Book Title: Dharmna Darwajane Jovani Disha Athva Tattvatattva Vichar
Author(s): Amarmuni
Publisher: Amarvijay Jain Pathshala

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Page 13
________________ सम्यक विना चारित्र न होय, तेमज सम्यक होवा छतां पण चारित्रनी भजना, अर्थात् होय अथवा ना पण होय. जो कदापि सम्यक अने चारित्र एक साथे थयेट होय, तो पण पूर्वमा सम्यकज थाय, अने पछीथी चारित्र प्राप्त थाय. एवो अर्थ टीकाकारे, तेमज टब्बाकारे, करेलो छे. तेने समज्या वगर कंइन कंइ लखी मायुं छे. दर्शन कहो अथवा सम्यक कहो एकज अर्थ छे, तेने जुदा रूपमा मुकी केवल गोटालो वाली दीयो छे. अने "दसणेउ भइयव्वं" अर्थात दर्शने सति तु भजना, एम अर्थ करवानो हतो तेनो उभय छे, एम अर्थ करी देखाडेलो छ. आ एकज गाथाना अर्थमां केटलो बधों गोटालो छे, ते पाठक वर्गने विचार करवाथी जणाई आवसे. एज प्रमाणे, वधा जैन तत्वोने विपरीतपणे लखी गोटालो वाली दीधो छे, ते अमारा स्थूल मात्रना विचारथी पण वाचक वर्ग सारी रीते समजी सकशे. एवी आशा राखी आ लेखनो प्रारंभ करेलो छे. ॥ हवे तत्वपणाना फरकनो विचार करवाने उतरी पडीये छे. वाडीलाल-पृष्ट ३८ ओ. . मीथी लखे छे के, समकितना ९ भेद छे॥ ? द्रव्य समकिन. । २ भाव समकित. । ३ निश्चय समकित. । ४ व्यवहार समकिन. । ५ निःसर्ग समकित.। ६ उपदेश समकित.। ७ रोचक समकित. ( कारक समकित. । ९ दीपक समकित.।। विचार-प्रथम वाडीलालने, अमो एटलंज पुछीये छे के, जे नमोए आ त्रिजा प्रकरणमां, सम्यक्त्वना नव भेद ल.स्या छे ते. अने प्रकरण पांचमामां, सम्यकना ६७ बोल लरख्या छे ते. तमारा मान्य करेला कया सूत्रथी अथवा मान्य करेला कया प्रकरण ग्रंथथी लग्न्या छे. अने तमोर ते मूत्रनु अथवा प्रकरण ग्रंथतुं नाम कम बताज्यु Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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