Book Title: Dharmpariksha Author(s): Ishwarlal Karsandas Kapadia Publisher: Mulchand Karsandas Kapadia View full book textPage 4
________________ कयो ग्रंथ केवी रीते बहार पाडवो ते विषेनी मसलत शेठ माणेकचंद हिराचंदजी साथे चालतां नक्की थयु के, श्री अमितगति आचार्यकृत आ महान शास्त्रीय ग्रंथ गुजराती भाषामा अनुवाद करीने शेठ चुनीलालना स्मरणार्थे प्रकट करखों अने “ दिगंबर जैन " पत्रना ग्राहकोने त्रीजा वर्षनी भेट तरीके आपवो अने बाकीनी नकलना वेचाणनी उपजमांथी फरीथी कोई ग्रंथ प्रकट करी भेट बहेंचत्रो. आ प्रमाणे विचार थया पछी आ धर्मपरिक्षा संस्कृत ग्रंथ जे प्रसिद्ध पंडित पन्नालाल बाकलीवाळ तरफथी हिंदीमां प्रकट थयो छे तेनो गुजराती अनुवाद करवा कार्य अमोने अनेक कार्यनो बोजो होवाथी अमारा स्नेही भाई ईश्वरलाल करसनदासने आपवामां आव्युं अने ए भाईए टुंक वखतमां आ ग्रंथy गुजराती भाषांतर करी जे सेवा बजावी छे, ते माटे ए भाईना अमो अत्यंत आभारी छीए. आ पुस्तकना मूळ ग्रंथकर्ता श्री अमितगति आचार्ये पोतानी प्रस्तावना ग्रंथना अंतमां आपेली छे, जेथी वधु न लखतां मात्र टुंकामां जणावीए छीए के, श्री अमितगति आचार्य विक्रमन दशमा सैकाना उत्तरार्धमां थई गया छे. एमणे रचेला सुभाषित रत्नसंदोह, श्रावकाचार अने धर्मपरिक्षा आ त्रण ग्रंथ बहुज प्रसिद्ध छे. सुभाषित रत्नसंग्रह काव्यमाळामां प्रकाशीत थइ चुक्युं छे, श्रावकाचारनी भाषाटिका पंडितवर्य भागचंदजीए करेली छे, पण हजु सुधी प्रकट थइ नथी अने धर्मपरिक्षा मुळ संस्कृत श्लोको साथे हिंदी भाषामां प्रकट थइ चुक्यो छे, ए सिवाय जंबुद्विप प्रज्ञाप्ति, सार्धद्वयद्विप प्रज्ञाप्ति, भावना द्वात्रिंशतिका, पंचसंग्रह,Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 ... 244