Book Title: Chintamani Parshwanath Diwakar Chitrakatha 04
Author(s): Vijaymuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 29
________________ चिन्तामणि पार्श्वनाथ राजभवन में वापस आकर पार्श्व कुमार इस घटना पर चिन्तन करने लगे। TROIT 0400 croce संसार में चारों ओर अज्ञान और पाखण्ड का बोलबाला है। भोली-भाली जनता अपनी मनोकामनायें पूर्ण करने के लिए कमठ जैसे पाखण्डियों के चंगुल में जा फँसती है। मुझे इनको सही मार्ग दिखाना चाहिए। ऐसा विचार कर उन्होंने संसार के राज वैभव को त्यागकर दीक्षा लेने का निश्चय कर लिया। पौष-कृष्णा एकादशी के दिन पार्श्वकुमार ने वाराणसी नगर के बाहर आश्रम पद उद्यान में तीन सौ मनुष्यों के साथ अशोक वृक्ष के नीचे राजसी जीवन त्यागकर दीक्षा ले ली। इन्द्र महाराज ने उनक देव दूष्य वस्त्र भेंट किये। Pan Jelication International For Priva& Personal Use Only Vras Prok A www.jainelibrary.org

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