Book Title: Hasta Sajjivanama
Author(s): Meghvijay
Publisher: Mohanlalji Jain Granthamala Indore
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( ४९ )
पहेलो वेढो लांबो. भरावदार अने गुरु चंद्रना स्थान पुष्ट होय तो साक्षर, साहित्यज्ञानी होय छे.
झवेरी - जेना हाथनी भांगळीओ लांबी, शुक्र, रवि अने बुधनां स्थान भरावदार होय ते झवेरी थाय छे.
सट्टा खेलनार - मंगळ शुक्रनां स्थान भरावदार अने गुरुनुं स्थान उंचु, सुर्यनी मांगळी लांबी; हाथ गोळाकार, मस्तक रेखा सुधी होय ते सट्टा खेलनार बने छे.
आंधळानुं लक्षण - बुधना स्थान नीचे अंतःकरण रेखा उपर तारो होय अथवा शुक्रस्थाने जाळी चिन्ह होय तो अंघापो प्राप्त थाय छे.
सदा रोगी-आंगळीओना पहेला वेढा उपर नानी नानी वधारे रेखाओ होय अथवा शिररेखा उपर काळा डाघ होय अथवा आयुष्य रेखा उपर टापु, क्रोस, व्रत, समकोण विगेरे चिन्ह होय तो हंमेश रोगी रहे छे.
हिस्टीरीआ -- आंगळीओ वांकी अने जुदी रहेती होय अने नीचेना ग्रह मंडळो दबाओला देखाय तो मृगी रोगी (होस्टीरीआ) बने छे.
क्षय ( यक्ष्मा ) - - मस्तक रेखा शनिनी आंगळीनी नीचेथी बुधनी आंगळीनी नीचे सुधी पांखदार रेखानी आकृति होय तो अथवा बुधनी रेखा उपर नाना टाणुओ देखाय नख फाफडा जेवा मोटा होय तो क्षयरोग थाय छे.
पक्षाघात – शनिस्थान उपर ताराओ अने हृदय रेखा उपर आडी रेखाओ होय तो पक्षाघातनो रोग थाय छे.
पेट अने छातीनां दरद- आवरदानी रेखा उपर टापुओ होय तमांथी शाखाओ नीकळीने गुरुना स्थानपर जती होय तो छातीमां के पेट अथवा पांसळीमां दरद थाय छे.
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दिवानां, गांडपण के उन्माद--- चंद्रस्थानपर कोस होय, चंद्रस्थान नरम अने नाचुं होय अने शनि स्थान बरोबर न होय अने मध्यम अंगुली
"Aho Shrutgyanam"

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