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mom. एक भाग्यवान् व्यापारी .....
मुलुण्ड में जमीन का दर्शन होते ही " झवेर भाई नरोत्तम दास एण्ड कंपनी" के नाम से मुलुंड की सैकड़ों एकड़ जमीन खरीदी गई। जमीन खरीदते ही सन् १९२० म श्रीहरगोविन्द दासजी ने कंपनी से अपना हिस्सा निकाल लिया। उस समय हरेक को लाख-लाख रुपये मिले और उसी पूँजी पर श्रीहरगोविन्दजी न "हरगोविन्ददास रामजी" इस नाम की नई करियाना की दुकान खोल दी। तब से आज ३० साल हो गये तक उसी नाम से वह दुकान बराबर चल रही है।
व्यापार इनका मुख्य उद्देश्य था, तो भी ज्ञान पाने का और ग्रन्थ पढ़ने का इतना इनको शौक था कि रेलगाड़ी में यदि कोई पढ़ते हुये दिखाई दे तो उसके मित्र उस आदमी का 'हरगोविन्द दास रामजी' के नाम से मजाक करते थे। दो घंटे भी रेल की सफर में क्यों न लगे, तो भी इनकी पढ़ाई नहीं रुकती थी। जो समय इनको घरपर मिलता है उस समय में ये अपनी पढ़ाई का काम करते हैं।
निरयन सायन ज्योतिष, हस्तरेखा सामुद्रिक, जैनधर्म का अभ्यास, भगवद्गीता, उपनिषद, योगशास्त्र, सर्वोदय, वैद्यक आदि के साथ अंग्रेजी, बंगला, हिन्दी. मराठी इन भाषाओं का अभ्यास भी इन्हों ने बहुत अच्छी तरह से किया। सभी प्रकार के धर्म-ग्रन्थों का गंभीर अध्ययन करने का आपको बड़ा शौक है। नानक, रामदास, बायबल, कुरान, कबीर, तुकाराम आदिके तथा कई दोहे अभंग आदिके ग्रन्थों का
“Keep thy shop, and thy shop will keep thee."
-Jeorga Chapman.
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