Book Title: Hindi Granthavali Author(s): Dhirajlal Tokarshi Shah, Bhajamishankar Dikshit Publisher: Jyoti Karayalay View full book textPage 5
________________ ही दिया गया है - अर्थात् इन रस को कभी प्रधानता नहीं दीगई । इन कथाओं का उद्देश्य, मनुष्य-जीवन में रहनेवाले कषाय की अग्नि को शान्त करके, महान् - अमृत - आत्मज्ञान रूपी अमृत—का रस चखाना है, जिसमें उन्हें काफी सफलता मिल चुकी है । “ भिन्न–भिन्न स्थलों पर रहनेवाले मनुष्यों को, कथाओं के भिन्न-भिन्न स्वरूपों द्वारा ही शिक्षा दी जा सकती है " इस महान्—सत्य को दृष्टि में रखकर ही इन कथाओं की रचना की गई है। इनमें केवल वास्तविकता की खोज के लिये मंथन करनेवाले, अनेक साहित्यिक - मनुष्यों को, असंभव–कथाएँ, केवल अर्थहीन तथा अनावश्यक प्रतीत होती हैं । किन्तु, वे यह बात भूल जाते हैं, कि आजकल भी, वास्तविकता के महान् - पुजारी पाश्चात्य - देशों में, पहले भूमिका के लिये उप-वार्ताओं का स्वतन्त्रतापूर्वक उपयोग किया जाता है । सारी कथाएँ वास्तविक ही होनी चाहिएँ, यह कोई आवश्यक बात नहीं है । कल्पना - शक्ति का, स्वतंत्रतापूर्वक उपयोग करने मात्र से, कथा लिखने का महत्व किंचित् भी कम नहीं होता। बल्कि, जिस उद्देश्य से लेखक कथा लिखता है, उस उद्देश्य को पुष्ट करने के लिये वह काफी कल्पना-शक्ति का उपयोग करता है, जिसके फलस्वरूप कथा का महत्व अधिक हो जाता है । यद्यपि, इस विषय की चर्चा करने का स्थान यह नहींPage Navigation
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