Book Title: Dravya Puja Evam Bhav Puja Ka Samanvay Author(s): Bhushan Shah Publisher: Chandroday Parivar View full book textPage 9
________________ होगा? एक कहानी बहुत वर्ष पहले मैंने परमपूज्य गुरुदेव तुलसी के मुखारविन्द से सुनी थी। उसे मैं अपनी शैली में प्रस्तुत करना चाहुंगा - एक भद्र महिला थी जो मूर्तिपूजा में विश्वास करती थी। उसके एक ही लड़का था जो पढ़ा-लिखा, चिंतनशील और थोड़ा गंभीर स्वभाव का था। मूर्तिपूजा में उसका विश्वास नहीं था। उसकी माँ प्रतिदिन मन्दिर जाती, लेकिन लड़का मन्दिर नहीं जाता था। यह बात उसकी माँ को अखरती थी। एक दिन माँ ने कहा-'आज तुम मेरे साथ मन्दिर चलो।' लड़के ने कोई उत्सुकता नहीं दिखाई। माँ ने उस पर मन्दिर चलने के लिए दबाव डाला। लड़का आज्ञाकारी था। माँ की आज्ञा मानकर वह उसके साथ मन्दिर गया। मन्दिर के परिसर में पहुँचते ही उसने कामधेनु (गाय) की एक सुन्दर प्रस्तर प्रतिमा देखी। लड़के ने उस गाय को दुहने की इच्छा व्यक्त की तो माँ बोली--तुम भोले हो। वह सजीव गाय नहीं, पत्थर की गाय है और पत्थर की गाय दूध नहीं देती। लड़का माँ के साथ आगे बढ़ा तो मन्दिर के मुख्य द्वार के निकट शेर की प्रतिमा देखी। इतना सुन्दर, जैसे सचमुच जीवित शेर हो।लड़का डर गया। उसे भयभीत देखकर माँ ने कहा-'डरो मत, यह भी पत्थर का शेर है,ये हमे खाएगा नहीं। दोनों मन्दिर के गर्भगृह में पहुँचे। माँ ने विधिविधान से प्रतिमा की भक्ति और पूजा की। पूजा सम्पन्न होने के बाद लड़के ने कहा - 'माँ! अभी तुमने किसकी पूजा की ?' माँ ने कहा-'देखा नहीं,अभी मैंने भगवान की पूजा की।' लड़का बोला - 'माँ! भगवान भी तो पत्थर के है। जब पत्थर की गाय दूध नहीं देती, पत्थर का शेर किसी को नहीं मारता तो पत्थर के भगवान हमारा कल्याण कैसे कर सकते हैं?' माँ उसकी बात का जवाब नहीं दे सकी। यह एक कहानी है और कहानी के दूसरे पक्ष भी हो सकते हैं। क्या पत्थर या धातु की प्रतिमा में ऐसी कोई शक्ति है जो किसी का 5-6Page Navigation
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