Book Title: Ek Bhagyavan Vyapari arthat Hargovinddas Ramji Shah
Author(s): Shankarrav Karandikar
Publisher: Bharatiya Vidyabhavan

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Page 41
________________ (३४)...... एक भाग्यवान व्यापारी wwimwer __ श्री हरगोविंद दासजी के बायें हाथ की सारी रेखायें और शुभचिन्ह स्पष्ट एवं उठे हुये हैं । व्यापारियों के हाथों में बुधरेखा तथा बुध पर्वत काफ़ी उठा हुआ होना अनिवार्य है। बड़े यशस्वी व्यापारियों के दाहिने हाथ में शुक्र के पास तक आयुरेखा अच्छी होनी चाहिये और शनि पर्वत तक जानेवाली उत्कृष्ट भाग्यरेखा भी बड़ी सहायक होती है। लेकिन गुजराती व्यापारियों के साथ एक विशेषता है-उनके बायें हाथ में बुधरेखा का महत्त्व काफी स्पष्ट रहता है। श्री हरगोविंद दासजी के बायें हाथ में भाग्यरेखा, रविरेखा एवं बुधरेखा के प्रभाव देखना चाहिये । इस प्रसंग में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भाग्यरेखा के सहारे बुध पर्वत तक जानेवाली बुध भाग्यरेखा बिल्कुल स्पष्ट हो गई है। यहाँ मुख्य भाग्यरेखा बुधरेखा से मानो यह कहती है कि “ सम्पत्ति की सहायता व्यापारको निश्चित मिलेगी। व्यापार में यश जरूर मिलेगा । द्रव्य की सहायता बुधपर्वतगामी बुधरेखा से अवश्य मिलेगी;-व्यापार में अपूर्व सफलता।" बुधपर्वत, रविरेखा व बुध-भाग्यरेखा इनका फल यह है कि यशस्वी होने के साथ साथ शास्त्रज्ञान प्राप्त करने में बड़ी रुचि होगी। बुधपर्वत के उठे होने एवं इन रेखा ओं से यही सूचित होता है। रविरेखा से उत्साह, शनिरेखा से द्रव्य एवं शोधक बुद्धि और बुधरेखा से शास्त्रीय विषयों एवं ज्ञानार्जन के प्रति प्रेम प्रकट होता है। रविरेखा, भाग्यरेखा और हाथ की बोटें चौकोर है और अगर साथ में उत्कृष्ट मस्तकरेखा भी है तो सामुद्रिक सिद्धान्त का यह नियम है कि उसे ' "उद्योगिन: करालम्बं करोति कमलालया (लक्ष्मीः )।" Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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