Book Title: Dvadasharnaychakram Part 4
Author(s): Mallavadi Kshamashraman, Labdhisuri
Publisher: Chandulal Jamnadas Shah

Previous | Next

Page 5
________________ धन्यवाद ने आभार जैन तर्कशास्त्राना अतिमहत्त्वना आ ग्रन्थरत्न श्रीद्वादशारनयचकना त्रण भागो विद्वान् वांचकवर्गना करकमलमां सादर समर्पित कर्या पछी, तेना आ चतुर्थ विभागने, प्रकाशित करतां हर्षावेशथी पुलकित स्वभाविक छे. प्रस्तुत विभागना प्रकाशन साथे, आ ग्रन्थना प्रकाशननुं भगीरथ कार्य परिपूर्ण थाय छे. आ ग्रन्थरत्नमां रहेली विशिष्टता अने अपूर्वताओनो परिपूर्ण परिचय पामवानुं सर्वने सुलभ थाय छे. मुद्रणकार्यमा वपरातां कागलो आदि साधन सामग्री अने मुद्रणना नित्य वधता भावो वच्चे पण, अमे आना मुद्रणनुं धोरण साचवी शक्या छीए ते पण गौरव लेवा जेवी हकीकत छे. आ संपूर्ण ग्रन्थना मुद्रण माटे उदार द्रव्य साहाय्य करनार श्रुतभक्त जैन श्रीसंघना अमे आभारी छीए. आ भागना मुद्रण दरमियान प्राप्त थयेली साहाय्य माटे, उदारचित्त श्रुतप्रेमी साहाय्यकोनी नामावली आ नीचे आपका साथे, ओ सर्वो धन्यवाद अर्पण करवा पूर्वक आभार मानीए छीए. साहाय्य माटे प्रेरणा आपनार गुरुभक्त श्रुतप्रेमी पू. उपाध्यायजी श्रीजयंतविजयजी गणिवरनो पण, अमे अनेकशः उपकार मानीये छीए. उदारचित्त धर्मश्रद्धालु श्राद्धवर्य शेठ श्री रमणलाल दलसुखभाई श्रॉफ, श्रुतभक्तिना अमारा सत्कार्यमा, औदार्यपूर्ण साहाय्य अनेकशः करी रह्या छे. अमो तेओ श्रीनी भूरि भूरि अनुमोदना करीए छीए. साहायक सज्जनोनां शुभनामो : ५०१. जैन श्रीसंघ [ ज्ञानद्रव्यनी उपजमांथी ] ५०१. इडरना श्रावीकाओना उपाश्रयनी उपजमांथी [ पू. तपखी साध्वीजी श्रीसुव्रताश्रीजीनी प्रेरणाथी ] ३५१. श्री शान्तिनाथ जैन पेढी [ ज्ञानद्रव्यनी उपजमांथी ] ३०१. जैन श्रीसंघ [ ज्ञानद्रव्यनी उपजमांथी ] ३०१. जैन श्रीसंघ [ ज्ञानद्रव्यनी उपजमांथी ] ५१. शा. बाबुभाई उत्तमचंद दमणवाला [ साध्वीश्री जिनेन्द्र श्रीनी पांचसो आयंबालनी तपश्चर्या निमित्ते. ] Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only छाणी इडर जलालधोर धर्मज शाहपुर प्रकाशक www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 ... 364