Book Title: Dasakaliya Suttam
Author(s): Punyavijay
Publisher: Prakrut Granth Parishad
View full book text
________________
खयोवसमलद्धीओ बहुहा संभवति, तम्हा दुविहत्तणं चेव । पारिणामिओ - अणादि [ट्ठाऽऽदिट्ठ ] पारिणामियभावेक्ककं सामण्ण-विसेसभेदेण तव । जं आदिहं तं सादियपारिणामियं अणादियपारिणामियं च । तत्थ सादियपारिणामिय| ऐक्ककं कसायपरिणयो जीवो कसायो, अणादियपारिणामियएक्ककं जीवो जीवभावपरिणयो सैता एवमादि ।
इह कयरेण ऍक्केण अहिकारो ?, सव्वण्णुभासिए का एक्कीयमयविचारणा ? तहा वि वक्खाणभेदपद५ रिसणत्थं कित्तिनिमित्तं गुरूणं भण्णति - भद्दियायरिओवएसेणं भिन्नरूवा एक्कका दससदेण संगिहीया भवंति [[त्ति ] संगहेक्ककेण अहिकारो, दत्तिलायरिओवरसेण सुयनाणं खयोवसमिए भावे वट्टति त्ति भावेक्कण अहिगारो, उभयमविरुद्धं, भावो एवं विसेसिज्जति ॥ १ ॥ दुयादिपरूवणावसरे दस परूविज्जंति, एवं सेसं परूवियं भवति, तम्हा दसगनिक्खेवो । सो छव्विहो, तं जहा
णामं ठवणा दविए खेत्ते काले तहेव भावे य ।
एसो खलु क्खेिवो दसगस्स उ छव्विहो होति ॥ २ ॥
[णामं ठवणा दविए० गाधा | ] णामदस ठेवण० दव्व० खेत्त० काल० भाव० । णाम -ठवणाओ |गताओ । दव्वदस सच्चित्तादि जहा एक्कतो । खेत्तदस आकासपदेसा दस । कालदस “बोला मंदा" ० जहा तंदुल| वेयालिए [ गा० ३१ ] । भावदस एए चैव दसऽज्झयणा ॥ २ ॥ काले त्ति दारं तत्थ गाधा
१ भावेक्वेकं मूलादर्शे ॥
२ पक्कं मूलादर्श ॥ ३ सदा ॥ ४ एक्केकेण मूलादर्शे ॥ ५ "बाला १ मंदा २ किड्डा ३ बला य ४ पन्ना य ५ हायणी चेव ६ । पब्भार ७ मम्मुही ८ सायणी य ९ दसमा उ कालदसा १० ॥” इति पूर्णगाथा । दशवैकालिकसूत्रनिर्युक्तया - दशैंषु तन्दुलचैतालिके च "बाला किड्डा मंदा" इति पाठ उपलभ्यते, श्रीहरिभद्रसूरिचरणैरेनमेव पाठमनुसृत्य व्याख्यातमस्ति । किञ्च - चूर्णिकृद् वृद्धविवरणकृत्सम्मतः “बाला मंदा किड्डा" इति पाठस्तु नोपलभ्यते कचिदपि ॥
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 ... 552