Book Title: Chintamani Parshwanath Diwakar Chitrakatha 04
Author(s): Vijaymuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 30
________________ चिन्तामणि पार्श्वनाथ | मेघमाली ने खूखार सिंह, जंगली हाथी, जहरीले नाग आदि रूप बनाकर पार्श्वनाथ के शरीर को जगह-जगह से काटा, डंक मारे। परन्तु भगवान अपनी ध्यान-अवस्था से विचलित नही V ARTAVYAMANG PAN महाश्रमण पाश्र्व विहार करते हुए एक वन में पहुंचे। वहाँ घने वट वृक्ष के नीचे खड़े होकर ध्यानस्थ हो गये। उसी वृक्ष पर - मेघमाली नाम के असुरदेव का। निवास था। उसने महा-श्रमण पार्श्व को देखा तो उसके मन में पूर्वजन्मो की बैर-भावना जाग उठी। इसी के कारण Email जनता ने मुझे ढोंगी पाखंडी कहकर प्रताड़ित किया था। आज मैं अपना बदला लूंगा। UA अपने सभी प्रयत्न खाली जाते देख मेघमाली NIRMY भयावनी मेघ गर्जना, कड़कड़ाती बिजली और असुर ने भगवान को जल में डुबाकर मारने AKOAAमूसलाधार वर्षा से जंगल के जानवर घबराकर के लिए घनघोर वर्षा प्रारम्भ कर दी। इधर-उधर छुपने लगे।पार्श्वनाथ वहीं पर अविचल ध्यान में खडे रहे। # जो पिछले जन्म में कमठ था। Jain Education International 28 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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