Book Title: Jage So Mahavir Author(s): Chandraprabhsagar Publisher: Jityasha Foundation View full book textPage 6
________________ प्रस्तुति 'जागे सो महावीर' पुस्तक में पूज्य श्री चन्द्रप्रभ द्वारा एक ऐसे महापुरुष पर दिये गये पावन प्रवचन हैं, जिन्होंने अपने जीवन में अहिंसा, अनेकान्त और अध्यात्म की सर्वोच्च ऊँचाइयों का स्पर्श किया। महावीर समय, सम्प्रदाय या व्यवस्था से जकड़ा हुआ नाम नहीं है । यह उस दिव्य चेतना को दिया गया सम्बोधन है जिसने जीवन, जगत और अध्यात्म के गूढ़ रहस्यों को समझते हुए मानव मात्र के लिए श्रेष्ठ जीवन जीने का मार्ग प्रशस्त किया । प्रस्तुत प्रवचन हमें इस सत्य का अहसास कराते हैं कि महापुरुष और उनके अमृत वचन सार्वकालिक और सार्वजनीन होते हैं । उनकी उपयोगिता उनके समय में भी होती है और हर आने वाले वर्तमान में भी । जो कोई भी अपने जीवन को सरलता और सजगतापूर्वक जीता है वह अपने जीवन में महावीर की चेतना को आत्मसात कर सकता है। श्री चन्द्रप्रभ की यह टिप्पणी बड़ी सटीक है 'जो जागृत हैं वे महावीर हैं, जो सोये हैं सब कुंभकरण हैं ।' ―― जीवन में दीप-शिखा की तरह हमारा मार्गदर्शन करने में समर्थ प्रस्तुत ग्रन्थ स्वयं ही जीवन का एक शास्त्र है। विशिष्ट सूत्रों पर दिये गये विशिष्ट प्रवचन हमारे लिए किसी अमृत तुल्य औषधि का काम करेंगे। श्री चन्द्रप्रभ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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