Book Title: Hemchandracharya ni Agam vani
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: ZZ_Anusandhan

View full book text
Previous | Next

Page 9
________________ १८ अनुसन्धान-५४ श्रीहेमचन्द्राचार्यविशेषांक भाग-२ आत्मा ओक क्षण माटे पण ज्ञानविहोणो सम्भवतो नथी, माटे आ प्रक्रियानो कोईने कोई तबक्को आत्मामां हरहमेश प्रवर्तमान होय छे.' मतिज्ञानोत्पत्तिनुं प्र.मी.गत वर्णन सौ प्रथम द्रव्यात्मक के भावात्मक इन्द्रियोनो३ पोताना विषय साथे, अप्राप्यकारी इन्द्रियोमा 'अनतिदूर-अव्यवहित देशमां विषय- होवू, ओना प्रत्ये ध्यान जर्बु' व. रूप वैज्ञानिक अने प्राप्यकारी इन्द्रियोमा संयोगात्मक वास्तविक सम्बन्ध-'अक्षार्थयोग' स्थपाय छे. आ सम्बन्धने लीधे अर्थ अने ज्ञानमां विषय-विषयिपणानी योग्यता जन्मे छे, के जे ज्ञानोत्पत्तिनी प्रक्रियाने शरू करे छे. आ प्रक्रिया आगळ वधतां ज्ञानमां ओक तबक्के 'कंइक छे' ओवो भास थाय छे. आटली मात्रावाळु ज्ञान वस्तुना सामान्याकारने ज विषय बनावे छे, विशेषोने नहीं; तेथी 'दर्शन'५ तरीके ओळखाय छे. आ दर्शन ज ज्ञानमात्रानी क्रमशः वृद्धिथी अन्तर्मुहूर्तकाळे 'आ शब्द छे' अवा अवग्रहरूपेष परिणमे छे. अवग्रह अन्तर्मुहूर्तकालीन होय छे. अहींथी अर्थनो सम्यक् के असम्यक् निश्चय थवानी शरुआत थती होवाथी ज्ञान 'प्रमाण' के 'अप्रमाण' तरीके गणावानुं चालु थाय छे. अवग्रह पछी 'आ अवाज शंखनो हशे के नगारानो ?' आवा प्रकारनो संशय पेदा थाय छे अने तेने लीधे 'अवाज ओकधारो आवे छे, माटे शंखनो होय, नगारानो नहीं' आवी विचारणा प्रवर्ते छे. संशय अर्थनिर्णयात्मक नहीं होवाथी प्रमाणना भेदोमां अनी गणतरी नथी थती. थयेली विचारणा-ईहाने अन्ते 'आ शंखनो अवाज छे' आवो निश्चय१. मतिज्ञान माटे जरूरी क्षयोपशम-प्रक्रिया माटे जुओ ज्ञानबिन्दु - परि. ८-१३ २. प्र.मी. (सटीक) - १.१.२६-२९ ३. द्रव्येन्द्रिय अने भावेन्द्रियना स्वरूप माटे जुओ तत्त्वार्थ - २.१७-२० ४. 'कंइक छे' ओ प्रतीतिमां फक्त वस्तुगत सत्त्व ज भासित थाय छे, माटे अने महासामान्यनी ___ ग्राहक मानवामां आवे छे. ५. कोई व्यक्तिने घणा वखत पछी मळीए तो आपणे बोलीए छीए-"में एने जोयो(=दर्शन थयु), पण ओळख्यो नहीं (=ओ व्यक्ति रूपे ज्ञान न थयु.)" आमां दर्शन शब्द जे सामान्य प्रतीति सूचवे छे, तेवो ज भाव अहीं होई शके. ६. दर्शन अने अवग्रहमां तफावत माटे जुओ त.वा. - १.१५.१३ ७. ईहा अने ऊहमां तफावत माटे जुओ प्र.मी. १.१.२७ टीका

Loading...

Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29