Book Title: Gagar me Sagar
Author(s): Ratanchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 4
________________ मन मोह लिया । इसे पढकर वयोवृद्ध व्रती विद्वान स्व. पण्डित जगन्मोहनलालजी शास्त्री कह उठे थे कि 'डॉ. भारिल्ल की लेखनी को सरस्वती का वरदान है।' 'सत्य की खोज' 'तीर्थंकर भगवान महावीर और उनका सर्वोदय तीर्थ' 'मैं कौन हूँ' 'पण्डित टोडरमल : व्यक्तित्व और कर्तृत्व', 'आचार्य कुन्दकुन्द और उनके पंचपरमागम', 'पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव' 'निमित्तोपादान' एवं 'आप कुछ भी कहो भी अपने आप में अद्भुत कृतियाँ हैं। बारह भावना : एक अनुशीलन पुस्तक में अनित्यादि बारह भावनाओं पर गम्भीर आध्यात्मिक विश्लेषण प्रस्तुत किया है। इसके साथ-साथ आपने अध्यात्मरस से सराबोर सुन्दरतम पद्यमय बारह भावनाएं भी लिखी हैं; जो बारह भावना एक अनुशीलन में तो प्रकाशित हैं ही, तथापि पाठ करने वालों की सुविधा की दृष्टि से उन्हें बारह भावना के नाम से पृथक से भी प्रकाशित किया गया है। इसीप्रकार जिनेन्द्र वंदना, कुन्दकुन्द शतक, शुद्धात्म शतक, योगसार पद्यानुवाद, समयसार पद्यानुवाद तथा अभी हाल ही में प्रकाशित समयसार कलश पद्यानुवाद आपकी लोकप्रिय पद्यात्मक कृतियाँ हैं; जिनकी संगीतमय ओडीयो कैसिटें भी निर्मित की गई हैं, जो समाज में काफी लोकप्रिय हैं। यह तो सर्व विदित ही है कि डॉ. भारिल्ल जी तत्वप्रचार की दृष्टि से सन 1984 से प्रतिवर्ष विदेश यात्रा पर जाते हैं; विदेश में हुए व्याख्यानों के आधार पर आपने 'आत्मा ही है शरण' कृति का निर्माण किया, जो अब तक 24 हजार 200 की संख्या में प्रकाशित हो चुकी हैं। यह कृति भी सफलता के मापदण्ड स्थापित कर चुकी है। आपके विषय में विशेष क्या लिखें - निश्चित ही आपको सरस्वती का वरदान प्राप्त है ।आपका सम्पूर्ण साहित्य आत्म हितकारी होने से बार-बार पढ़ने. योग्य है। इस कृति के सम्पादन में पण्डित रतनचन्दजी भारिल्ल तथा प्रकाशन व्यवस्था में अखिल बंसल का प्रशंसनीय सहयोग रहा है, तदर्थ हम आपके हृदय से आभारी हैं। जिन महानुभावों ने इस कृति की कीमत कम करने हेतु आर्थिक सहयोग प्रदान किया है। वे सब भी धन्यवाद के पात्र हैं। . . समी आत्मार्थी इस कृति के माध्यम से आध्यात्मिक चेतना जागृत कर आत्मकल्याण का मार्ग प्रशस्त करें इसी भावना के साथ - .. नेमीचन्द पाटनी - महामंत्री

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