Book Title: Hasta Sajjivanama
Author(s): Meghvijay
Publisher: Mohanlalji Jain Granthamala Indore

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Page 320
________________ ( ५४ ) ४ जेना पगमां चक्र होय ते माणस विदेश फरनारो, अने धन विनानो मानवाळो थाय. ५. जेना पगमां त्रण रेखावाळा पासे व हन गाडी घोडानुं सुख रहे. ६ जेना पगमां सर्पाकृति होय ते माणस मार्गमां विषयी वा घातपातथी अकस्मात् मृत्यु पामे अने दुर्बुद्धि थाय. ७ जेना पगमां पंचकोणाकृतिवाळी रेखा होय ते माणस दे र्घजीवी कुटुंब सुखवाळो धनवान थाय छे. ८ जेना पगमां षट्कोण होय ते माणस राजवल्लभ थाय छे. ९ जेना पगमां साथियानो आकार होय ते माणस धर्म प्रिय, आचार्य जेवो थाय. १० जेना पगमां चक्राकार होय ते माणस ओछी बुद्धिवाळो, क्रोधी, मारामारी करनार, हिंसक थाय छे. ११ जेना पगम चंद्राकृति होय ते माणस ठंडो, मीढुं बोलनार, सुंदर मने लोकप्रिय होय छे. १२ जेना पगमां अष्टकोण होय ते माणस भमनारो, व्यसनी, होय छे अने दयाळु जमणो पग १ जेना पगमां ऊर्ध्व रेखा होय ते माणस बहु कीर्तिवाळो, धनिक अने राजा जेवा. सुखवाळो थाय. २ जेना पगमा त्रिशूळ जेवा आकारवाली रेखा होय ते धार्मिक वेषवाळो ठग थाय छे. ३ जेना पगमां पुष्पाकृति होय ते माणस सारी कीर्तिवाळो थाय छे. ४ जेना पगमां यवाकृति होयं ते माणस बहु मानवाळो अने स्वयंपराक्रमी धनिक थाय छे. ५ जेना पगमां त्रण रेखावा होय ते वाहनसुखवाळो थाय छे. "Aho Shrutgyanam"

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