Book Title: Jain Bauddh Aur Gita Me Karm Siddhant
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Prakrit Bharati Academy

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Page 125
________________ 5. तत्त्वार्थसूत्र, ६/१-२ 6. वही, ६/३-४ वही, ६/५ तत्त्वार्थसूत्र, ६/६ नव पदार्थ ज्ञानसार, पृ० १०० 7. 8. 9. 10. सूत्रकृतांग, २/२/१ 11. (अ) समवायांग, ५ / ४; (ब) इसियभासिय, ९ / ५ ( स ) तत्त्वार्थसूत्र, ८ / १ 12. समयसार, १७१ 13. उत्तराध्ययन, ३२/७ 14. समयसार, १५७ 15. संयुत्तनिकाय, ३६/८, ४३/७/३, ४५/५/१० देखिये- बौद्ध धर्मदर्शन, पृ० २४५ 16. धम्मपद, २९२; 17. मज्झिमनिकाय, १/१/९ 18. संयुत्तनिकाय, २१ / ३ / ९ 19. अंगुत्तरनिकाय, ३/३३ ( पृ० १३७) 20. वही, ३/३३ 21. बौद्ध धर्मदर्शन, पृ० २५ 22. (अ) गीता, १६ / १०; (ब) गीता (शां०), १६ / १० 23. गीता, १४ / १३, १४/१७ 24. वही, १८/१५ 25. वही, १६/५ 26. वही, १६/४ 27. वही, १६ / १० 28. गीता, १६ / १६ 29. गीता, ७/२७; गीता ( शा० ), ७/२७ 30. योगसूत्र, २/३ 31. नीतिशास्त्र, पृ० ६३ 32. कर्मग्रन्थ, भाग-२, पृ. ५१ (देखिए - स्टडीज इन जैन फिलासफी, पृ. २३५ से २३९) 33. कर्मग्रन्थ, भाग - २, पृ. १२१ 34. उत्तराध्ययन, ३३ / २३ 35. (अ) कर्मग्रन्थ, १ / ५४ ( ब ) तत्त्वार्थसूत्र, ६ / ११ [118] जैन, बौद्ध और गीता में कर्म सिद्धान्त

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