Book Title: Epigraphia Indica Vol 26
Author(s): Hirananda Shastri
Publisher: Archaeological Survey of India

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Page 345
________________ 219 EPIGRAPHIA INDICA [Vol. XXVI 10 ज्यगजी नरेंद्रः । मां(सा)द्रामृतद्रवमुचां प्रभवो गवा(वां) यो गोविन्दचंद्र इति चंद्र वाम्बु(म्बु)राः [८॥*] न कथमप्यलभन्त रणक्षमास्तिस11 बु दिक्षु गजानथ वषिणः । ककुभि व(ब)नमुरनमुवल्लभप्रतिभटा इव यस्य घटा गजाः [*] सोयं समस्तरामचक्रसंसेवितचर12 वः ॥ परमभट्टारकमहाराजाधिराजपरमेश्वरपरममाहेश्वरनिजभुजोपार्जितश्रीकन्यकु13 बा(मा)धिपत्यश्रीचंद्रदेवपादानुध्यातपरमभट्टारकमहाराजाधिराजपरमेश्वरपरममाहेश्वरश्रीमद नपालदेवपा14 दानुध्यातपरमभहारकमहाराजाधिराजपरमेश्वरपरममाहवरावपतिगजपतिनरपतिराजचया15 धिपतिविविधविद्याविचारवाचस्पतिश्रीमहोविंदचंद्रदेवी विजयी । । अमवालोपत्तलायाम् । सपाटक18 भादपनांदपग्रामनिवासिनो निखिसजनपदानुपगतानपि च राजरानीयुवराजमन्त्रिपुरोहित प्रतीहारश(से)ना7 पतिभाण्डागारिकाक्षपटलिकभिषम्नैमित्तिकान्तःपुरिकदूतकरितुरगपत्तनाकरस्थानगोकुलाधि कारिपुरुषा18 नानापयति वो(बो)धयत्यादिस(म)ति च [*] यथा विदितमस्तु भवता यथोपरिलि खि[*]पामः सजलस्खल: सलोहलवणाकरः Second Plate 18 समस(सा)करः सपर्खाकरः सगौख(ब)र: समधूकचूतवनविटपवाटिकावयूतिगीचर __ पर्यन्तः सोमाकी)धचतुराधाट20 विमु(श): वसीमापर्यन्तः सप्तनवत्वधिकैकादस(श)शतसम्वत्सरे कार्त्तिका रविदिने पातोपि सम्बत् ११८७ कार्तिक सु(श)दि १५ A रखी । पोह श्रीमहाराणस्यां श्रीमदादिकेशवघडे विधिव[5]ङ्गायां खात्वा मन्त्र देव __ मुनिमनुलभूतपिढगांस्त22 [पीयित्वा तिमिरपटलपाटनपटुमहसमुष्णरोचिषमुपस्खायौषधिपतिशकलशेष(ख)रं समभ्यर्च चिभुवनचातु Imakapada An ornamental pattern between two dundas occupies one inch of space bere. Between bhana and tam there is a gap marked by a danda at either end because of the interposition of the The reading sa-mala-akaran is also likely and will yield the same 030. ring-hole

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