Book Title: Charak Samhita
Author(s): Muni Charak
Publisher: Muni Charak

View full book text
Previous | Next

Page 6
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ओ गणेशाय नमः। चरकसंहिता। सूत्रस्थानम्। प्रथमाध्यायः । अथातो दीर्घ जीवितीयमध्या यं व्याख्यास्यामः । इति हमाहभगवानालेयः । तत्न प्रथम मेव ग्रन्थसन्दर्भप्रारम्भे तदसमापनकारण विघ्नविनासन परमाताचार परम्परा परि प्राप्तमङ्गलाचरणमचि तमिति तदाचरणीयत्वे प्रचुरत रविघ्नशङ्काशङ्कितचेतसा प्रचुरतविघ्नभग्नाय प्रचुरतरम् ङ्गल मेव शिष्यशिशि क्षयिप या प्रत्यध्यायम ग्रतोऽथ शब्दोपादाने नाच चार । तत्रादावेवोक्तसंगत्या दीर्घ जीवित स्यातिशय प्रयोजनकत्वात्तन्निदान स्थानत्वेन दीर्घ जीवितीयाध्यायस्य प्राधान्याव्याख्यारम्भ प्रथमं मङ्गलमाचरति । For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 ... 385