Book Title: Chintamani Parshwanath Diwakar Chitrakatha 04 Author(s): Vijaymuni, Shreechand Surana Publisher: Diwakar Prakashan View full book textPage 5
________________ चिंतामणि पार्श्वनाथ जब कमठ नहीं माना तो वरुणा ने वसुन्धरा को परन्तु उसने कमठ को सब कुछ बता दिया। कमठ एकान्त में समझाया ने पत्नी को मार पीटकर घर से निकाल दिया। प्र य बहन! जेठ तो पिता के समान होते हैं। तेरा यह दुष्टे ! अपने पति की बुराई आचरण ठीक नहीं हैं, करती है, निकल जा मेरे घर से अपने कुल को डुबो देगा? यह सुनकर वसुन्धरा चुप रही। वरुणा होती-सोती मरुभूति के पास गई। उसकी | अगले दिन मरुभूति ने अपनी पत्नी से कहाबात सुनते ही वह आग बबूला हो गया। उसे वरुणा की बात पर विश्वास नहीं हुआ। मैं महाराज के काम मुझे स्वयं से कुछ दिन के लिए सच्चाई का पता दूसरे शहर जा रहा लगाना चाहिए। Coहूँ। चार-पांच दिन लग जायेंगे। PA. Jain Education International For Private & Personal use only w ainelibrary.orgPage Navigation
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