Book Title: Chintamani Parshwanath Diwakar Chitrakatha 04
Author(s): Vijaymuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 9
________________ चिंतामणि पार्श्वनाथ मरुभूति के सिर से खून बहने लगा, वह गिर पड़ा। गिरते-गिरते कमठ से बोला हे भाई! तुमने यह क्या किया? मैं तो तुमसे अपने कृत्य की क्षमा माँगने आया था। Jain Educa | राजा अरविंद के सैनिकों ने मरुभूति की हत्या की सूचना दी। महाराज! मरुभूति अपने भाई कमठ से क्षमा मांगने गया था। परन्तु क्रोधी कमठ ने उस पर पत्थर की शिला गिराकर मार डाला। MO और खून से लथपथ तड़पते मरुभूति ने प्राण छोड़ दिये। महाराज अरविंद सोचने लगे For Priva & Personal Use Only 10 'कैसा है यह संसार ! पत्नी पति के साथ धोखा करती है। भाई-भाई की जान ले लेता है? LIONE इस घटना से राजा को संसार की झूठी मोह, माया से विरक्ति हो गई। वे राजपाट त्याग कर मुनि बन गये । तप करने जंगल में चले गये। www.jainelibrary.org

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