Book Title: Chandrapragnapati Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Kanhaiyalal
Publisher: Delhi
View full book text
________________
지오
प्रभाते ते कि
तिरियं
चंद. वत्तितथे एवमाहंसु पुरथिमान लोगे ताना मिरीची गसंसि नृतितिति से इमे लोग तिरिये करेत्ता पचथिमं सिलोगत सिसाय मिरीची गाविस एंगे एवमाहेसु पुरधिमान लोगंतान पाने सूरिएगासंसि उति से इमं तिरिय ६ लोग तिरियं करेता पचथिमंस लोग साधे सरिएगा सि बि स इति २. एगेपुरा एवमाहंसु पुरथिमाउलो गंतान पाने सूरिए 5.सि उति सेोमं तिरिये लोग तिरियं क रेश्ता पचथिमं सिलोगंसि साथ गाविस हेडियामा पु रविवरभूमि पुरथिमाउलो गंतान पान सूरिएगासंसि उति इति ३एंगेपुरा एव माहेसु पुरधिमान लोगेाउ पाउं सूरिए पुरविकासि उति से इमं तिरियं लोग तिरियं करे 52 पथिमिले सायं सूरिए पुरविकासि बिदेस इति४ रागेपुराए माहंसु पुरथिमाउलो गंतान पानं सूरिए पुरविकासि उतिर सेगइमं तिरियेलेोगं तिरिये करे मंसिलोगंसि सायं सूरिए पुरविकविता पबिता पुरा रविवरमुमि पुरथिमान लगतान पान सूरिए पुरविकाएं सिउतिभूति एवमाहंसु पुरथिमिलान लगतान पान सूरिएका सिटि से इमं तिरिये लोग तिरियंक रेरा पचथिमं सिलोग सिसायं सरिए कार्यसि बि स ६ एवमाहेसु पुरथिमान लेता पाने सूरिए कार्य सिजतिन से साइमं तिरिये लोग तिरिये करेता पथिमं सिलगतसि सायं सूरिए जन कार्यसि पनि सत्तापड़ियाग बता पुरविडवरभूमि पुरथिमान लोगंतान पानं सूरिएका सि उति एएमासु पुरथिमाउलो गतान बहु जो जान सहस्सा उदंडता एथएँ पाउँ सूरिए 5.सि उति से इमं दाहिएटे लोग तिरियेक रेज्ञा
६
www.nelibrary.op

Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64