Book Title: Chandrapragnapati Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Kanhaiyalal
Publisher: Delhi

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Page 7
________________ संक्रमित्ताचारेचर तयार दिवसे दोहिंएगसविभाग मते हिंडणे जाव निषममारिए दो सिहोरसि उत्तरा तराए भगाए तरसादिपदे साए तिरं तदाहि घमेले दिए संमिताचारं चर तयार दिवसे चाहिए गविभाग मते हि एवं नियममा सूरिए जाव तरसादिपदेसार बाहिर उत्तरं मेलेनिनवसे कमिताचाचरतयाजावर तारा वालसमते दिवसे भवति एसएंट मे मासे से पविसमा सूरिए दो मा सेयमार पटमंसिहोरसि उत्तराना गाए तरसादिपदेसार नाहितरं दाहिमेमले दिए उसे मिताचरेचर तया रारा दोहिंगा महंगा सेनिसमा सरिए दो सिहोरसि दाहिएंड तरारा भागा तस्सादिपदे साए बाहिर उत्तरं मेले सेटिए संक्रमित्तचाच ताटारमा राइ चहिएगति भागमतेहिं एवं राते पश्चिमा सूरिए जावसङ्घभिंतरं हे ६ मे कल से दिए तथा एंजाब र समते दिवसे वाल समता रा Has एसोचेमा से एसएस बरस जवसा १ कहते उत्तमेकलेस दिए तेय एंबुदावे जयारि ए सहमितरे उत्तरं मेले से दिए उसंत मिताचारेचर तथा सजावर समजते दिवसे डालसमा राम जहादाहि एतहाचेव नवरं उत्तरे संविए भिंतरातरं दाहियां उनसे कमेति दहितरं सेामिति एवं जाएग जावसङ्घबाहिरे दाहि वसंत मिति एसपट मे मासे से पविसमा सूरियस बाहिरा दाहियान बाहिरातरं उत्तरं वक्त मिति उत्तरा बाहिर दहि तदा दिगा संकम मागेर जाव समितरं उत्तरं वसंतमिति चेव एसएं For Private & Personal Use Only International www.janbrary.org

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