Book Title: Hindi Granthavali
Author(s): Dhirajlal Tokarshi Shah, Bhajamishankar Dikshit
Publisher: Jyoti Karayalay

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Page 6
________________ है, तथापि प्रसंगवशात् इतना कहना उचित प्रतीत होता है। ___आज से, कुछ वर्ष पहले, छपाई की कला का प्रचार न था। किन्तु, उस समय ये बातें, सम्भवतः जनसमाज में अधिक फैली हुई थीं। इसके अनेक कारण हैं। जीवन-संग्राम, जटिल न होने के कारण, व्याख्यान आदि शान्तिपूर्वक सुने जाते थे । पुस्तकें, यद्यपि कम होती थीं, किन्तु उन्हें ध्यानपूर्वक पढ़ा जाता था। अवकाश के समय ये कथाएँ मित्र-मंडली में कही जाती थीं। सुधरी हुई माताओं के बच्चे, शायद ही कहीं ऐसे होते हों, कि जिन्हें माता की भक्तिपूर्ण तथा मीठी-वाणी से इन महान्-व्यक्तियों के उत्तम-चरित्र श्रवण करने का सौभाग्य न प्राप्त हुआ हो । लेखक को तो इसका अपूर्व-लाभ प्राप्त हुआ है, तथा अन्य मनुष्यों को भी इसी प्रकार का लाभ प्राप्त करते देखा गया है। किन्तु, जीवन-पथ की दिशा बदल जाने के कारण, आज की माताएँ, धर्म-संस्कार से दूर होती जाती हैं। अपने धर्म तथा महा-पुरुषों के जीवन का जिन्हें काफी ज्ञान हो, ऐसी महिलाएँ बहुत कम संख्या में दिखाई देती हैं । यही कारण है, कि आज की सन्तान को, अपनी इस अमूल्य पैतृक-सम्पत्ति से वंचित रहने का अवसर आया है। यह परिस्थिति सर्वथा असह्य है । जब बालकों के सम्पर्क में आने पर मुझे यह विदित हुआ, कि महान्-से-महान्

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