Book Title: Chintamani Parshwanath Diwakar Chitrakatha 04
Author(s): Vijaymuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 17
________________ चिंतामणि पार्श्वनाथ सैनिकों की जयघोष सुनकर गालव सुवर्णबाहु ने सुन्दरी की तरफ इशारा करते ऋषि ने प्रसन्न होकर कहा हुए कहाओह ! तो आप ही हैं चक्रवर्ती ऋषिवर ! इससे बड़ी और श्रेष्ठ भेंट क्या हो सकती है? मैं इस कन्या से सम्राट सुवर्णबाहु! हम आश्रमवासी/ आपको क्या भेंट दें? विवाह करना चाहता हूँ। (CON seog ऋषि ने कहा राजन् ! इसका जन्म तो आपके लिये ही हुआ है। यह राजकुमारी पनावती हैं।आश्रम में ऋषि-कन्या बनकर समय बिता रही हैं। एक निमित्तज्ञानी ने बताया था कि एक दिन महाराज सुवर्णबाहु यहाँ आयेंगे और वे ही इसके स्वामी होंगे। A. Sna अत्यन्त सुन्दरी राजकुमारी पभावती से विवाह करके चक्रवर्ती सुवर्णबाहु अपनी राजधानी लौट गये। 15 For Private & Personal Use Only www.jeinelibrary.org.

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