Book Title: Chandrapragnapati Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Kanhaiyalal
Publisher: Delhi

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Page 25
________________ गड्या संतवमा तयागतराई बाहिरा पोगलाई से तावेति ये गए तव मारणा नसतादेति एस से समित रहेते ३ बयंपु एवेबयामो जानुमान चेदमसूरिया देवाएं बिमा रोहितो लेसा बहियाऽभिनिदान संततिस तरि बिराले सान समुबेति तते गोता बिले सान समुलियान समानतारा बहिराई पगलाएं तावेति एसस समिएतावते कइ कते सरिए फेरिसीमायनिवत्तेत डाहिए तथा बीस पडितिथे माहे समाए सरिसवति एतेऽभिलावेनेय जानने व उद्यसंविशति जानू उसकसि मे सरियो रिसीवानितिमा सूरियस अवामुदे से उत्तेच तेच लेसुदे से ले संचबायेच पडुचञ्चतु देसे तब इमान परिवत्ती तथेगे एवमाथि सांसे दिन से जेसिचदिवसि सूरिए परिसीवानितिथि से दिवसे जैसि दिवसेसि सूरिएंड पोरिसीला निक्त्तेति समासु थिसंसिदिव से जेसिज दिवसेसि सूरिएड पोरिसनाय निवति" ऽथियसेदिवसे जंसिएं दिवसंसि सरिए न किंचिसी बायनिवसे तिर तथएँ परमे एवमाहेस जयाएं सब भिंत रं मंकले जावरमदिवसे सि दिवसेसिसरिएच परिसीयायेनि वतेति तं उग्रमणमत्तंसिये ऽथम मतं सिद्धं ले सेऽभिमुटे माऐ" जया ये सरिए सचनाहि मे ले जानू बार मते दिवसे सिचदिवसेसि सूरि परिसा ये बायनिवत्लेति ते नम्रमणमसि इथम मते सिएले से भि बुदे मागे पुरारावमाहं सुजया सारिए सहमितरे मेकलं जावर समजते दिवसे सिदिवसंसि सरिए 5 पेरिसीयं बाये नित्तेति ते उगम

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