Book Title: Hasta Sajjivanama
Author(s): Meghvijay
Publisher: Mohanlalji Jain Granthamala Indore

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Page 296
________________ (३०) दीक्षा रेखा तर्जनी आंगलिना नीचे होय छे. अनामिका आंगलिना पेला पर्वमां वांकी रेखा होय तो धनने आपनारी थाय, अने ऊर्ध्व रेखा होय ती धर्मरेखा समजावी, अन आ रेखा जो मध्यमां आंगलिमां होय तो आनाथी विपरित फल समजवु-तेनामां अधर्मपणु तथा दरिद्रपणु प्राप्त थाय. तर्जनी आंगलिथी लइने त्रिवेणी आयु पितृ मातृ रेखाना मध्यमां जे रेखा होय ते माणासनु समाधि मृत्युथाय. ज्येष्टा तथा अनामिका आंगलिनी मध्यमांथी नीकलीने आयुरेखानी पासे गयेली रेखाने व्रतरेखा कहेवामां आवे छे; अने आवी रेखा जेने होय ते माणास, व्रत, तपस्या, संयम, यात्रा विगेरे करवावालो थाय, अने आव्रत रेखा त्रण चार होय तो तेने धर्म रेखा समजावी. अने आ रेखानी उपर जो वांकी गयेली रेखा होय तो तेने भीक्षा रेखा समजवा. आ रेखा मां कोइ जातनी फाडन पडेली होय तथा लांबी होय, तो तेने सर्वत्र भीष्टान्न मले. जेना हाथमां कनिष्टा आंगलिनी नीचे, दीक्षा रेखा होय तो ते वाचनचार्य, अने अनामिका आंगलिनी नीचे रेखा होय तो उपाध्याय, अने कनिष्टा आंगलिथीथी नीकलीने मध्यमांगुलि सुधी गयेली होय तो आचार्य थाय। जेना जमणा हाथमां पितृरेखा तथा धनरेखा त्रिवेणी (आयु मातृ पितृ) थी मलेली होय तो तेने गृहबन्धन रेखा जाणावी, अने न मलेली होय तो गृहबन्धन न होय समजवू. · हाथमा जे पूर्वसमुद्रबतावमां आवेल छे त्यांथी नाकलीने कारभनीपासे गयेली रेखा त्रिवेणीनी मध्यमां जो बीजी रेखा होय तो ते माणासने भूतना प्रवेश होय अथवा सन्निपात थाय, तथा सूतिकाना स्थानमां अधोमुखी रेखा होय तो तेने हर्ष रेखा कहेवामां आवे छे. अने ते रेखामां भेद होय तो भगंदर रोग थाय, अने न होय तो नपुंसक थाय, जेना गुह्य "Aho Shrutgyanam"

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