Book Title: Chidvilas
Author(s): Dipchand Shah Kasliwal
Publisher: Kundkund Kahan Digambar Jain Trust

View full book text
Previous | Next

Page 4
________________ - n.. .. DHAKA.XRAJ सम्पादक की ओर से ग्रन्थकार के सम्बन्ध में जैन अध्यात्म को अग्रेसित करने में प्राध्यात्मिक विद्वान पण्डित श्री दीपचन्दजी शाह कासलोवाल का विशिष्ट स्थान है। आपने अध्यात्म से ओतप्रोत अनेक रचनाय लिखी हैं, जिनमें कुछ गद्य रचनाये हैं और कुछ पद्य । गद्य रचनाओं में चिविलास, अनुभवप्रकाश, आत्मावलोकन, परमात्मपुराण मादि प्रमुस्त्र हैं। पद्य रचनात्रों में ज्ञानदर्पण स्वरूपानन्द, उपदेश सिद्धान्त रत्न आदि हैं । इन सभी रचनाओं में ग्रन्थकार ने अध्यात्म की धारा ही प्रवाहित की है। आपकी जाति खण्डेलवाल एवं गोत्र कासलीवाल था । आप सांगानेर के निवासी थे, बाद में आप जयपुर की राजधानी आमेर में या गए थे। पामेर में रहकर ही आपने ग्रन्थों की रचना की है। आपके लौकिक जीवन का इससे अधिक परिचय प्राप्त नहीं हो सका है। अापके व्यक्तित्व के संबंध में पण्डित श्री परमानन्दजी जैन शास्त्री ने मूल भाषा में पूर्वप्रकाशित चिश्लिास के सम्पादकीय में लिखा है : "थे अध्यात्मशास्त्रों के मर्मज्ञ विद्वान थे, पर-पदार्थों से. उदासीन रहते थे, वे अनुकूल-प्रतिकूल परिणमन से चित्त में हर्ष-विषाद नहीं करते थे, हृदय में संतोष था और अंतरंग कषायें भी कुछ मन्द हो गयी थीं, अध्यात्मरस की सुधाधारा के प्रवाह द्वारा -

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 ... 160