________________ शासननायक श्रीवर्द्धमान स्वामिने नमः देवद्रव्य का संक्षेप में साररूप निर्णय. ( साधारण खातेमें अभी द्रव्य की बहुत त्रुटि होनेका कारण और उसकी वृद्धि के उपाय वगैरह बहुत बातें आगे लिखने में आवेंगी. मगर यहां तो देवद्रव्य की आवक को साधारण खाते में लेजाने संबंधी श्रीमान् विजयधर्म सूरिजी की अनुचित बातों का खुलासा लिखने में आता है.) पाठकगण इसको पूरापूरा अवश्य बांचें। 1. स्वप्न उतारने का द्रव्य देवद्रव्य होता है या साधारण द्रव्य होता है ? .. गृहस्थ अवस्था में भगवान् लोगोंको द्रव्यादि दान देते थे, वह द्रव्य लोगों के उपयोग में आसकता था. उसी तरह स्वप्न उतारने का व घोडीया पालना वगैरह कार्य भी भगवान् के गृहस्थ अवस्था की क्रिया रूप होने से उसका द्रव्य भी साधारण खातेमें रखना योग्य है. उस से सात क्षेत्रों में उसका उपयोग हो सके, यह कहनाभी सर्वथा अनुचित है. 1 देखिये, भगवान् तो राज्यधर्म व परोपकार दृष्टिसे लोगोंको द्रव्यादि दान देते थे, इस लिये वह द्रव्य लोगोंके उपयोग में आसकता था, मगर अपने लोग तो स्वप्न उतारने वगैरह कार्य मगवान् के उपर उपकार बुद्धिसे नहीं करते हैं, किंतु अनंत उपकारी; मोक्षदाता, वीतराग