Book Title: Chintamani Parshwanath Diwakar Chitrakatha 04
Author(s): Vijaymuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 34
________________ चिन्तामणि पार्श्वनाथ निर्वाण समय निकट आने पर भगवान अपने शिष्यों के साथ सम्मेद शिखर पर्वत पर पधारे और तप एवं शुक्ल ध्यान में लीन हो गये। श्रावण शुक्ला अष्टमी विशाखा नक्षत्र में प्रभु को मोक्ष प्राप्त हुआ। सम्मेद शिखर पर्वत, जहाँ भगवान को मोक्ष प्राप्त हुआ था। आज जैनों का एक भव्य तीर्थ है। इस पर्वत पर बीस तीर्थंकर तथा हजारों मुनियों ने मोक्ष प्राप्त किया। यह पवित्र सिद्ध क्षेत्र कहलाता है। हजारों लोग प्रतिदिन उस स्थान की दर्शन यात्रा करने जाते हैं। Jain Education International 32 For Private & Personal Use Only Sun समाप्त www.jainelibrary.org/

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