Book Title: Chandraprabhacharitam
Author(s): Virnandi, Amrutlal Shastri
Publisher: Lalchand Hirachand Doshi Solapur

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Page 8
________________ अनु क्रम पृष्ठ I-III १-२ ३-३३ ८-१३ १४-१६ १७ १८ २०-२४ २५ २६-२७ विषय १. प्रधान सम्पादकीय २. सम्पादकीय ३. प्रस्तावना १. आदर्श प्रतियोंका परिचय २. ग्रन्थ-परिचय ३. चं० च०की कथावस्तुका संक्षिप्त सार ४. , , कथावस्तुका आधार ,, प्रासङ्गिक कथाएं में सैद्धान्तिक विवेचन तत्त्वोपप्लव आदि इतरदर्शनोंको आलोचना को जैन व जैनेतर ग्रन्थोंसे तुलना ,, साहित्यिक सुषमा में रस योजना " , अलङ्कार योजना १२. , , छन्द योजना १३. , की समीक्षा १४. ग्रन्थकार-परिचय १५. संस्कृत व्याख्या १६. संस्कृत पञ्जिका ४. विषयानुक्रम ५. मूल ग्रन्थ : संस्कृत व्याख्या और हिन्दो भावानुवाद सहित ६. कवि प्रशस्ति ७. परिशिष्ट १. पञ्जिका २. श्लोकानुक्रमणिका ३. संस्कृतव्याख्यान्तर्गत ग्रन्थान्तरोंके अवतरण ४. पञ्जिकान्तर्गत ग्रन्थान्तरोंके अवतरण ५. मूल ग्रन्थको सूक्तियाँ ६. मूल ग्रन्थगत विशिष्ट-शब्द-सूची ७. व्याख्यान्तर्गत , , , ८. पञ्जिकान्तर्गत , ,, ,, ९. चं० च० में प्रयुक्त छन्दोंका विवरण १०. संकेत-विवरण २९-३१ ३२ ३४-४१ १-४५९ ४६०-४६१ ४६३-५६० ४६३-५०६ ५०७-५२९ ५३०-५४० ५४१-५४४ ५४५-५४९ ५५०-५५६ ५५७ ५५७ ५५८ ५५९-५६० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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