Book Title: Chitta Samadhi Jain Yog
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 268
________________ भगवई २५७ अणगारे णं भंते ! भावियप्पा पुक्खलसंवट्टगस्स महामेहस्स मज्झमज्झेणं वीइवएज्जा ? हंता ! वीइवएज्जा ।। से णं भंते ! तत्थ उल्ले सिया ? गोयमा ! नो इणठे समढें । नो खलु तत्थ सत्थं कमइ ।। १८।१६३ अणगारे णं भंते ! भावियप्पा गंगाए महाणदीए पडिसोयं हव्वमागच्छेज्जा ? हंता हव्वमागच्छेज्जा ।। से णं भंते ! णत्थ विणिहायमावज्जेज्जा ? गोयमा ! नो इणठे समठे । नो खलु तत्थ सत्थं कमइ ।। १८।१६४ अणगारे णं भंते ! भावियप्पा उदगावत्तं वा उदगबिदुं वा ओगाहेज्जा ? हंता ओगाहेज्जा ॥ से णं भंते ! तत्थ परियावज्जेज्जा ? गोयमा ! नो इणठे समठे । नो खलु तत्थ सत्थं कमइ ।। १८११६५ अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा देवं वेउब्वियसमुग्घाएणं समोहयं जाणरूवेणं जामाणं जाणइ-पास इ ? गोयमा ! (१) अत्थेगइए देवं पासइ, नो जाणं पासइ । (२) अत्थेगइए जाणं पासइ, नो देवं पासइ । (३) अत्येगइए देवं पि पासइ, जाणं पि पासइ । (४) अत्थेगइए नो देवं पासइ, नो जाणं पासइ । ३।१५४ ___अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा देवि वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहयं जाणरूवेणं जामाणि जाणइ-पासइ ? गोयमा ! (१) अत्थेगइए देवि पासइ, नो जाणं पासइ । (२) अत्थेगइए जाणं पासइ, नो देवि पासइ । (३) अत्थेगइए देवि पि पासइ, जाणं पि पासइ । (४) अत्थेगइए नो देवि पासइ, नो जाणं पासइ ।। ३।१५५ अण नारे णं भंते ! भाविअप्पा देवं भदेवीअं वेउव्वियसमुग्धाएणं समोहयं जाणरूवेणं जामाणं जाणइ-पासइ ? गोयमा ! (१) अत्थेगइए देवं सदेवीअं पासइ, नो जाणं पासइ । (२) अत्थेगइए जाणं पासइ, नो देवं सदेवीअं पास। (३) अत्थेगइए देवं सदेवीअं पि पासइ, जाणं पि पासइ । (४) अत्थेगइए नो देवं तदेवीअं पासइ, नो जाणं पासइ ॥ ३॥१५६ अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा रुक्खस्स कि अंतो पासइ ? बाहिं पासइ ? गोयमा ! (१) अत्थेगइए रुक्खस्स अंतो पासइ, नो बाहिं पासइ। (२) अत्थेगइए रुक्खस्स बाहिं पासइ, नो अंतो पासइ । (३) अत्थेगइए रुक्खस्स अंतो पि पासइ, बाहिं पि पासइ । ४. अत्थेगइए रक्खस्स नो अंगो पासइ, नो बाहिं पासइ। ३।१५७ अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा रुक्खस्स कि मूलं पासइ ? कंदं पासइ ? __ गोयमा ! (१) अत्थेगइए रक्खस्न मूलं पास, नो कदं पासइ । (२) अत्थेगइए रुक्खस्स कंदं पासइ, नो मूलं पासइ । (३) अत्थेगइए रुक्खस्स मूलं पि पासइ, कंद पि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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