Book Title: Ek Bhagyavan Vyapari arthat Hargovinddas Ramji Shah
Author(s): Shankarrav Karandikar
Publisher: Bharatiya Vidyabhavan

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Page 7
________________ ......... एक भाग्यवान् व्यापारी wwwxn दशा प्रत्येक आदमी की होती है। जिन्दगी याने एक प्रकार का 'आल्बम' है अथवा हम उसको 'डायरी' की उपमा भी दे सकते हैं। जिन्दगी कैसी होती है ? एकाध भयंकर आश्चर्यकारक किले की तरह या सुरंग की तरह ! आदमी उस किले पर कब्जा लेने के लिये उस किले की छोटी मोटी जानकारी लेता रहता है। किले के गुप्त भाग, गुप्त रास्ते, वह हर रोज ढूँढ़ता रहता है। जन्म लेने के बाद प्रत्येक व्यक्ति इस आयु के बड़े भारी सुरंग में प्रवेश करता है और हर आदमी-(इससे पहले) अन्दर गया हुआ आदमी कहाँ गया है, इसकी खोज करता है। उसको उसके प्रश्न का जवाब देनेवाला कोई नहीं मिलता। अंत में वह स्वयं ही उस जिन्दगी की भयंकर सुरंग में प्रवेश करता है। जिन्दगी कैसी होती है ! वह एक छोटी-बड़ी वस्तुओं की गठरी जैसी! जैसे मृत्यु एक बार ही होती है, वैसे ही स्वर्ग प्राप्ति भी एक बार और जन्म भी एक बार ही होता है ! इसलिये जन्म का महत्व भी बड़ा भारी है। और वह महत्व मालूम होनेपर उस व्यक्तिका चरित्र या चारित्र्य देखना बहुत ज़रूरी होता है। लम्बी उम्र तक जीने की इच्छा हरेक को रहती है, लेकिन वह जिन्दगी बहुत अच्छी तरह से बिताने की महत्वाकांक्षा बहुत कम लोगों में पाई जाती है। हमारे चरित्र नायक की इच्छा दूसरे प्रकार की थी। सूरज के उदय होते ही उस की आकाक्षाएँ बढ़ती रहती और अभी भी बढ़ती रहेगी। एक की जिन्दगी यानी दूसरे का दर्पण होता है । दूसरे व्यक्ति उस पहले दर्पण में अपनी छाया देखते रहते हैं। "सत्ययुग में 'बलि' श्रेष्ठ ! त्रेतायुग में भार्गव' श्रेष्ठ ! द्वापार में 'धर्मराज' श्रेष्ठ ! कलियुग में कौन श्रेष्ठ १-प्यापारी!" Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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