm Darshan Part 01
Author(s): Nirmala Jain
Publisher: Adinath Jain Trust

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Page 64
________________ सीप जलो धान् हो फूल शंख • बेइन्द्रिय सब्जी चंदनक पत्त अलसीयो फल बीज घन फल प्रत्येक वनस्पति के 2 भेद TRILOK क्रोस्ट 5. वनस्पतिकाय जीवः- जिन स्थावर जीवों का शरीर ही वनस्पति है, वनस्पति के 2 भेद :- प्रत्येक, साधारण 1. प्रत्येक वनस्पतिकाय :- जिनके एक शरीर में एक जीव हो फल, फुल, छाल, थड, मूल, पत्ते, बीज आदि। 2. साधारण वनस्पतिकायः- जिनके एक शरीर में अनंत जीव हो । भूमि के भीतर पैदा होनेवाले सर्वप्रकार के कंद, बीज से निकलते हुए अंकुर, कूंपल, पांच रंग की नीलफूल, काई जो जल के ऊपर छाई रहती है, भूमि विस्फोट सफेद रंगी की छत्राकार वनस्पति, आर्दत्रिक - हरी अदरक, हल्दी, कचूरा, छोटी-बड़ी गाजर, नागरमोथा, बथुआ की भाजी, छोटी मोगरी, पालक की भाजी, सर्वप्रकार के बीज, कोमल फल, कुवार पाठा, थूर की जाति, गूगल, नीम गिलोय आदि साधारण वनस्पतिकाय जीव के भेद है। इस प्रकार संपूर्ण स्थावर जीव के बाईस भेद है। त्रस जीव बेन्द्रिय जीव :- जिनको स्पर्श (शरीर), रस (जीभ) यह दो इन्द्रियाँ होती है। शंख, कोडी, गींडोले (बड़े कृमि), जलोख, चंदनक (अक्ष), अलसिया, केचुए, लालीया (बासी रोटी वगेरे में उत्पन्न होते हैं), कृमि, पूरा, काष्ठ के कीड़े घुन, चुडेल । फल - कांदा मूली कान खजूरा, खटमल, कीड़ी, उदेही, कृमि लट्ट, मकोडे, घीमैंल (जो खराब घृत में पैदा होती हैं) सवा (मनुष्य के शरीर के अंगों में पैदा होनेवाले कीड़े) चिंचड, गोकीड (गाय कौडी आदि के शरीर में चिपक कर रहते हैं ) चोर कीड़े (विष्ठा के कीड़े) गोमय (गोबर में पैदा होते हैं), धान्य के कीड़े, कुंथुआ, गोयालिका, इलिका, इन्दगोप (मखमली लाल रंग के जीव वर्षा में पैदा होते हैं।) 58 गाजर शवाल साधारण वनस्पति के 4 भेद बटाटा चउरिन्द्रिय जीव :- जिनको स्पर्श, रस, घ्राण, चक्षु (आँख) ये चार इन्द्रियाँ होती है। इन्द्रिय जीव • जिनको स्पर्श, रस, घ्राण (नाक) यह तीन इन्द्रियाँ होती है। : तेइन्द्रिय ********* खटमल जूँ गोकल गाय चींटा चींटी इल्ली होती ही हो तो में

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