Book Title: Hasta Sajjivanama
Author(s): Meghvijay
Publisher: Mohanlalji Jain Granthamala Indore

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Page 317
________________ ( ५१ ) मयुरनुं चिन्ह होय तो विमानमां बेसणार के चलावनार होय अथवा कोकील जेवो मधुर अवाज होय, नाटकी काम करनार बने, यशस्वी नीवडे. धनुष्य के छत्री होय तो क्षत्रीरणं दाखने छे, शुरातनी होय, पण पादतलमां कोस के तारक चिन्ह होय तो युद्धमां मृत्यु थाय अथवा जंगलमां मृत्यु थाय छे. दरेक आंगळी ओमां शंखनां चिन्ह भाग्यशाळीने होय. अंगुठो लांबो अने मोटो होय तो भाग्यवान, धनवान होय, अंगुठो नानो होय तो स्त्री मरी जाय, घरभंग थाय, बीजी आंगळी अंगुठा बरोबर लांबी “होय तो सारी गणवी, टुंकी होय तो निर्धन थाय, दुःखी थाय; त्रीजी आंगळी तदन टुंकी होय तो निर्धन थइ बेआबरु बनीने मरे, चोथी नानी होय तो भोगविलास सारा भोगवे, मोटी होय तो धनवान बने, अकबीजा उपर चढी गइ होय तो दुःखी बने. स्त्रीओने त्रीजी आंगळी नानी होय तो विधवानुं लक्षण जाणवुं. दरेक मनुष्यना जन्मनी उम शशि अने ग्रहो जोवाय छे. कनिष्टिकाना पहेला वेढाथी मेष, बरख अने मिथुन राशिनुं स्थान छे अनामिकामां क सिंह अने कन्यानुं स्थान छे, मध्यमामां तुला, वृश्चिक अने धननुं स्थान छे. अनामिकामां मकर, कुंभ अने मोन शशिनुं स्थान रहेलुं रहेलुं छे. मध्यमानी नीचे अधर्म रेखा, अनामिकानी नीचे विद्या रेखा, बुद्धि रेखा अने धर्म जोवाय छे. कनिष्टिकानी नीचे भाग्य रेखा संतान रेखा जोवाय छे. अंगुठा नीचे यशरेखा, यात्रा रेखा भने स्त्री रेखाओ जोवाय छे. तर्जनी नीचे काल रेखा, आवस्दा निर्णय रेखा जोवाय छे, मणिबंध उपर चंद्रस्थान भणी शत्रु रेखा, घन रेखा अने जश रेखा जोवाय छे. इथेळीमां तल सारो लेखाय छे, आंगळीओ उपर शंख करतां चक्र वधारे होय तो भाग्यशाळानु "लक्षण छे. अंगुठाना बेढानी मध्यमां यवनुं चिन्ह होय तो शुक्ल पक्षमां जन्म घणुंखरूं होय छे. अंगुठानी माछली बाजुओं त्रण रेखाओ छे तेमां जो आखी मोटी अने जाडी होय तो सुखी जिंदगी नीहाळे छे. जिंदगीना त्रण भाग करीने त्रण रेखाओ उपर विचार कराय छे हाथना पंजा उपर "Aho Shrutgyanam"

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