Book Title: Jain Bal Bodhak 04 Author(s): Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha Publisher: Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha View full book textPage 3
________________ सुलभजनप्रथमाला नं. १०: श्रीपरमात्मने नमः । जैनबालबोधक चतुर्थ भाग । जिसको : सर्वसाधारण जैनी बालकोंके हितार्थ सुजानगढ निवासी : पन्नालालजी वाकलीवाल दिगंबरीजैनने संग्रह किया। और कलकत्तास्थ - भारतीय जैन सिद्धांतप्रकाशिनी संस्थाने अपने १. विश्वकोषलेन स्थित जैन सिद्धांतंप्रकाशक पवित्र प्रेस में श्रीलाल जैन काव्यतीर्थ प्रबंम से छपाकर प्रकाशित किया । प्रथमावृत्ति वी. नि. २४४९ { मूल्य एक रुपया दो आनेPage Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 ... 375