Book Title: Bruhadgacchiya Lekh Samucchay Author(s): Shivprasad Publisher: Omkarsuri Gyanmandir View full book textPage 8
________________ बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय (१) ऋषभदेव-पंचतीर्थीः संवत् ११४३ वैशाख सुदि ३ बृहस्पतिदिने श्रीवीरनाथदेवस्य श्रावको नाम। जरुक: कारयामास सह्येवं --------- देवि मनातु। श्रीअजितदेवाख्यसूरिशिष्येण सूरिणा श्रीमद्विजयसिंहेन जिनयुग्मं प्रतिष्ठितं बृहद्गच्छे । (२) शिलालेख संवत् ११४८ आषाढ़ सुदि ७ बुधे, श्रीपार्श्वनाथदेवस्य पाहाडेन सुधी ( ? म) ना (ता) । संतुकसुतसुज्जेन प्रतिमेयं कारिता सु (शु) भा ॥ १ ॥ श्रीवटपालसद्गच्छे श्रीसर्वदेवसूरिभिः। विहितो वासनिक्षेपः श्रीमदादिजिनालये ॥ २ ॥ (३) ऋषभदेवः ___ सं. ११८७ फागुण वदि ४ सोमे भद्रसिणकद्रा स्थानीय प्राग्वाटवंशान्वय श्रे० वाहिल संताने ---------- संतणागदेव देवचंद्र आसधर आंबा अंबकुमार श्रीकुमार लाखण --------- श्रावक श्राविकासमुदायेन अर्बुदचैत्यतीर्थे रिखभदेवबिंबं निःश्रेयसे कारित। बृहद्गच्छीय श्रीसंविग्नविहारि श्रीवर्द्धमानसूरिपट्टे पद्मसूरि श्रीभद्रेश्वरसूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ (४) शिलालेख सं (वत्) ११८७ (वर्षे) फागु(ल्गु)ण वदि ४ सोमे रूद्रसिणवाडास्थानीय प्राग्वाटवंसा (शा)-न्वये श्रे० साहिलसंताने पलाद्वंदा (?) श्रे० पासल संतणाग देवचंद आसधर आंबा अंबकुमार श्रीकुमार लोयण प्रकृति श्वासिणि शांतीय रामति गुणसिरि प्रडूहि तथा १. ऋषभदेव का मन्दिर, कोरटा, प्रा०ले० सं०, लेखांक ३. २. शांतिनाथ जिनालय, कुंभारिया की ५वी देवकुलिका का लेख, आ०अ०कु०, लेखांक २६-१४६. ३. विमलवसही, आबू, प्रा० जे०ले०सं०, भाग २, लेखांक, १८४. ४. विमलवसही, आबू, अ० प्रा००ले०सं० (आबू, भाग-२) लेखांक ११४.Page Navigation
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