Book Title: Chidvilas
Author(s): Dipchand Shah Kasliwal
Publisher: Kundkund Kahan Digambar Jain Trust

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Page 3
________________ a t. LANCE" ( iv ). द्रव्यवीर्यशक्ति ८७, गुणवीर्यशक्ति ६१, पर्यायवोर्यशक्ति ६३, क्षेत्र वीर्यशक्ति ६५ कालवीर्यशक्ति १६, तपवीर्यशक्ति १८, भाववीर्यशक्ति ६६ गुण की विशेषता १०१ परिणामशक्ति १०४ प्रदेशत्वशक्ति १०६, द्रव्य-मुग-पर्याय का विलास ११० भावमावशक्ति १११ कारण-कार्य के तीन भेद ११२, च्यवारणकार्य ११३, गुणकारणकार्य ११३, पर्यायकारणकार्य ११४ षष्ठ अध्याय परमात्मस्वरूप की प्राप्ति के उपाय ११७ से १३५ सम्यक्त्व के सड़सठ भेद ११७ शाता के विचार १२५ अनन्त संसार कैसे मिटे १२८ मन की पांच भूमिका १३४ क्षिप्त १३४, विक्षिप्त १३४, मूढ १३४, चित्तानिरोध एवं एकाग्रता १३४ ' सप्तम अध्याय समाधि के तेरह भेद १३.६ से १५६ समाधि के तेरह भेद १४० (१) लय समाधि १४१, (२) प्रसंज्ञात समाधि १४२, (३) वितानुगत समाधि १४४, (४) विचारानुगत समाधि १४६. (५) अानन्दानुगत समाधि १४८, (६) अस्मिदानुगत समाधि १४६, (७) निवितर्कानुगत समाधि १५१, (८) निर्विचारानुगत समाधि १५१, (६) निरानन्दानुगत समाधि १५२, (१०) निरस्मिदानगत समाधि १५३, (११) विवेकख्याति समाधि १५४, (१२) धर्ममेघ समावि १५५, (१३) असंप्रज्ञातसमाधि १५५ अन्तिम प्रशस्ति १५६ . y - -..-...

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