Book Title: Chandrapragnapati Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Kanhaiyalal
Publisher: Delhi

View full book text
Previous | Next

Page 56
________________ ७८.६६-१-दिना चंद्र २७ लाई नाहिरेवेवमंकले एयालु ताईचे तेरस भागा जाच के एई जान चारंचर एतावताय दोघे चंदा समभव मासे नोचंदेमा से" जे चेदेमा सेना नवते मानमासान वेदे चदे मासे किंहिये चारे चरेति तेदोऽहमेक सत्तठिमागाई ६ मंगलरस सत्तविभागच गती सहा बेत कर भागा तेलगचंदे पाए भागारा पविसमा बाहिरा तर स्पचथिमिल्स ६ मंगलस एगताली से सत्तस विभागा जाई चंदे एस बिचरति तेरससत्तसािगा जाई वेदे पर साबियां पडिचरति तेरस सत्तसविभागाई आई चंदे पर नि चिरंति एताanaर बाहिरातरे पचथिमिले ६मेले समाते पुरथिमारा भाग विसमा बहिर तच्चस पुरथिमिल स ६ मे मूल सरागता सत्तविभागा जाऊंचे परस्सपि चरीत तेरस सत्तस विभागाई जा चंदे परस्सप्रिडिचरति तेरससत्तसतिभागा जाईचे परस्सबिडि चरंति एतावतार बाहिरे तसे पुरथिमिले ६ मुंह ले समते भागते चंदे पचथिमाए भगाएपि हिरचनथरस पत्र थिमिल्लसलसत्तसठिभागा सत्तसविभागच एती सहावेत्ता ठार सभा गाई जाई चंदे पर विपचिरंतिवरा घेतेर संभोगाई एतावताव बाहिरेचनथे पथिमिले ६ मंकले समते नवरावेलु चंदेश मा से ए चंदे तेरस चडाई हुने तेरसभागा जाई वेदे पर बिग डिचरंति तेरसर भागा। जाईचंदे पडिचरेति घे एगताली से भागा घेतेर सभामा सत्तसविभाग सत्ताच गतीस हा

Loading...

Page Navigation
1 ... 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64