Book Title: Epigraphia Indica Vol 26
Author(s): Hirananda Shastri
Publisher: Archaeological Survey of India

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Page 336
________________ RATANPUR STONE INSCRIPTION OF THE [KALACHURI] YEAR 915 263 30 रच्छायानिरस्ता[तपं] पाणिप्राप्यफलोत्करैर्मधुरसैः पान्यव्रजं प्रीणयत् । कूज[कोकिल] काकलीव्यतिकरप्रारभ्यमान[स्म]रप्रौढाज्ञाविदलन्मनम्वितरुणीमानग्रहग्रन्थिकम् ॥३७॥ आकण्ठं विविधान्नपाननिवहे त्या मनोवा31 [ञ्छि]ते राशी - - - यस्य सततं सचे(त्रे) महासचि(त्रि)णः । इत्यं कार्पटिकव्रजन रभसा -- [भवन्धारितो दिक्क मुखरोकरोति व(ब)हलः कोलाहलः प्रत्यहम् ॥३८॥ देवाय सोमनाथाय [पु*]ण्यवान् । असौ लोणाकर] - -1 स32 ह्यदायैः स - ॥३॥ नियूंढ: कविपद्धतौ धुरि सतां व(ब)दास्पदः सन्ततं --- धिगमप्रसादितमतिः सा - वादे सुधीः । आसोहिस्तुतकीर्तिरक्षपटलप्राप्तप्रतिष्ठः श्रियां] लीलागार - - पालविवु(बु)धो गौडान्ववा33 योद्भवः ॥४०॥ विधुरिव दुग्धपयोधः प्रसाधिताशः कलानिधितिराम् । अभव[त्रिभुः वनपालः] पालितसकलद्दिजस्तनुजः ॥४१॥ घनरसवतों गभीरां स्वच्छतरां कवि विचाररमणीयाम् । सरसीमिव प्रशस्तिं त्रिभुवनपालो व्यधाडिवु(बु)धः ॥ 34 ॥४२॥ हारावलौमिव सुवृत्तगुणां गुणाढ्यां कान्त्यान्वितां घनरसप्रकरां प्रशस्तिम् । - - - [कलारचितप्रकर्षः] कौतूहलात्कुमरपालवु(बु)धो लिलेख ॥४॥ धनपतिनाना वतिना शिल्पिवरणवरेण च मनोज्ञा । उत्कीर्णा प्रचुररसा प्र35 शस्तिरियमक्षरै रुचिरैः ॥४४॥ यावन्मण्डलमम्व(म्ब) रेम्व(म्ब)रमणेश्चण्डीशचूडामणि चन्द्रः सान्द्रकरोल्करेण कुरुते -- -- कलाम् । यावदक्षसि चा. [स्ति] पद्मसदना कौमोदकीलक्ष्मणस्तावत्कीर्त्तिरियञ्चकास्तु विशदा विश्वम्भरामण्डले ॥४॥ 36 सम्वत् ८१५ [॥*] 1 Read grāmasin * Read samanvitam. • The first two of the missing aksharas appear to be vela. Read ved-arth-adhigama. .P.ead sahitya • The first three aksharas of this name are damaged, but from Aurangabadkar's mention of Anantapila as the father of Tribhuvanapāla, the aksharas can be restored as -maAnantar • . The missing aksharas can be supplied with the help of the Ratanpur Ms. agdya-vimādana. Eisowhere the name of this scribe appears as Kumarapala. The second akshara of the name is shorteau hore for the sake of the metre, following the adage: api mashain mashariakuryachachhando-bhaiganna taray it. - Read Sariseat.

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