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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय
संकलन डॉ० शिवप्रसाद
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ॐकारसूरि ज्ञानमंदिर ग्रंथावली क्रमांक - ७३
बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय
डॉ. शिवप्रसाद
प्रकाशक ॐकारसूरि ज्ञानमंदिर सुभाषचौक,
गोपीपुरा, सुरत
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय
वि०सं० २०७० ई० स० २०१३ मूल्य : १००-००
प्राप्तिस्थान
आ. ॐकारसरि ज्ञानमंदिर, सुभाषचौक, गोपीपुरा, सुरत - ३९५००१. ई-मेल : omkarsuri@rediffmail.com
mehta_sevantilal@yahoo.co.in (मो.) ९८२४१५२७२७ (सेवंतीभाई मेहता)
विजयभद्रचेरिटेबलट्रस्ट पार्श्वभक्तिनगर, भीलडीयाजी, बनासकांठा (गुजरात)
मोतीलाल बनारसीदास ४०-यूए, बंगलो रोड, जवाहरनगर, दिल्ली.
सरस्वती पुस्तक भंडार हाथीखाना, रतनपोल, अहमदाबाद-३८० ००१.
मुद्रक : किरीट ग्राफिक्स, अहमदाबाद-१. दूरभाष : ०९८९८४९००९१ ई-मेल : kiritgraphics@yahoo.com
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प्रकाशकीय
पू.आ.भ. विजय अरविंदसूरि म.सा. पू. आ. भ. यशोविजयसूरि म.सा., पू.आ.भ. मुनिचन्द्रसूरि म.सा. आदिना मार्गदर्शन मुजब अमारी ग्रंथमाळामां विविध पुस्तको प्रगट थतां रहे छे.
इतिहासना पण अगत्यना ग्रंथो प्रकाशित करवा अमे सद्भागी बन्या छीए.
जैन संस्कृत साहित्यनो इतिहास भाग १ - २ - ३, पाइय ( प्राकृत ) भाषाओ अने साहित्य ( श्री हीरालाल र. कापडिया ), जैन साहित्यनो संक्षिप्त इतिहास ( मोहनलाल द. देसाई), जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास भाग १ - २ ( डो. शिवप्रसाद ) प्रगट थया छे. एज कडीमां प्रस्तुत डो. शिवप्रसाद लिखित 'बृहदगच्छीय लेख समुच्चय' प्रगट करतां आनंद थाय छे.
इतिहास आपणी संस्कृतिनुं मूळ छे. ओनी जाणकारी मेळववी जरुरी छे.
'बृहद्गच्छ का इतिहास' (डो. शिवप्रसाद) पण टूंकमां प्रगट थई रह्यो छे.
बृहद्गच्छ (वडगच्छ ) मां घणां विद्वानो थया छे. घणी प्रतिष्ठाओ आ गच्छना आचार्यो व ना हस्ते थइ छे. प्रस्तुत ग्रंथमां अनुं सुरेख चित्र मले छे.
इतिहासनुं ज्ञान मेळवी महापुरुषो प्रत्ये आदरभावमां वृद्धि थाय एज मंगल कामना.
ली. प्रकाशक
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आमुख संस्कृति के विकास में जितना महत्त्वपूर्ण स्थान इतिहास का है, ठीक उसी प्रकार उतना ही महत्त्व इतिहास में साक्ष्यों का है । प्रामाणिकता के अभाव में इतिहास धीरे-धीरे किन्वदन्तियों का रूप ग्रहण कर लेता है ।
इतिहास के साक्ष्यों की विभिन्न कड़ियों में एक है शिलाओं और मूर्तियों पर उत्कीर्ण लेख । जैन प्रतिमाओं पर उत्कीर्ण लेख महत्त्वपूर्ण सूचनाओं के स्रोत हैं । प्रतिष्ठापित जिनप्रतिमाओं पर उत्कीर्ण लेखों से अनेक महत्त्वपूर्ण बिन्दु स्वतः प्रामाणित हो जाते हैं । उनके निर्माता उपासकों का समय, उनकी ज्ञाति, उनका गोत्र तथा आचार्यों एवं पदवीधारी मुनिजनों का काल-निर्धारण होने के साथ-साथ गुरु परम्परा भी निश्चित हो जाती है । उनके गच्छ का भी निर्धारण हो जाता है । कुछ लेखों में उस काल के राजाओं तथा ग्रामों-नगरों के नामोल्लेख भी प्राप्त होते हैं । कई विस्तृत शिलालेख प्रशस्तियों में उस राजवंश का और उनके निर्माताओं के वंश का भी वर्णन होता है और उनके कार्यकलापों का भी । ..
२०वीं शताब्दी के प्रारम्भ से ही जैन परम्परा के शिलालेखों-प्रतिमाओं के संकलन को महत्त्व देना प्रारम्भ हुआ और पूरनचन्द नाहर, मुनि जिनविजय, आचार्य बुद्धिसागरसूरि, आचार्य विजयधर्मसूरि, मुनि जयन्तविजयजी, मुनि कान्तिसागरजी, मुनि विशालविजयजी, आचार्य यतीन्द्रसूरिजी, महो० विनयसागरजी, अगरचन्दजी नाहटा, भंवरलालजी नाहटा, नन्दलाल लोढा, प्रवीणचन्द्र परीख, भारती शेलट आदि विभिन्न विद्वानों ने अत्यन्त श्रम के साथ इसे संकलित और सम्पादित कर विभिन्न संस्थाओं से इसे समय-समय पर प्रकाशित कराया । यह प्रक्रिया आज भी जारी है । ___ गच्छ विशेष से सम्बन्धित अभिलेखीय साक्ष्यों के अब तक दो महत्त्वपूर्ण संकलन प्रकाशित हो चुके हैं, इनमें प्रथम है अंचलगच्छीय प्रतिष्ठालेखो, जो श्रीपार्श्व नामक विद्वान् द्वारा संकलित और अखिल भारतीय अचलगच्छ (विधिपक्ष) श्वेताम्बर जैन संघ मुम्बई द्वारा ई०स० १९७१ में प्रकाशित है । इसमें उस समय तक प्रकाशित सभी लेख संग्रहों से सामग्री का कालक्रमानुसार संकलन किया गया है । इसी प्रकार का दूसरा संकलन है खरतरगच्छीय प्रतिष्ठा लेख संग्रह, जो महो० विनयसागरजी द्वारा संकलित और प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर से ई०स० २००६में प्रकाशित है। उसी श्रृंखला में यह तीसरा संकलन है बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय, जो आचार्य श्री मुनिचन्द्रसूरिजी महाराज की प्रेरणा से ऊँकारसूरि आराधना भवन, सुरत से प्रकाशित हो रहा है । प्रस्तुत लेख संग्रह में पाषाण की प्रतिमा. जैसे भ. महावीर की पाषाण प्रतिमा के लिये महावीरः शब्द का प्रयोग किया गया है, जब कि धातु की भ. महावीर प्रतिमा के लिये महावीर पंचतीर्थी शब्द का प्रयोग हुआ है।
प्रस्तुत संकलन में ६ परिशिष्ट भी दिये गये हैं । परिशिष्ट एक के अन्तर्गत सम्बन्धित लेखों के वर्तमान प्राप्तिस्थान का विवरण दिया गया है । परिशिष्ट दो में लेखस्थ आचार्य व मुनिजनों के
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नाम दिये गये हैं । परिशिष्ट तीन में लेखस्थ ज्ञातियों की सूची दी गयी है और परिशिष्ट चार के अन्तर्गत लेखस्थ गोत्रों की सूची है । परिशिष्ट पांच में लेखस्थ सम्वत् सूची दी गयी है । परिशिष्ट ६ के अन्तर्गत आधार सामग्री का अकारादि क्रमसे पूर्ण उल्लेख करते हुए उनके नामों का संक्षिप्तीकरण भी दे दिया गया है, जो इस संकलन में प्रयुक्त हुए हैं । परिशिष्ट के अन्तर्गत जो संख्यायें दी गयी हैं, वे लेखों की हैं । ___इस संकलन को तैयार करने की प्रेरणा आचार्य मुनिचन्द्रसूरिजी से प्राप्त हुई । मुझ पर उनका अत्यन्त स्नेह है । मैं उनके प्रीति का पात्र बन सका यह मेरा सौभाग्य है । अन्त में मैं उन सभी विद्वानों का आभारी हूं जिनकी कृतियों से मुझे सहयोग प्राप्त हुआ है । किरीट ग्राफिक्स के युवा संचालक श्री श्रेणिकभाई और उनके अनुज पियूषभाई ने इसके मुद्रणकार्य को सुन्दर ढंग से पूर्ण किया एवं ऊँकारसूरि आराधना भवन, सुरत ने इसके प्रकाशन की व्यवस्था की । इन सभी के प्रति मैं हृदय से आभार व्यवत करता हूं ।
- शिवप्रसाद
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श्रुतलाभ
श्री सिद्धि-भद्र-ॐकारसूरिभ्यो नमः
श्री सिद्धगिरिनी पावनछायामां पू.आ.भ.श्री अरविंदसूरीश्वरजी म.सा., पू.आ.भ.श्री यशोविजयसूरीश्वरजी म.सा.,
पू.आ.भ.श्री मुनिचन्द्रसूरि म.सा., पू.आ.भ.श्री राजपुण्यसूरि म.सा. पू.आ.भ.श्री भाग्येशविजयसूरि म.सा.
आदिनी निश्रामां
उच्चोसणनिवासी वडेचा नरपतलाल टीलचंद परिवार
__ आयोजित ९९ यात्रा प्रसंगे थयेल ज्ञानद्रव्यनी उपजमांथी प्रस्तुत ग्रंथ
प्रकाशननो लाभ लीधो छे.
अनुमोदना... अनुमोदना... अनुमोदना...
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय
(१) ऋषभदेव-पंचतीर्थीः
संवत् ११४३ वैशाख सुदि ३ बृहस्पतिदिने श्रीवीरनाथदेवस्य श्रावको नाम। जरुक: कारयामास सह्येवं --------- देवि मनातु। श्रीअजितदेवाख्यसूरिशिष्येण सूरिणा श्रीमद्विजयसिंहेन जिनयुग्मं प्रतिष्ठितं बृहद्गच्छे । (२) शिलालेख
संवत् ११४८ आषाढ़ सुदि ७ बुधे, श्रीपार्श्वनाथदेवस्य पाहाडेन सुधी ( ? म) ना (ता) । संतुकसुतसुज्जेन प्रतिमेयं कारिता सु (शु) भा ॥ १ ॥ श्रीवटपालसद्गच्छे श्रीसर्वदेवसूरिभिः।
विहितो वासनिक्षेपः श्रीमदादिजिनालये ॥ २ ॥ (३) ऋषभदेवः ___ सं. ११८७ फागुण वदि ४ सोमे भद्रसिणकद्रा स्थानीय प्राग्वाटवंशान्वय श्रे० वाहिल संताने ---------- संतणागदेव देवचंद्र आसधर आंबा अंबकुमार श्रीकुमार लाखण --------- श्रावक श्राविकासमुदायेन अर्बुदचैत्यतीर्थे रिखभदेवबिंबं निःश्रेयसे कारित। बृहद्गच्छीय श्रीसंविग्नविहारि श्रीवर्द्धमानसूरिपट्टे पद्मसूरि श्रीभद्रेश्वरसूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ (४) शिलालेख
सं (वत्) ११८७ (वर्षे) फागु(ल्गु)ण वदि ४ सोमे रूद्रसिणवाडास्थानीय प्राग्वाटवंसा (शा)-न्वये श्रे० साहिलसंताने पलाद्वंदा (?) श्रे० पासल संतणाग देवचंद आसधर आंबा अंबकुमार श्रीकुमार लोयण प्रकृति श्वासिणि शांतीय रामति गुणसिरि प्रडूहि तथा १. ऋषभदेव का मन्दिर, कोरटा, प्रा०ले० सं०, लेखांक ३. २. शांतिनाथ जिनालय, कुंभारिया की ५वी देवकुलिका का लेख, आ०अ०कु०, लेखांक २६-१४६. ३. विमलवसही, आबू, प्रा० जे०ले०सं०, भाग २, लेखांक, १८४. ४. विमलवसही, आबू, अ० प्रा००ले०सं० (आबू, भाग-२) लेखांक ११४.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय पल्लडीवास्तव्य अंबदेवप्रभृतिसमस्तश्रावकश्राविकासमुदायेन अर्बुदचैत्यतीर्थे श्री रि (ऋषभदेव बिंबं निःश्रेयसे कारितं बृहद्गच्छीय श्रीसंविज्ञविहारि श्रीवर्द्धमानसूरिपादपद्मोप (सेवि) श्रीचक्रेश्वरसूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ मंगलं महाश्रीः ॥ (५) अरिष्टनेमिः
संवत् ११९१ वर्षे फाल्गुन सुदि २ सोमे श्रीअरिष्टनेमिः प्रतिष्ठित: श्रीदेवाचार्यगच्छे श्रीविजयसिंहाचार्येन प्रतिष्ठाकृता जिनदेवगुरुभक्तानां भक्तेन सकलगोष्ठीसु (षु) स्थायित्ये (त्वे) न छेहडेन ब्यं (बिं) बं कृतं सुतो (त:) श्री.................... दुल्लहं सुतेन पुनदेव्योदरो.. (६) मुनिसुव्रतः ___ संवत् १२०० ज्येष्ठ वदि १ शुक्रे म० वीरसंताने महं चाहिल्ल सुत रांणाक । तत्सुत नरसिंहेन कु (टुं) बसहितेनात्मश्रेयोऽर्थं मुनिसुव्रतप्रतिमा कारितेति । प्रतिष्ठिता श्रीनेमिचंद्रसूरिभिः ॥ (७) शांतिनाथः
संवत् १२०४ फाल्गुन वदि ११ कुजे श्रीप्राग्वाटवंशीय श्रे० सहदेवपत्र वटतीर्थवास्तव्यमहं रिसिदेवश्रावकेन स्वपितृव्यसुतभ्रातृ उद्धरण स्वभ्रातृ सरणदेवसुतपूता रिसिदेव (*) भार्या मोहीसुत शुभंकर शालिग बाहड क्रमेण तत्पुत्र धवल घूचू पारसपुत्रपुत्रीप्रभृतिस्वकुटुंबसमेतेन आरासनाकरे श्रीनेमिनाथचैत्ये मुखमंडपखत्तके श्री (*) शांतिनाथबिंबं आत्मश्रेयसे कारितं ॥ श्रीचंद्रबृहद्गच्छे श्रीवर्धमानसूरीयैः श्रीसंविग्नविहारिभिः प्रतिष्ठितमिदं बिंबं श्रीचक्रेश्वरसूरिभिः।।। (८) आदिनाथः
ॐ ॥ संवत् १२०५ ज्येष्ठ सुदौ ९ भौमे नीतोडकवास्तव्य प्राग्वाटवंशसमुद्भव श्रेष्ठी ब्रह्माकसत्क सत्पुत्रेण देवचं (*) द्रेण अंबा वीर तनुजसमत्वितेन श्रेयोमालानिमित्तं आत्मनः श्रीयुगादिदेवप्रतिमा कारिता श्रीबृहद्गच्छे (*) मेरुकल्पतरुकल्पपूज्यश्री बुद्धिसागरसूरिविनेयानां श्रीअभयदेवसूरीणां शिष्यैः श्रीजिनभद्रसूरिभिः प्रतिष्ठित।। ५. अरिष्टनेमि की प्रतिमा का लेख, नेमिनाथ जिनालय, कुंभारिया, आ०अ०कु०, परिशिष्ट, लेखांक १. ६. विमलवसही, आबू, अ० प्रा० जै० ले० सं०, (आबू-भाग-२) लेखांक ५३. ७. नेमिनाथ का मन्दिर, कुंभारिया, आ०अ० कु., परिशिष्ट, लेखांक ३. ८. नेमिनाथ का मन्दिर, कुंभारिया, आ०अ० कु., परिशिष्ट, लेखांक ७.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय (९) पार्श्वनाथः
संवत् १२०५ ज्येष्ठ सुदि ९ भौमे प्राग्वाटवंशज श्रे० नींबकसुत श्रे० सोहिकासत्क सत्पुत्र श्रीवच्छेन श्रीधर निजानुजसहितेन (*) स्वकीयसामंततनूजानुगतेन स्वजननी जेइकाश्रेयसे आत्मकल्याणपरंपराकृतये च अन्येषां चात्मीयबन्धूनां भाग्यहे (?) (*) निवहनिमित्तं श्रीमन्नेमिजिनराजचैत्ये श्रीपार्श्वनाथबिंबं कारापितं श्रीबृहद्गच्छगगनांगणसोमसमानपू (*) ज्यपादसुगृहीतनामधेय श्रीबुद्धिसागरसूरिविनेयानां श्रीअभयदेवसूरीणां शिष्यैः श्रीजिनभद्रसूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥
३
(१०) महावीर चौबीसी - धातु
संवत् १२०७ वर्षे माघ सुदि ५ शुक्रे श्रे० वढपाल श्रे० (?) जमदेवाभ्यां श्रेयार्थं पुत्र सालदेवेन भ्रातृ प्रनसिंह समेतेन चतुर्विंशतिपट्टकारितः प्रतिष्ठित बहदहछीयैः (बृहद्गच्छीयैः) श्रीशांतिप्रभसूरिभिः ।
(११) नेमिनाथ:
ॐ । संवत् १२०८ फागुण सुदि १० रवौ श्रीबृहद्गच्छीयसंविग्नबिहारी (रि) श्रीवर्धमानसूरिशिष्यैः श्रीचक्रेश्वरसूरि ( * ) भिः प्रतिष्ठितं प्राग्वाटवंशीय श्रे० पूतिग सुत श्रे० पाहडेन वीरक भा० देझली भार्या पुत्र यशदेव पूल्हण पासू पौत्र ( * ) पार्श्ववधादिमानुषैश्च समेतेन आत्मश्रेयसे आरासनाकरे श्रीनेमिनाथचैत्यमुखमंडपे श्रीने ( * ) मिनाथबिंबं कारितं इति मंगलं महाश्रीः ॥
(१२) सुपार्श्वनाथः
संवत् १२१४ फाल्गुन वदि ७ शुक्रवारे श्रीबृहद्गच्छोद्भवसंविग्नविहारि श्रीवर्धमानसूरीयश्रीचक्रेश्वरसूरिशिष्य श्रीपरमानंदसूरिसमेतैः प्रतिष्ठितं
।। तथा पुरा नंदिग्रामवास्तव्यप्राग्वाटवंशोद्भव महं० वरदेव तत्सुत वनुयतत्सुत वा तद्भार्या दुल्हेवीसुतेन आरासनाकरस्थितेन श्रे० कुलचंद्रेण भ्रातृ रावण
९.
नेमिनाथ का मन्दिर, कुंभारिया, आ०अ० कु., परिशिष्ट, लेखांक ८.
१०. प्रमोद कुमार त्रिवेद्वी " गुजरात से प्राप्त कुछ महत्त्वपूर्ण जैन प्रतिमायें", पं० दलसुखभाई मालवणिया अभिनन्दन ग्रन्थ, वाराणसी १९९१ई०, हिन्दी खण्ड, पृष्ठ १७४.
११. नेमिनाथ जिनालय, आरासणा, आ० अ० कु., परिशिष्ट, लेखांक ११. १२. नेमिनाथ का मन्दिर, आरासणा, आ०अ० कु.,
परिशिष्ट, लेखांक १३.
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४
बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय
वीरूय पुत्र घोसल पोहडि भ्रातृव्य बुहा० चंद्रादि । तथा पुनापुत्र पाहड ( ? ) वीरा पाहडपुत्र जसदेव पूल्हण पासू तत्पुत्र पारस पासदेव शोभनदेव जगदेवादि वीरापुत्र छाहड आमदेवादि सूमासुत साजन तत्पुत्र प्रभृति गोत्रस्वजनसंतुकं फु (?) पुनदेव सावदेवादि दूल्हेवि राजी सलखणी वाल्हेवि आपी रतनी फूदी सिरी साती रूपिणि देवसिरि प्रभृतिकुटुंबसमेतेन श्रेयोर्थं श्रीअरिष्टनेमिचैत्ये श्रीसुपार्श्वजिनबिंबमिदं कारापितमिति ॥
(१३) पार्श्वनाथः
परमानंदसूरिसमेतैः
संवत् १२१४ फागुण वदि ७ शुक्रवारे श्रीबृहद्गच्छोद्भवसंविग्नविहारि श्रीवर्धमानसूरीय श्रीचक्रेश्वरसूरिशिष्य प्रतिष्ठितं। तथा पुरा नंदिग्रामवास्तव्यप्राग्वाटवंशोद्भवमहं ० वरदेव तत्सुत वनुय तत्सुत वाड तत्सु तद्भार्या दुल्हेवीसुतेन आरासनाकरस्थितेन श्रे० कुलचन्द्रेण भ्रातृ रावण वीरूयपुत्र घोषल पोहडि भ्रातृत्य बुहा० चन्द्रादि । तथा पुनापुत्र पाहड ( ? ) वीरा पाहडपुत्र जसदेव पूल्हण पासू तत्पुत्र पारस पासदेव शोभनदेव जगदेवादि वीरापुत्र छाड आमदेवादि सूमासुत साजन तत्पुत्रप्रभृति गोत्रस्वजनसंतुकं फु (?) पुनदेव सावदेवादिदुल्हेवि राजी सलखणी वाल्हेवि आपी रतनी फूदी सिरी साती रूपिणि देवसिरि प्रभृतिकुटुंबसमेतेन श्रेयोर्थं श्रीअरिष्टनेमिचैत्ये श्रीपार्श्वजिनबिंबं कारापितमिति ॥
(१४) नेमिनाथः
(१) संवत् १२१५ ॥ वैशाख शुदि १० भौमे वीसाडास्थाने श्रीमहावीर चै( त्ये समु)दा(२) यसहितैः देवणाग नागड जोगडसुतैः देम्हाज धरण जसचंद्र ज
(३) सदेव जसधवल जसपालैः श्रीनेमिनाथबिंबं कारितं ॥ बृह (गच्छी)(४) य श्रीमद्देवसूरिशिष्येण पं० पद्मचन्द्रगणिना प्रतिष्ठितं । (१५) शिलालेख
(१) संवत् १२१५ वैशाख शुदि १० भौमे वीसाडास्थाने श्रीमहावीरचैत्ये समुदायस(२) हितैः देवणाग नागड जोगडसुतै: देम्हाज धरण जसचंद्र जसदेव
१३. नेमिनाथ का मन्दिर, आरासणा, आ०अ० कु., परिशिष्ट, लेखांक १४. १४. पद्मप्रभजिनालय, नाडोल, प्रा०जै० ले०सं०, भाग २, लेखांक ३६४. १५. जैन मन्दिर, नाडोल, प्रा०जै० ले०सं०, भाग २, लेखांक ३६५.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय
(३) जसधवल जसपालैः श्रीशांतिनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं बृहद
(४) च्छीय श्रीमन्मुनिचंद्रसूरिशिष्य श्रीमद्देवसूरिविनेयेन पाणिनीय पं० पद्मचं(५) द्रगणिना यावद्दिवि चंद्ररवी स्यातां धर्मो जिनप्रतीतोस्ति ताव (ज्जी) यादेत - (६) (ज्जि) नयुगलं वीरजिनभुवने ।।
(१६) पार्श्वनाथ- पंचतीर्थी
॥ सं. १२१५ माघ वदि ४ शुक्रे । सागरतनुजयशोभद्रनामा श्रीपार्श्वनाथजिनपिंपं (बिंबं) । पुत्र यशःपालच्छिरदेवीभार्या सप्तं चक्रे ।। श्रीहेमचन्द्रसूरि (णा) प्रत्रि (ति) ट (fo) all
(१७) शिलालेख
संवत् १२१६ वैशाख सुदि २ श्रे० पासदेवपुत्र वीरापुनाभ्यां भ्रातृजेहडश्रेयोर्थं श्रीपार्श्वनाथप्रतिमेयं कारिता श्रीनेमिचन्द्राचार्यशिष्यैः श्रीदेवाचार्यैः प्रतिष्ठिता ।।
(१८) शांतिनाथ - पंचतीर्थी
॥ संवत् १२२० आषाढ़ सुदि १० श्रीबृहद्गच्छे श्रे० जसहड़ पुत्र दूसलेन माता प्रियमति श्रेयार्थं शांतिनाथ प्रतिमा कारिता प्रतिष्ठिता सूरिभिः ।
(१९) तीर्थंकर - पंचतीर्थी
सं. १२२७ (?) ठ०
बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीधनेश्वरसूरिभिः ।
(२०) जिनप्रतिमा - पंचतीर्थी
संवतु १२३४ गोला भत सावड़ तत्पुत्र थिरादेवेन सावड़ श्रेयोर्थं प्रतिमाकारिता बृहद्गच्छीयैः श्रीधनेश्वरसूरिभिः प्रतिष्ठिता ।
१६. सीमंधरस्वामी का मंदिर, तालावाले की पोल, सूरत, प्रा०ले०सं०, लेखांक १८. १७. पार्श्वनाथ का मंदिर, कुंभारिया, आ० अ० कुं०, परिशिष्ट, लेखांक ४-९१.
१८. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, १९. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर,
बीकानेर, बी० जे०ले०सं०, लेखांक ८४. बीकानेर, वही, लेखांक ८९.
२०.
बीकानेर, वही, लेखांक ९१.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय (२१) पार्श्वनाथ-पंचतीर्थी
संवत् १२३६ वर्षे फागुण वदि ३ गुरौ श्रे० वोसरि सुत वरश्रावक आसदेवस्य स्वपितुः श्रेयोर्थं लिंबदेवआस ------------- पार्श्वनाथबिंबं कारितं बृहद्गच्छीय श्रीअभयदेवसूरिविनेय श्रीजिनभद्रसूरि श्रीधनेश्वरसूरिभिः श्रीधृतिप्रदं प्रतिष्ठितं मंगलं महाश्री:। (२२) पाषाण मातृपट्टिका
पट्टः श्री शं.. ......................१२३८ वर्ष माघ सुदि ३शनौ श्रीसोमप्रभसूरिर्जिनमातृपट्टिका प्रतिष्ठिता.............................त्राभ्यां राजदेव । रत्नाभ्यां स्वमातु.....................॥ कल्याणमस्तु श्रीसंघस्य ॥ (२३) शिलालेख ____संवत् १२४५ वर्षे वैशाख वदि ५ गुरौ श्रीबृहद्गच्छेश्रीमदारासणसत्क श्रीयशोदेवसूरिशिष्य श्रीदेवचंद्रसूरिभिः श्रीश्रेयांसप्रतिमा प्रतिष्ठिता। प्राग्वाटज्ञातीय महामात्य श्रीपृथ्वीपालसत्कप्रतीहार पूनचंद ठ० धामदेव भ्रातृ सिरपाल भ्रातृव्यक देसल ठ० जसवीर धवल ठ० देवकुमार ब्रह्मचंद्र ठ० आमचंद्र लखमण गुणचंद्र परमार वनचंद्र ठ० डुंगरसी आसदेव ठ० चाहड गोसल बीसल रामदेव आसचंद्र जाजा प्रभृतीनां । (२४) पार्श्वनाथः __संवत् १२४५ वर्षे वैशाख वदि ५ गुरौ श्रीबृहद (गच्छे) श्रीमदारासनसत्क श्रीयशोदेवसूरिशिष्य श्रीदेवचंद्रसूरिभिः श्रीधर्मनाथप्रतिमा प्रतिष्ठिता। (२५) कुन्थुनाथः
संवत् १२४५ वर्षे वैशाख वदि ५ गुरौ श्रीयशोदेवसूरिशिष्यैः श्रीदेवचंद्रसूरिभिः श्रीकुंथुनाथ प्रतिमा प्रतिष्ठिता। (२६) मल्लिनाथः
संवत् १२४५ वर्षे वैशाख वदि ५ गुरौ श्रीयशोदेवसूरिशिष्यैः श्रीदेवचंद्रसूरिभिः श्रीमल्लिनाथप्रतिमा प्रतिष्ठिता। २१. नेमिनाथ का मंदिर, कुंभारिया, आ० अ० कुं० जी तीर्थ, लेखांक १५. २२. देवकलिका क्रमांक ५५ शंखेश्वर पार्श्वनाथ जिनालय, शंखेश्वर - शं.म.ती., लेखांक-९, पेज-१८४ २३. विमलवसही, आबू, प्रा०जै०ले०सं०, भाग २, लेखांक १९२. २४. विमलवसही, आबू, प्रा०जै०ले०सं०, भाग २, लेखांक १९५. २५. विमलवसही, आबू, प्रा०जै०ले०सं०, भाग २, लेखांक २००. २६. विमलवसही, आबू, प्रा० जे०ले०सं०, भाग २, लेखांक २०४.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय (२७) वासुपूज्यः
संवत् १२४५ वर्षे वैशाख वदि ५ गुरौ श्रीबृहद्गच्छे श्रीमदारासन सत्क श्रीयशोदेवसूरिशिष्यैः श्रीदेवचंद्रसूरि-भिर्वासुपूज्यप्रतिमा प्रतिष्ठिता । (२८) अजितनाथः ___ संवत् १२४५ वर्षे वैशाख वदि ५ गुरौ श्रीयशोदेवसूरिशिष्यैः श्रीदेवचंद्रसूरिभिः श्रीअजितनाथप्रतिमा प्रतिष्ठिता। (२९) नेमिनाथः
___ संवत् १२४५ वर्षे वैशाख वदि ५ गुरौ श्रीबृहद्गच्छे श्रीमदारासनक सत्क श्रीयशोदेवसूरि शिष्यैः श्रीदेवचंद्रसूरिभिः श्रीनेमिनाथप्रतिमा प्रतिष्ठिता कारिता च पुत्र महं० आमवीर श्रेयोर्थं ठ० श्रीनागपालेन। (३०) पार्श्वनाथ-पंचतीर्थीः ___सं० १२४९ ज्येष्ठ सु० १०श्री ऊकेशवंशीय संघपति सावडभार्या धणसी श्रेयसे तत्पुत्रेः नारद प्रभृतिभिः श्रीपार्श्वनाथबिंब (बं) कारित (तं) श्री बृहद्गुरु श्री मुनिरत्नसूरिभिः। (३१) पार्श्वनाथ-पंचतीर्थीः
संवत् १२५१ वैशाख सुदि ९ श्रीवच्छ भार्या सूहव तत्पुत्र आसदेव यशोदेव य (श) श्चंद्र श्रीवच्छेन आत्मश्रेयोर्थं बिंब कारितं प्र० श्रीदेवाचार्गीयश्रीहेमसूरिभिः।। (३२) पार्श्वनाथ-पंचतीर्थीः
सं. १२६० वर्षे आषाढ़ वदि २. सोमे बृहद्गच्छे श्रे० राणिगेन पुत्र पाल्हण देल्हण जाल्हण आल्हण सहितेन भार्या वासली श्रेयोर्थं श्रीपार्श्वनाथ बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं हरिभद्रसूरि शिष्यैः श्रीधनेश्वरसूरिभिः।। २७. विमलवसही, आबू, प्रा० जे०ले०सं०, भाग २, लेखांक २०५. २८. विमलवसही, आबू, प्रा० जे०ले०सं०, भाग २, लेखांक २०७. २९. विमलवसही, आबू, प्रा००ले०सं०, भाग २, लेखांक २०८. ३०. वासुपूज्य जिनालय, शेख पाडो,अहमदाबाद, Jain Image linscripations of Ahmedabad .
(J. I. I. A.), No. 2. ३१. महावीरस्वामी का मंदिर, अजारी, अ० प्रा००ले०सं०, (आबू, भाग ५) लेखांक ४१६. ३२. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणिजी का मंदिर, बीकानेर, बी०जै० ले०सं०, लेखांक १०५.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय
(३३) शिलालेख
(१) ओं ।। संवत् १२२१ श्रीजावालिपुरीयकांचर्नी (ग) रिगढस्योपरि प्रभुश्रीहेमसूरिप्रबोधितश्रीगूर्ज्जर-धराधीश्वरपरमार्हतचौल्लक्य
(२) महारा(ज)ाधिराजश्री (कु) मारपालदेवकारिते श्रीपा (र्श्व) नाथसत्कमू(ल) विंव (बिंब)सहितश्रीकुवरविहाराभिधाने जैनचैत्ये । सद्विधिप्रव (र्त्त )नाय वृ(बृहद्गच्छीयवा
(३) दींद्रश्रीदेवाचार्याणां पक्षे आचंद्राक्कं समर्पिते ॥ सं० १२४२ वर्षे एतद्देसा (शा) धिपचाहमानकुलतिलकम- हाराजश्रीसमरसिंहदेवादेशेन भां० पासूपुत्र भां० यशो
(४) वीरेण स (मु)द्धृते श्रीमद्राजकुलादेशेन श्रीदे ( वा )चार्यशिष्यैः श्रीपूर्णदेवाचार्यैः । सं० १२५६ वर्षे ज्येष्ठसु० ११ श्रीपार्श्वनाथदेवे तोरणादीनां प्रतिष्ठाकार्ये कृते ।
मूलशिख
(५) रे व (च) कनकमयध्वजादंडस्य ध्वजारोपणप्रतिष्ठायां कृतायां ॥ सं० १२६८ वर्षे दीपोत्सवदिने अभिनव - निष्पन्नप्रेक्षामध्यमंडपे श्रीपूर्णदेवसूरिशिष्यैः श्रीरामचंद्राचार्यै (:) सुवर्णमयकलसारोपणप्रतिष्ठा कृता ।। सु (शु)भं भवतु ॥
(३४) तीर्थङ्कर की धातु प्रतिमा
सं. १२७३ ठ०
(३५) आदिनाथ- पंचतीर्थी:
संवत् १२७५ ज्येष्ठ सुदि १३ भौमे श्रे० साढापुत्रहरिश्चन्द्रेण स्वश्रेयोऽर्थं श्रीआदिनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं बृहद्गच्छीयश्रीहरिभद्रसूरिशिष्यैः श्रीधनेश्वरसूरिभिः ॥ (३६) धातु - प्रतिमा
य बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीधनेश्वरसूरिभिः ।
सं. १२७९ वैशाख सुदि ३ बुधे श्रे० आसधर पुत्र बहुदेव वोडाभ्यां भगिनी भूमि सहिताभ्यां स्व श्रेयोर्थं प्रतिमा कारिता प्रतिष्ठिता श्रीहरिभद्रसूरि शिष्यैः श्रीधनेश्वरसूरिभिः ।।
३३. तोपखाना, जालोर, प्रा०जै० ले०सं०, भाग २, लेखांक ३५२.
३४.
३५.
भण्डारस्थ जिनप्रतिमा, चिन्तामणिजी का मंदिर, बीकानेर, बी०जै०ले०सं०, लेखांक ११४. चिन्तामणि पार्श्वनाथ जिनालय, खंभात, जै०धा०प्र०ले०सं०, भाग २, लेखांक ५५५. भण्डारस्थ जिनप्रतिमा, चिन्तामणिजी का मंदिर, बीकानेर, बी०जै० ले०सं०, लेखांक ११६.
३६.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय (३७) आदिनाथ-पंचतीर्थी
सं. १२८४ वैशाख वदि सोमे श्रीमालज्ञातीय श्रे० जसवीरेण जीवितस्वामी श्रीआदिनाथ कारापितं बृहद्गच्छे श्रीधर्मसूरि शिष्य श्रीधनेश्वरसूरिभिः प्रतिष्ठितं।। (३८) शिलालेख
संवत् १२८८ वर्षे चैत्र वदि ३ शुक्रे धर्कटवंशीय वाहटि सुत श्रे० भानू सुत श्रे० भाइलेन श्रे० लिंबा भ्रात केल्हण देदा अचल भावदेव बाहड़ भादा वोहडि वोसरि पाल्हण कोहल सांवत जक्षदेव धीणा ।। ऊधरण जगसीह विजय (सिं) सीह भोजा प्रभृति कुटं(टुं)ब सहितेन श्रीशांतिनाथबिंबं कारितं ॥ प्रतिष्ठितं वृ(बृ)हद्गच्छीय वादि श्रीदेवसूरिसंताने श्रीपूर्णभद्रसूरिशिष्यैः श्रीपद्मदेवसूरिभिः ॥ (३९) चतुर्विंशतिपट्ट
संवत् १२९० वर्षे माघ सुदि ५ शुक्रे श्रे० वढपाल श्रे० जगदेवाभ्यां श्रेयो) पुत्र सामदेवेन भ्रातृ पून सिंह समेतेन चतुर्विंशति पट्ट कारित: प्रतिष्ठितं बृहद्गच्छीयैः श्रीशांतिप्रभसूरिभिः।। (४०) देवकुलिका का लेख
॥ स्वस्ति श्रीनृपविक्रमसंवत् १२९३ वर्षे चैत्र वदि ८ शक्रे अद्येह श्रीअर्बुदाचलमहातीर्थे अणहिल (ल्ल) पुरवास्तव्य श्रीप्राग्वाटज्ञातीय ठ० श्रीचंडप ठ० श्रीचं (*) ॥ ड प्रसाद महं० श्रीसोमान्वये ठ० श्रीआसराज सुत महं० श्रीमल्लदेव महं० श्रीवस्तुपालयोरनुज मह० श्रीतेज:पालेन कारित श्रीलूणसीहवसहि (*) ॥ कायां नेमिनाथदेवचैत्ये जगत्यां चंद्रावतीवास्तव्य प्राग्वाट्ज्ञातीय महं० कउडि सुत श्रे० साजणेन स्वपितृव्यकसुत भ्रातृ० वरदेव । कडूया । धामा (*) देवा सीहड। तथा भ्रातृज आसपाल प्रभृतिकुटुम्बसहितेन श्रीनागेन्द्रगच्छे श्रीविजसेनसूरिप्रतिष्ठित ऋषभदेवप्रतिमालंकृता देवकुलिकेयं कारिता ॥छ।। (*) बाई देवइ । तथा रतनिणि । तथा झणकू । तथा वडग्रामवास्तव्य प्राग्वाट्ज्ञातीय व्यव० मूणचन्द्र भार्या लीविणि मांटवास्तव्य व्यव० जयता।
३७. भण्डारस्थ जिनप्रतिमा, चिन्तामणिजी का मंदिर, बीकानेर, बी० जे०ले०सं०, लेखांक १२३. ३८. विमलवसही, आबू, अ० प्रा० जै०ले०सं०, (आबू - भाग -२) लेखांक १२५. ३९. रेनूपुर तीर्थ, मारवाड़, जै० ले०सं०, भाग १, लेखांक ७०२., जैनमन्दिर, राणकपुर, प्रा०ले०सं०,
लेखांक ३५. ४०. लूणवसही, आबू अ० प्रा० जे०ले०सं० (आबू - भाग २), लेखांक २८९.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय आंबवीर । विजइपाल । (*) ॥ दूती वीरा । साजण भार्या जालू । दुती सरसइ श्रीवडगच्छे श्रीचक्रेश्वरसूरिसंतानी(य)स्रा(श्रा)वक साजणेन कारिता ॥ (४१) पार्श्वनाथः
__ सवंत् १२९३ वर्षे श्रीवृ (बृ) हृद्गच्छे वादिश्रीदेवसूरिसंताने श्रे० भइल.....पु० भाटा (दा ?)केन श्रीपार्श्वनाथ बिंब करित। प्रतिष्ठितं श्रीपद्मदेवसूरिभि ॥छ।। (४२) शिलालेख
०। संवत् १३०५ वर्षे वैशाख शुदि ३ शनौ श्रीपत्तनवास्तव्य श्रीमालज्ञातीय ठ० वा (चा) हड सुत महं० पद्मसिंह पुत्र ठ० पथिमिदेवी अंगज (महणसिंहा) नुज महं० । श्रीसामतसिंह तथा महामात्य श्रीसलखणसिंहाभ्यां श्रीपार्श्वनाथबिंबं पित्रोः श्रेयसेऽत्र कारितं ततो बृहद्गच्छे श्रीप्रद्युम्नसूरिपटोद्धरण श्रीमानदेवसूरि शिष्य श्रीजयानं (द सूरिभिः) प्रतिष्ठितं ॥ (४३) महावीरः ___ संवत् १३०७ वर्षे ज्येष्ठवदि ५ गुरौ श्रीबृहद्गच्छे वादि श्रीदेवसूरिसंताने श्रे० भाइल सुत वोसरिणा श्रीमहावीरबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीपूर्णभद्रसूरिशिष्यैः श्री(ब्रह्मदेवसूरिभिः।।
(४४) शिलालेख ___ॐ । संवत् १३१० वर्षे चैत्र वदि २ सोमे प्राग्वाटान्वय श्रे० छाहड़भार्या वीरीपुत्र श्रे० ब्रह्मदेवभार्या लषमिणि भ्रातृ श्रे० सरणदेवभार्या सूहवपुत्र श्रे० वीरचंद्रभार्या सुषमिणि भ्रातृ श्रे० पासडभार्या पद्मसिरि भ्रातृ श्रे० आंबडभार्या अभयसिरि भ्रातृ श्रे० राम्बण १ पूनाभार्या सोहगपुत्र आसपाल भार्या वस्तिणिपुत्र बीजापुत्र महणसीहपुत्र जयतापुत्र कर्मसीहपुत्र अरसीह लूणसीभार्या हीरूपुत्र पुनासहितेन श्रीनेमिनाथचैत्ये श्रीसत्तरिसयबिंबान् कारापितः ।। बृहद्गच्छीयश्रीअभयदेवसूरिसि(शिष्यः. श्री जिनभद्रसूरि(शिष्यः श्रीशांतिप्रभ४१. हस्तिशाला, विमलवसही, आबू, अ० प्रा० जे०ले०सं० (आबू, भाग २), लेखांक २३१. ४२. पार्श्वनाथ की प्रतिमा के नीचे चरणचौकी पर उत्कीर्ण लेख, वस्तुपाल द्वारा निर्मित मंदिर, गिरनार,
प्रा००ले०सं०, भाग २, लेखांक ५३. ४३. लूणवसही, अ० प्रा०जै० ले०सं०, (आबू भाग २), लेखांक ३३३. ४४. नेमिनाथ मंदिर, कुंभारिया, आ०अ०कु०, परिशिष्ट, लेखांक १८.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय
सूरिसि (शि) ष्यः श्रीरत्नप्रभसूरि (शि) ष्यः श्रीजिनभद्रसूरि सि (शि) ष्यः श्री शांतिप्रभसूरिसि (शि)ष्यः श्रीरत्नप्रभसूरि (शि) ष्यः श्रीहरिभद्रसू (रि) शिष्यः श्रीपरमानन्दसूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ शुभं भवतु श्रीसंघस्य कारापकस्थ देवगुरुप्रसादात् ॥
(४५) शांतिनाथ - पंचतीर्थी
शुदि ८ शुक्रे प्राग्वाटज्ञातीय श्रे० उदा भार्या श्रीशांतिबिंबं कारितं श्रीबृहद्गच्छे श्रीमानदेवसूरिभिः ।।
सं. १३१० आल्हदेव
(४६) यंत्रलेख
संवत् १३१० सत्तरीसययंत्रक (कं) बृहद्गच्छी (य) श्री अभयदेवसूरिशिष्य श्रीजिनभद्रसूरिशिष्य श्रीशांतिप्रभसूरिशिष्य श्रीहरिभद्रसूरिशिष्य श्रीपरमाणंदसूरिभिः प्रतिष्ठितं ।। (४७) आदिनाथ:
ॐ । सं. १३१४ वर्षे ज्येष्ठ सुदि सोमे आरासनाकरे श्रीनेमिनाथचैत्यै बृहद्गच्छीय श्रीशांतिप्रभशिष्यैः श्रीरत्नप्रभसूरिपट्टे श्रीहरिभद्रसूरिशिष्यैः श्रीपरमानंदसूरिभिः प्रतिष्ठितं प्राग्वाटान्वये श्रे० माणिभद्रभार्या माऊ पु० थिरदेव धामडभार्या कुमारदेविसुत आसचंद्र वा० मोहिणि चाहिणि, सीतू दि० भार्या लखमिणी पुत्र कुमरसीहभार्या लाडीपुत्र कडुआ पु० कर्मिणि जगसीहभार्या सहजू पु० आसिणि बाइ आल्हणिकुटुंबसमुदायेन श्रे० कुमारसीह जगसीहाभ्यां पितृ-मातृश्रेयोर्थं श्रीआदिनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं च मंगलमस्तु श्रमणसंघस्य कारापकस्य च ।। शुभमस्तु ॥
११
(४८) शिलालेख
ॐ । संवत् १३१४ वर्षे ज्येष्ठ सुदि २ सोमे आरासनाकरे श्रीनेमिनाथचैत्ये बृहद्गच्छीय श्रीशांतिप्रभसूरिशिष्य श्रीरत्नप्रभसूरिशिष्य श्रीहरिभद्रसूरिशिष्य श्रीपरमानंदसूरिभिः प्रतिष्ठितं प्राग्वाटान्वय श्रे० मणिभद्रभार्या माऊपुत्र थिरदेव धामड थिरदेवभार्या रूपिणि पुत्र वीरचंदभार्या वाल्ही सु० वीदाभार्या सहजूसुत वीरपालभार्या रत्निणिसुत आसपाल बाइ
४५. भाभापार्श्वनाथ देरासर, पाटण, जै०धा० प्र०ले० सं०, भाग ४६. जैन मंदिर, आरासणा, मुनि विशालविजय, आ०अ०कु०, ( आबू- भाग ५), लेखांक २५.
४७. आ०अ०कु०, परिशिष्ट, लेखांक २१. ४८. वही, लेखांक २२.
१, लेखांक २२६. लेखांक ७,
तथा अ० प्र०जै० ले ० सं०,
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय पूनिणि सुषमिणि भ्रा० श्रे० आदाभार्या आसमति पुत्र अमृतसीहभार्या राजल लघुभ्रातृ अभयसीह भार्या सोल्हू द्वि. वील्हूपुत्र खीमसीह सोमसीह पु० रयण फू० अमलबाइ वयजूचांदू श्रे० आदासुत अभयसीहेन पितृमातृश्रेयार्थं आदिनाथ जिनयुगलबिंब कारित।। मंगलमस्तु श्रीश्रमणसंघस्य कारापकस्य च ॥ (४९) महावीर पंचतीर्थी
ॐ श्रे० शुभंकर भार्या देवुः तयोः पुत्रेण श्रे० सोमदेवेन भार्या पूनादेवि पुत्र वच्छ नागदेवादियुतेन आत्मश्रेयोर्थं श्रीवीरजिनबिंबं कारितं ।। संवत १३१६ चैत्र वदि ६ भौमे श्रीबृहद्गच्छीय श्रीउद्योतनसूरिशिष्यैः श्रीहरिभद्रसूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ (५०) शिलालेख ___ ॐ । संवत् १३२३ वर्षे माघशुक्लषष्ठयां ६ प्राग्वाटवंशोद्भवनिजसद्गुरुपदपद्मार्चनप्रणामरसिकः श्रे० माणिभद्रभार्या माऊ ( )सुत थिरदेव-निव्यूढसर्वज्ञपदाब्जसेव: श्रे० धामड: भार्या सच्छीलगुणाद्यलंकरणैर्निरवद्याद्या कुमरदेवि पु० आसचंद्र मोहिणि चाहिणि (*) सीतू द्वि० भार्या लाडी पु० कर्मिणि द्वि० जगसिंहः तद्भार्या प्र० सहज् द्वि० अनुपमा सु० पूर्णसिंहः सुहडादेवि वा० माल्हणि समस्तकुटुंबसहिताभ्यां आरासनाकरसरोवरराजहंससमानश्रीमन्नेमिजिनभुवने विमलशरन्निशाकराभ्यां श्रे० (*) कुमारसिंह जयसिंहाभ्यां स्वदोर्दण्डोपात्तवित्तेन शिवाय लेखितशासनमिव श्रीनंदीश्वरवर: कारितः ॥ तथा द्रव्यव्ययात् कृतमहामहोत्सवप्रतिष्ठायां समागतानेकग्रामनगरसंघसहितेन श्रीचंद्रगच्छगगनांगणभूषणपार्वणशरश्चंद्रसन्निभपूज्य (*) पदपद्मश्रीशांतिप्रभसूरिविनेय श्रीरत्नप्रभसूरितच्छिष्यविद्वञ्चक्रचूडामणि श्रीहरिभद्रसूरिशिष्यैः श्रीपरमानंदसूरिभिः प्रतिष्ठितः। मंगलमस्तु समस्तसंघस्य कारापकस्य च।। (५१) महावीर-पंचतीर्थी - सं० १३२७ फा०सु० ८ ---------- पलीवालज्ञातीय ---------- कुमरसिघ भार्या कुमरदेवि सुत सामंत भार्या सिंगारदेवि पित्रोः पुण्यार्थं --------- विक्रमसिंह ठ० लूणा ठ० सांगाकेन श्रीमहावीरबिंबं का०प्र० वडगच्छे कूबडे श्रीपडोचंद्रसूरिशिष्य श्रीमाणिक्यसूरिभिः।।
४९. शांतिनाथ मंदिर, नागौर, प्र०ले०सं०, भाग १, लेखांक ७०. ५०. आ० अ० कु० लेखांक २४. ५१. चौमुखीजी देरासर, अहमदाबाद, जै० धा०प्र०ले०सं०, भाग १, लेखांक १३७.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय
(५२) नेमिनाथ पंचतीर्थी
१३
ॐ ।। सं० १३३१ ज्येष्ठ सुदि ११ श्रीबृहद्गच्छे प्राग्वाटवंशे सा० धणदेव संताने श्रे० छूहदेव पुत्र श्रे० सांति पुत्र श्रे० सालिग पुत्र श्रे० आमकुमार पुत्र श्रे० संकर पुत्र श्रे० चाहड भार्या रीठी पुत्र झांझणजगडाभ्यां सकलनिजकुटुम्बश्रेयसे श्रीनेमिनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं च श्रीपरमानन्दसूरिभिः।।
(५३) तीर्थंकर - पंचतीर्थी :
सं० १३३४ वैशाख सुदि ५ गुरौ श्रे० गदा भार्या सुखमिणि सुत पस्ता तेजा भा। बिंबंकारिता प्रति श्री हरिभद्रसूरि शि० श्रीपरमाणंदसूरिभिः ॥
(५४) पार्श्वनाथ पंचतीर्थी :
११ सं० १३३४ वर्षे वैशाख सुदि १० श्रीबृहद्गच्छे श्रीधर्कटवंशे सा० देवचंद्र भार्या धणसिरी पुत्र सा० वानरेण भार्या लाडी पुत्र खेता तथा देदा पिथिमसीहु चांगदेव प्रभृति कुटुंब सहितेन पूर्वज श्रेयसे श्रीपार्श्वनाथ बिंबं कारिता प्रतिष्ठितं च श्रीजयदेवसूरि शिष्यैः श्रीमाणदेव (सूरिभि:)
(५५) सुपार्श्वनाथः
ॐ । संवत् १३३५ मार्ग वदि १३ सोमे पोषपुरवास्तव्य प्राग्वाटज्ञातीयठक्कर श्रीदेवसावडसंतानीय श्रे० सोमाभार्या जयतुपुत्र सादाभार्या लखमीपुत्र सालिगभार्या (*) कडूपुत्र खिताभार्या लूणीदेवीसहितेन सुपार्श्वबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं बृहद्गच्छीय श्रीहरिभद्रसूरिशिष्यैः श्रीपरमानंदसूरिभिः श्रेष्ठिसोमासुत प्रा० छाडाकेन कारापितं ।
(५६) आदिनाथः
संवत् १३३५ वर्षे माघ सुदि १३ शुक्रे श्रे० अभइभार्या अभयसिरिपुत्र कुलचन्द्रभार्या ललतुपुत्र बूटाभार्या सरसर तथा सुमणभार्या सीतूपुत्र सोहड नयणसी लूगं (*) सीह खेतसीह सोढलप्रमुखकुटुंबसमुदायेन श्री ऋषभबिंबं पित्रोः श्रेयार्थं कारितं प्रतिष्ठितं बृहद्गच्छ श्रीविजयसिंहसूरिसंताने श्रीश्रीचन्द्रसूरिशिष्यैः श्रीवर्द्धमानसूरिभिः ॥
५२. नेमिनाथ की धातु की प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख, पार्श्वनाथ मंदिर, बूंदी, प्र०ले०सं०, भाग १, लेखांक ८०. ५३. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, बी०जै० ले० सं०, लेखांक १८४.
५४. वही, लेखांक १८५.
५५. नेमिनाथ का मंदिर, कुंभारिया, आ०अ०कु०, परिशिष्ट, लेखांक २७.
५६. नेमिनाथ जिनालय, कुंभारिया, वही, परिशिष्ट, लेखांक २९.
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१४
बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय (५७) आदिनाथ-पंचतीर्थी
संवत् १३३५ माघ सुदि १३ शुक्रे प्राग्वाटज्ञातीय श्रे० गोसलसुत साजणभार्या पदमु तत्पुत्रिकया खेतुश्राविकया स्वश्रेयोर्थं श्रीचन्द्रप्रभस्वामिबिंबं कारितं प्रतिष्ठित बृह० श्रीहरिभद्रसूरिशिष्यैः श्रीपरमानन्दसूरिभिः ॥ (५८) शिलालेख
संवत् १३३५ माघ सुदि १३ शुक्रे प्राग्वाटज्ञातीय श्रे० वयजाभार्या- लूड तत्पु-----भार्यया अनुपमश्राविकया स्वश्रेयोर्थं मुनिसुव्रतस्वामिबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं बृह० श्रीपरमानंदसूरिभिः॥ (५९) देवकुलिका का लेख
संवत् १३३५ वर्षे माघ सुदि १३ चंद्रावत्यां जालणभार्या -------- भार्या मोहिनीसुत सोहड भ्रातृसांगाकेन आत्मश्रेयोर्थं श्रीशांतिनाथबिंबं कारपितं प्रतिष्ठतं च वर्धमानसूरिभिः ॥ (६०) अजितनाथः
ॐ । सं० १३३५ माघ सुदि------ शुक्रे प्राग्वाटज्ञा० श्रे० सोमाभार्या माल्हणिपुत्राः वयर श्रे० अजयसिंह छाडा सोढा भार्या वास्तिणि राज (*) ल छाडु धांधलदेवि सुहडादेविपुत्र वरदेव झांझण आसा कडुवा गुणपाल पेथाप्रभृतिसमस्तकुटुंबसहिताभ्यां छा (*) डा-सोढाभ्यां पितृ-मातृ-भ्रातृ अजाश्रेयोर्थं श्रीअजितस्वामिबिंबं देवकुलिकासहितं कारितं प्रतिष्ठितं बृह० श्रीहरिभद्रसूरिशिष्यैः श्रीपरमानन्दसूरिभिः ॥ शुभं भवतु ॥ (६१) शिलालेख
संवत् १३३७ वर्षे ज्येष्ठ सुदि १४ शुक्रे बृहद्गच्छीय श्रीचक्रेश्वरसूरिसंताने पूज्यश्रीसोमप्रभसूरिशिष्यैः श्रीवर्धमानसूरिभिः श्रीशांतिनाथबिंबं प्रतिष्ठितं कारितं श्रेष्ठि आसलभार्या मंदोदरी तत्पुत्र श्रेष्ठि गला भार्या शीलू तत्पुत्र मेहा तदनुजेन साहु खांखणेन निजकुटुंबश्रेयसे स्वकारितदेवकुलिकायां स्थापितं च ॥ मंगलमहाश्रीः । भद्रमस्तु । ५७. नेमिनाथ का मंदिर, कुंभारिया, वही, परिशिष्ट, लेखांक ३१. ५८. नेमिनाथ का मंदिर, कुंभारिया, वही, परिशिष्ट, लेखांक ३२. ५९. नेमिनाथ का मंदिर, आरासणा, अ०प्र० जे०ले०सं०, (आबू- भाग ५), लेखांक २९. ६०. नेमिनाथ का मंदिर, कुंभारिया, आ०अ० कु०, परिशिष्ट, लेखांक २६. तथा अ०प्र०जै०ले०सं०
(आबू, भाग ५), लेखांक २८. ६१. देवकुलिका का लेख, नेमिनाथ मंदिर, आरासणा, प्रा० जे०ले०सं०, भाग २, लेखांक २९२.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय (६२) शिलालेख
संवत् १३३८ ज्येष्ठ सुदि १४ शनौ श्रीनेमिनाथचैत्ये बृहद्गच्छीय श्रीरत्नप्रभसूरिशिष्य श्रीहरिभद्रसूरिशिष्यैः श्रीपरमानन्दसूरिभिः प्रतिष्ठितं प्राग्वाटज्ञातीय श्रे० शरणदेवभार्या सुहडदेवी तत्पुत्र श्रीवीरचंद्रभार्या सुषमिणिपुत्र पुना भार्या सोहगदेवी (पुत्र) आंबडभार्या अभयसिरि पुत्र बीजा खेता रावण भार्या हीरू पुत्र बोडसिंह भार्या जयतलदेवी प्रभृति स्वकुटुंबसहितैः रावणपुत्रैः स्वकीयसर्वजनानां श्रेयोऽर्थं श्रीवासुपूज्यदेवकुलिकासहितं कारितं प्रतिष्ठापितं च । (६३) चन्द्रप्रभः __ संवत् १३३८ वर्षे ज्येष्ठ शुदि १४ शुक्रे बृ० श्रीकनकप्रभसूरिशिष्यैः श्रीदेवेन्द्रसूरिभिः श्रीचन्द्रप्रभस्वामिबिंबं प्रतिष्ठितं प्रा (*) ग्वाटज्ञातीय श्रे० शुभंकरभार्या संतोसपुत्र श्रे० पूर्णदेव पासदेवभार्या धनसिरिपुत्र श्रे० कुमरसिंहभार्या सील्हूपुत्र महं झांझणानुजमहं० (*) जगस तथा श्रे० पासदेवभार्या पद्मसिरिपुत्र श्रे० बूटा श्रे० लूगा इति महं झांझणपुत्र काल्हू महं जगसभार्या रूपिणिपुत्रकडूया वयजल अभयसिंह (*) पु० नागल जासल देवलप्रभृतिकुटुंबसमन्वितेन महं जगसाखे (ख्ये) न मातृ-पितृ-भ्रातृश्रेयोर्थं बिंबं कारितं ॥ . (६४) वासुपूज्यः
संवत् १३३८ वर्षे ज्येष्ठ सुदि १४ श्रीनेमिनाथचैत्ये बृहद्गच्छीय श्रीरत्नप्रभसूरिशिष्य श्रीहरिभद्रसूरिशिष्यैः श्रीपरमानन्दसूरिभिः प्रतिष्ठितं प्राग्वाटज्ञातीय श्रे० शरणदेवभार्या सुहडदेवी तत्पुत्र श्रीवीरचन्द्रभार्या सुषमिणीपुत्र पुनाभार्या सोहगदेवी आंबडभार्या अभयसिरिपुत्र बीजा खेता रावणभार्याहीरूपुत्र वोडसिंहभार्या जयतलदेवीप्रभृतिस्वकुटुंबसहितैः रावणपुत्रैः स्वकीयसर्वजनानां श्रेयोऽर्थं श्रीवासुपूज्य (देव) देवकुलिकासहितं प्रतिष्ठापित च ॥ (६५) शिलालेख ___सं० १३३८ वर्षे ज्येष्ठ सुदि १४ शुक्रे श्रीनेमिनाथचैत्ये संविज्ञविहारिश्रीचक्रेश्वरसूरिसंताने श्रीजयसिंहसूरिशिष्य-श्रीसोमप्रभसूरिशिष्यैः श्रीवर्धमानसूरिभिः प्रतिष्ठितं। आरासण (णा) ६२. देवकुलिका का लेख, नेमिनाथ जिनालय, आरासणा, प्रा०० ले०सं०, भाग २, लेखांक २९०.
- विजय, पूर्वोक्त, लेखांक १५. ६३. आ०अ० कु०, लेखांक ३६. ६४. नेमिनाथ जी का मंदिर, आरासणा, अ०प्र०जै० ले०सं० (आबू, भाग ५), लेखांक ३२ तथा मुनि
विशाल विजय, पूर्वोक्त, लेखांक १४. ६५. नेमिनाथ जी का मंदिर, आरासणा, अ०प्र०जै० ले०सं० (आबू, भाग ५), लेखांक ३१, मुनि
विशाल विजय, पूर्वोक्त, लेखांक १३.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय करवास्तव्य (*) प्रागवाटज्ञातीय श्रे० गोनासंताने श्रे० आमिग भार्या रतनी पुत्र तुलहारि आसदेव भ्रा० पासड तत्पुत्र सिरिपाल तथा आसदेवभार्या सहजू पुत्र तु० आसपालेन भा० धरणि --------- सीत्त सिरिमति तथा (*) आसपालभार्या आसिणि पुत्र लिंबदेव हरिपाल तथा धरणिग भार्या --------------- ऊदा भार्या पाल्हणदेविप्रभृतिकुटुंबसहितेन श्रीमुनिसुव्रतस्वामिबिंबं आश्वावबोधसमलिकाविहार-तीर्थोद्धारसहितं कारितं ॥ मंगलमहाश्रीः ।। (६६) शिलालेख ___ संवत् १३३८ ज्येष्ठ सुदि १४ शुक्रे बृहद्गच्छीय श्रीचक्रेश्वरसूरिसंताने पूज्यश्रीसोमप्रभसूरिशिष्यैः श्रीवर्धमानसूरिभिः श्रीशांतिनाथबिंबं प्रतिष्ठितं कारितं श्रेष्ठिआसलभार्या मंदोदरी तत्पुत्र श्रेष्ठि गलाभार्या शीलू तत्पुत्र मेहा तदनुजेन साहुखांखणेन निजकुटुंबश्रेयसे स्वकारितदेवकुलिकायां स्थापितं च। मंगलं महाश्रीः । भद्रमस्तु ॥ (६७) शांतिनाथः ___ संवत् १३३८ ज्येष्ठ सुदि १४ सत् महं सोमा पुत्र तद्भार्यया जासल नाम्न्या स्वश्रेयसे श्रीशांतिनाथबिंबं कारितं प्रति० बृहद्गच्छीय श्री वारि ? चन्द्रसूरि शिष्य श्रीपरमानंदसूरि । (६८) पार्श्वनाथ-पंचतीर्थी
सं० १३३९ फागु(ल्गुण सु० ८ श्रीबृहद्गच्छे श्रीश्रीमालवंशे सा० सादा भार्या माकू पुत्र धणसी (सिं)हभार्या चांपल पुत्र भीम अर्जुन भीमभार्या नीनू पितृश्रेयसे श्रीपार्श्वनाथबिंब कारितं प्र० माण(न)देवसूरिभिः ॥ (६९) महावीर-पंचतीर्थी
सं० १३४१ वर्षे महा० वुहड़ भा० कपूरदे पु० जगपालेन आ० जाल्हणदे पु० गंगा सहितेन श्री महावीर: का०प्र० श्रीपरमानंदसूरिभिः ।
६६. ६७. ६८. ६९.
नेमिनाथ जी का मंदिर, आरासणा, अ०प्र०जै०ले०सं० (आबू, भाग ५), लेखांक ३३. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, बी० जे०ले०सं०, लेखांक १९१. जैन मंदिर, लींच, प्रा०ले० सं०, लेखांक ४५. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, बी० जे०ले०सं०, लेखांक १९७.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय (७०) नेमिनाथः
सं० १३४३ माघ सुदि १० शनौ बृ० श्रीहरिभद्रसूरिशिष्यैः श्रीपरमानंदसूरिभिः प्रतिष्ठितं प्राग्वाटज्ञा० श्रे० माहिल्लपुत्र श्रे० थिरदेव श्रे० धामड थिरदेवभार्या माउ (*) पुत्र वीरचंद्र आद्यभार्या आसमतिपुत्र श्रे० अभयसिंह भार्या सोढु द्वि० वील्ह (ण) पुत्र भीमसिंह खीमसिंह देवसिंह नरसिंह वील्हणपुत्रिका हीरल प्रथमपुत्र प(*)। --------- लिंबिणिपुत्र जयतसिंह द्वि० पुत्र भार्या खेतलदेवि पु० रिणू तृती० भार्या देवसिरिपुत्र सामंतसिंह चतु० भार्या ना---------- देवी पंचमभार्या विजयसिरि पभृतिकुटुंबसहितेन श्रीनेमिनाथबिंब श्रीमद्रिष्टनेमिभवने आत्मश्रेयोर्थं श्रेष्ठिवीरचंद्रेन कारितं । (७१) शिलालेख
॥ ॐ ॥ प्राग्वाटवंशे श्रे० वाहडेन श्रीजिन(*)चंद्रसूरिसदुपदेशेन पादपराग्रामे उं(*)देरवसहिकाचैत्यं श्रीमहावीरप्रतिमा(*)युतं कारितं। तत्पुत्रौ ब्रह्मदेव शरणदे(*)वौ। ब्रह्मदेवेन सं० १२७५ अत्रैव श्रीने(*) मिमंदिरे रंगमंडपे दाढाधरः कारितः ॥ (*) श्रीरत्नप्रभसूरिसदुपदेशेन। तदनुज श्रे० (*) सरणदेवभार्या सूहडदेवि तत्पुत्राः श्रे०(*) वीरचंद्र पासड आंबड रावण। यैः श्रीपर(*)मानंदसूरिणामुपदेशेन सप्ततिशततीर्थं का(*) रितं ॥ सं० १३१० वर्षे। वीरचंद्रभार्या सुषमिणि (*)पुत्र पुनाभार्या सोहग पुत्र लूणा झांझण । आं(*)बडपुत्र बीजा खेता । रावणभार्या हीरू पुत्र वो० (*)डा भार्या कामलपुत्र कडुआ द्वि० जयता भार्या मूंट(*)या पुत्र देवपाल । कुमारपाल तृ० अरिसिंह ना(*)गउरदेविप्रभृतिकुटुंबसमन्वितैः श्रीपरमा(*)नंदसूरीणामुपदेशेन सं० १३३८ श्रीवासुपूज्य(*) देवकुलिकां। सं० १३४५ श्रीसंमेताशिखर(*)तीर्थे मुख्यप्रतिष्ठां महातीर्थयात्रां विधाप्या(*) त्मजन्म एवं पुण्यपरंपरया सफलीकृत:(तं) ।। (*) तदद्यापि पोसीनाग्रामे श्रीसंघेन पूज्यग्राम (मान ?) (*) मस्ति । शुभमस्तु श्रीश्रमणसंघप्रसादतः ॥ (७२) मुनिसुव्रत-पंचतीर्थी ____सं० १३४६ आषाढ़ वदि १ शुक्रे श्रीबृहद्गच्छ उपकेशज्ञातीय श्रे० अल्हण पुत्र गांगा भार्या जिरोत श्रेयसे श्रीमुनिसुव्रतबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीदेवेन्द्रसूरिभिः ॥ ७०. नेमिनाथ जी का मंदिर, आरासणा, आ० अ० कु०, लेखांक ४०... ७१. देवकुलिका में उत्कीर्ण लेख, नेमिनाथ जी का मंदिर, आरासणा, अ०प्र० जै० ले०सं० (आबू, भाग
५), लेखांक ३०, तथा आ०अ०कु० लेखांक १३ ७२. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, बी० जे०ले०सं०, लेखांक २०२.
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१८
बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय
(७३) शीतलनाथ- पंचतीर्थी
॥
सं० १३४९ज्येष्ट (ठ) सुदि १० श्री ऊकेश वंशे सं० सावदपुत्र सा० नरदाकेन पितामही पउमसिरि श्रेयसे श्री शीतलनाथबिंब कारितं पु० श्री बृहद्गच्छे श्रीमुनिरत्नसूरिभिः ॥ (७४) पार्श्वनाथ पंचतीर्थी
सं० १३४९ ज्येष्ठ सुदि १० श्रीदुस्साव्वान्वये महं० हरिराजपुत्रेण समरसिंहेन स्वपितामहामही हासलदेविश्रेयसे श्रीपार्श्वनाथबिंबं कारितं प्र० बृहद्गच्छे श्रीमुनिरत्नसूरिभिः ।
(७५) चन्द्रप्रभ - पाषाण
संवत् १३५१ वैशाख सुदि
पोसीनास्थानीय कोष्ठा० श्रीवन्कुमारसुत
कोष्ठा०
० आसल देल्हण भ्रातृ वाल्हेवी श्रेयोर्थं श्रीचन्द्रप्रभस्वामिबिंबं कारितं श्रीपरमानन्दसूरिशिष्यैः श्रीवीरप्रभसूरिभिः प्रतिष्ठितं मंगलं महाश्रीः ।।
(७६) पार्श्वनाथ पंचतीर्थी
संवत् १३५२ वर्षे वैशाख सुदि ५ बृहद्गच्छे सं० करमण भार्या सोखी पुत्र घणसी पुत्र वागडसिंह केल्हण राजई बृहद्गच्छे प्र० श्रीप्रभाणंद सूरिभि
(७७) पार्श्वनाथ पंचतीर्थी
सं० १३५६ ज्येष्ठ वदि ८ श्रे० दीणासुत श्रे० आजाश्रे० बीकमाभ्यां मातृलाछिश्रेयसे श्रीपार्श्वनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं बृहद्गच्छे श्रीहेमप्रभसूरिशिष्यैः श्रीपद्मचंद्रसूरिभिः ॥ (७८) महावीर पंचतीर्थी
संवत् (१३) ५७ फागुण सुदि ७ गुरौ गूर्जर ज्ञातीय श्रे० पद्मसीह भार्या पद्मश्री श्रेयोर्थं पुत्र जयताकेन श्रीमहावीरबिंबं कारितं वादि श्रीदेवसूरिसंताने श्रीधर्मदेवसूरिभिः ॥
७३. जैन मंदिर, मोतीपोल, अहमदाबाद, J. I. I. A., No. 8.
७४. विमलवसही, आबू, अ० प्रा० जै०ले०सं०, आबू भाग-२ लेखांक १५, आबू, भाग ५, लेखांक २८२ (महावीर मंदिर, ब्राह्मणवाड़ा)
७५. नेमिनाथ का मंदिर, कुंभारिया, आ०अ०कु०, परिशिष्ट, लेखांक ४५.
७६. पुरातत्त्व संग्रहालय, सिरोही, सोहनलाल पटनी, अ०प०जै०धा०प्र०, लेखांक २९, पृष्ठ ४५. ७७. विमलनाथ जी का मंदिर, चौकसीपोल, खंभात, जै० धा०प्र०ले०सं०, भाग २, लेखांक ८०३. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, बी०जै० ले०सं०, लेखांक २३०.
७८.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय (७९) शांतिनाथ-पंचतीर्थी
सं० १३५९ सा०शु० ९ परी आंबवीर सुत साजण भार्या सोमसिरि सा० कुमारपालाभ्यां निज मातृ पितृ श्रेयसे श्रीशांतिनाथबिंबं का०प्र० श्रीजयमंगलसूरिशिष्य; श्रीअमरचन्द्रसूरिभिः । (८०) शिलालेख ___सं० १३६० वर्षे आषाढ़ वदि ४ वृ (वृ) हद्गच्छे श्रीमानदेवसूरिपट्टनायक श्रीसर्वदेवसूरिशिष्य पं० उदयचंद्र (द्रः) श्रीआदिनाथनेमिनाथौ नित्यं प्रणमति ।। (८१) महावीर-पंचतीर्थी ____सं० १३६७ वर्षे माघ वदि ९ गुरु श्रे० अजयसीह पुत्र वीकम भार्या वालू पुत्र वणपाल भ्रा० हरपाल सहितेन पिता माता ------------- टा श्रेयोर्थं वीर बिंबं कारितं प्रति० बृहद्गच्छे श्रीयशोभद्रसूरिभिः ।। (८२) पार्श्वनाथ-पंचतीर्थी _____ सं० १३६८ वर्षे माघ सुदि ९ श्रे० पाहलण सुत धाधल श्रेयार्थं श्रीपार्श्वनाथबिंबं कारितं प्र० वादीन्द्र श्रीदेवसूरिगच्छे श्रीधर्मदेवसूरिभिः ॥ (८३) चतुर्विंशतिपट्ट-पंचतीर्थी
संवत् १३६९ वर्षे फागुण वदि १ सोमे प्राग्वाटज्ञातीय व्यव० हावीया भर्या सूहवदेवि सुत व्या० श्रे० अमरसिंह ------- मातृ सलल श्रेष्ठि महा सुत ५ व्य० पितृव्य सोमा भार्या सोमलदेवि समस्त पूर्वजानां श्रेयोर्थं व्यव० अर्जुनेन भार्या नायिकदेवि सहितेन चतुर्विंशतिपट्टः कारितः मंगलं शुभं भवतु ॥ बृहद्गच्छीय प्रभुश्रीपद्मदेवसूरि शिष्य श्रीवीरदेवसूरिभिः प्रतिष्ठितः चतुर्विंशतिपट्टः ॥ ७४ ॥
७९. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, बी०जै०ले०सं०, लेखांक २१९. ८०. हस्तिशाला, लूणवसही, आबू, अ० प्रा०० ले०सं०,(आबू, भाग २) लेखांक ३१८. ८१. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, बी०जै० ले०सं०, लेखांक २३८. ८२. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, वही, लेखांक २४३. ८३. भण्डारस्थ पट्ट, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, बी०जै०ले०सं०, लेखांक २४७.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय (८४) धातु-प्रतिमा
श्री प्रश्न वा० १३६९ ---------- तिहुअणपालः भार्या रूपल सहिता ----- पित्रोः श्रेयार्थं श्रीआणंदसूरि श्रीहेमप्रभसूरिभिः बृहद्गच्छेः ॥ (८५) आदिनाथ-पंचतीर्थी
सं० १३७१ श्री बृहद्गच्छे श्रे० अहडू भा० वसुमति पु० शरतसिंघ सहितेन खेतसिंह भार्या लखमसिरि पुत्र राजड़युतेन मातुः श्रेयसे आदिनाथ का०प्र० श्रीअमरप्रभसूरिभिः ।। (८६) पार्श्वनाथ-पंचतीर्थी
॥ सं० १३७३ फागुण सुदि प्राग्वाट रतन श्रेयोर्थं सुत वीरमेन श्रीपार्श्वबिंबं कारितं प्र० श्रीहेमप्रभसूरिशिष्यैः श्रीपद्मचन्द्रसूरिभिः ॥ (८७) आदिनाथ-पंचतीर्थी ___ संवत् १३८३ वर्षे महा वदि १ शुक्रे श्रीबृहद्गच्छे प्राग्वाट ज्ञा० सा० आसदेव भार्या लुणी पुत्र चाहुड ठहरा घेतारणमल्ल वीकलश्रेयोर्थं श्रीआदिनाथबिंबं कारितं प्र० श्रीकनकसूरिभिः ॥ (८८) महावीर-पंचतीर्थी ___सम्वत् १३८५ फा०सु० ८ श्रे० वयजा भार्या वयजलदे पुत्र कडुआकेन पित्रो: श्रेयसे श्रीमहावीर बिं०का०प्र० बृहद्गच्छीय श्रीभद्रेश्वरसूरिपट्टे श्रीविजयसेनसूरिभिः ॥ माहरउलि गोष्ठिक ॥ (८९) आदिनाथ-पंचतीर्थी
सं० १३८६ व० ज्येष्ठ वदि ४ सोमे श्रे० केल्हा भार्या नाल्हू पुत्र सहजाकेन पितामह कानू श्रेयसे श्रीआदिनाथबिंबं का०प्र० बृहद्गच्छे श्रीभद्रेश्वरसूरिपट्टे श्रीविजयसेणसूरिभिः ।
८४. जैन श्वे. मंदिर, नागपुर, जै०धा०प्र०ले०, लेखांक २४. ८५. गौड़ी पार्श्वनाथ मंदिर के अन्तर्गत आदिनाथ जी का मंदिर, बीकानेर, बी०जै० ले०सं०, लेखांक १९६०. ८६. सीमंधरस्वामी का मंदिर, दोशीवाडा, अहमदावाद J. I. I. A, No. 13. ८७. धर्मनाथ जी का मंदिर, डभोई, जै०या०प्र०ले०सं०, भाग १, लेखांक ५१. ८८. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, बी० जे०ले० सं०, लेखांक ३०४. ८९. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, वही, लेखांक ३०५.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय (९०) पार्श्वनाथ-पंचतीर्थी
सं० १३८७ फागुण सुदि ४ सोमे कोल्हण गोत्रे सा० मोहण श्रेयो) सुत मीझाकेन श्रीपार्श्वनाथबिंबं कारितं प्र० बृहद्गच्छे श्रीमुनिशेखरसूरिभिः ॥ (९१) पार्श्वनाथ-पंचतीर्थी ___ सं० १३८८ वैशाख सुदि १५ शनौ व्य० धांधापुत्र श्रे० सागर संतानीय श्रे० महणसीह पु० महं० वीरपाल पु० महं रूपा भार्या कुंती पुत्र देवसीहेन आ० मुगतासहितैः पित्रो श्रेयसे श्रीपार्श्व बिं० कारतं प्र० ब्रह्माणेस श्रीभद्रेश्वरसूरिपट्टे श्रीविजयसेनसूरिभिः बृहद्गच्छीय ।। (९२) महावीर-पंचतीर्थी ___ सं० १३९० वर्षे वैशाख वदि ११ शनौ श्रीश्रीमाल ज्ञातीय ठाकुर करउर राणोकेन भार्या कामलदे भार्या कील्हणदे श्रेयोर्थं श्रीमहावीरबिंब कारितं प्रति० श्रीबृहद्गच्छे पिप्पलाचार्य श्रीगुणाकरसूरिशिष्य श्रीरत्नप्रभसूरिभिः ॥ (९३) शांतिनाथ-पंचतीर्थी ___ सं० १३९१ वर्षे प्रा० श्रे० नागडभार्या साऊपुत्र माकन भीमासमुदायेन श्रीशांतिनाथबिंब कारितं प्रतिष्ठितं बृहद्गच्छीय श्रीविजयचंद्रसूरिपट्टे श्रीभावदेवसूरिभिः ॥ (९४) शांतिनाथ-पंचतीर्थी
सं० १३९२ व० फागुण व० ११ जावडागोत्रे -------- श्रीशांतिनाथबिंबं का०प्र० श्रीबृहद्गच्छे श्रीरामचन्द्रसूरिविनेयैः श्रीपासभद्रसूरिभिः ॥ (९५) शांतिनाथ-पंचतीर्थी
सं० १३९३ वर्षे वापणा गोत्रे सोमलियान्वये सा० भोजाकेन पित्रो हेमल विमलिकयोः पुत्र चूचकोदयपालयौ स्व श्रे० श्रीशांतिनाथाबिंबं का०प्र० श्री बृ०(ग)च्छीय श्रीमुनिशेखरसूरिभिः ॥ ९०. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, वही, लेखांक ३१९. ९१. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, वही, लेखांक ३२५. ९२. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, बी०जै० ले०सं०, लेखांक ३४०. ९३. नेमिनाथ का मंदिर, कुंभारिया, आ० अ० कु०, परिशिष्ट, लेखांक ५३. ९४. शांतिनाथ की धातु की प्रतिमा का लेख, विमलनाथ मंदिर, सवाई माधोपुर, प्र०ले०सं०, भाग १,
लेखांक १३६. ९५. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, बी०जै०ले०सं०, लेखांक ३५२.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय (९६) अभिनन्दन-पंचतीर्थी
॥ संवत् १४०१ वर्षे चइत (चैत्र) सुदि ७ बुधे बृहद्गच्छे ----------- नायनटके उप० टगउग ? गोत्रे व मझा भा० नाहना पु० खेता भा० खेतलदेव्या अभिनन्दन कारितं प्रतिष्ठितं श्रीधर्मचन्द्रसूरिभिः ॥ (९७) आदिनाथ-पंचतीर्थी
___सं० १४०६ वर्षे ज्येष्ठ वदि ९ रवौ उपकेशज्ञा० दो ---------- साह भा० सिंगारदेव्या पुत्र साजणेन पितृ मातृ श्रेयोर्थं श्रीआदिनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीरामचन्द्रसूरिभिः बृहद्गच्छीयै ॥ (९८) आदिनाथ-पंचतीर्थी
सं० १४०८ वैशाख सुदि ५ गुरौ प्राग्वाटज्ञातीय श्रे० सोभनपाल भार्या बाल्हू सुत आसधरेण भ्रातृ आल्हणसीह श्रेयसे श्रीआदिनाथबिंब कारितं प्र० बृहद्गच्छीय श्रीसर्वदेवसूरिभिः । (९९) आदिनाथ-पंचतीर्थी ___सं० १४०८ वैशाख सुदि ५ उपकेश पा । रगहटपाल सुतेन साटाणेन पित्रोः श्रेयसे श्रीआदिनाथबिंबं का०प्र०वृ० श्रीधर्मतिलकसूरिभिः । (१००) कायोत्सर्ग प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख
संवत् १४११ वर्षे आषाढ़ सुदि ३ शनौ श्रे० भीमड भार्या नयणा -------- श्रापा भार्या कडू द्वि० वयजलदेवि पुत्रलाषासहितेन --------- (प्र)तिमा कारिता प्र० बृहद्गच्छीय श्री (प) रमाणंदसूरिशिष्यैः श्री ----------|| (१०१) शिलालेख
॥ ॐ ॥ पातु वः पार्श्वनाथाय (योऽयं) सकल (लैः) सप्तभिः फणैः । - भयानां नरकाणां च जगद्रक्षति संघकान् ॥ १ ॥ ९६. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, वही, लेखांक ४००. ९७. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, बी०जै० ले०सं०, लेखांक ४०५. ९८. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, वही, लेखांक ४१४. ९९. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, वही, लेखांक ४२०. १००. शांतिनाथ जी का मंदिर, दीयाणा, अ०प्र०० ले०सं० (आबू, भाग ५), लेखांक ४९१. १०१. वारशाख (दरवाजे के ऊपर) का लेख, महावीरस्वामी का मंदिर. जीरावला. अ०प्र०जैले०सं०
(आबू, भाग ५), लेखांक १२०.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय
संवत् १४१२ वर्षे ------- वदि १ स्वाति नक्षत्रे बृहद्गच्छीय श्रीदेवेन्द्रसूरीणां पट्टे श्रीजिनचंद्रसरिपट्टालंकारहारैः श्रीरामचंद्रसूरिभिरात्मश्रेयसे श्रीपार्श्वनाथस्थ भु(भ)वने श्रीपार्श्वनाथस्य देवस्य देवकुलिकाकारिता ।
यावद्भूमौ स्थिरो मेरुर्यावचंद्रदिवाकरौ । आकाशे तपतस्तावनंदताद्देवकुलिका ॥ २ ॥ .
शुभं भवतु सकलसंघस्य जीरापल्लीयाना गच्छस्य च ॥ (१०२) नमिनाथ-पंचतीर्थी
सं० १४१४ वर्षे ज्येष्ठ वदि १३ रवौ ओसवालज्ञा० श्रे० लषमण आ० लषमादेनिमित्तं पु० रूदाकेन आत्मश्रेयसे श्रीनमिनाथबिंबं का० श्रीबृहद्गच्छे श्रीसत्यगुरु श्रीअमरचन्द्रसूरिभिः प्र० ॥ (१०३) आदिनाथ-पंचतीर्थी
सं० १४१७ ज्येष्ठ सुदि ९ व्य० सोनपाल भा० धरणू पु० सीहड़ वाहड़ सागण पितामह -------- श्रीआदिनाथ बिंबं का०प्र० बृहद्गच्छे ब्रह्माणीय श्रीविजयसेनसूरिपट्टे श्रीरत्नाकरसूरिभिः ॥ (१०४) स्तम्भलेख
॥ ० ॥ संवत् (१४१७ ?) आषाढ़ सुदि ५ गुरौ श्रीवृ(बृ)हद्गच्छीय श्रीमुनिशेखरसूरिशिष्यो मुनिनायकः श्रीनेमिनाथं नित्यं प्रणमति । . (१०५) पार्श्वनाथ-पंचतीर्थी
सं० १४१८ वर्षे वैशाख सुदि ७ -------- श्रीमालज्ञा० श्रे० -------- डा भार्या भाऊ पुत(त्र)रणसीहेन श्रीपार्श्वनाथबिंब कारा० प्रतिष्ठितं वृ(बृ)हद्गच्छेश श्रीहेमरत्नसूरिपट्टे शिष्यश्रीरत्नशेष(ख)रसूरीणामुपदेशेन । १०२. अजितनाथ जी का मंदिर, वीरमगाम, जै० घा०प्र० ले०सं०, भाग १, लेखांक १४९०. १०३. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, बी०जै० ले०सं०, लेखांक ४३८. १०४. लूणवसही, आबू, अ० प्रा० जे०ले०सं०, (आबू- भाग-२) लेखांक ३८०. १०५. अनुपूर्ति लेख, आबू, अ० प्रा००ले०सं०, (आबू, भाग ५), लेखांक ५७४.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय
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(१०६) पार्श्वनाथ- पंचतीर्थी
सम्वत् १४२२ वैशाख वदि ११ उपकेशज्ञातीय श्रीपार्श्वपंचतीर्थी कारिता बृहद्गच्छे महिंदसूरिभिः ॥
जगासिंह
(१०७) शांतिनाथ - पंचतीर्थी
सं० १४२२ वैशाख सुदि ११ ऊकेशज्ञा०श्रे० गीगदेव आ० ऊमल पुत्र ३ रणसीहतेजाकेन पित्रोः श्रेयसे श्रीशांतिबिंबं का०प्र० श्रीबृहद्गच्छे श्रीमहेन्द्रसूरिभिः ॥ (१०८) पार्श्वनाथ पंचतीर्थी
भा० कपूरदे पुत्र ४
॥ संवत् १४२३ वर्षे फागुण सुदि ९ सोमे श्री श्रीमालज्ञातीय पितामह आजा तत्भार्या लषमादेवि श्रेयसे सउंदारामा परिवारे श्रीपार्श्वनाथः कारितः । प्रति० बृहद्गच्छीय पिप्पलाचार्य श्रीगुणसमुद्रसूरिभिः ॥
(१०९) देवकुलिका का लेख
सं० १४२४ वर्षे वैशाख वदि ३ गुरौ कलवर्ग्रावास्तव्योपकेशज्ञातीय सा० धवकर्मणेन या० कर्मादेवी खीमादेवी सहितेन खीमदेवीश्रेयसे श्रीजीउलीलीपार्श्वनाथदेवकुलिका कारापिता बृहद्गच्छेश श्रीदिन्नविजयसूरेरूपदेशेन ।
(११०) पार्श्वनाथ पंचतीर्थी
संवत् १४२४ वर्षे आषाढ़ सुदि ५ गुरौ ऊकेशवंशे श्रे० वीरा भार्या टउलसिरि पुत्र चांदण भांडणाभ्यां मातृ श्रेयोर्थं श्रीपद्मप्रभ बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं बृहद्गच्छे श्रीमहेन्द्रसूरिभिः ॥ (१११) पद्मप्रभ - पंचतीर्थी
सं० १४२४ आषाढ़ सुदि ६ गुरौ ऊकेश वंशे व्यव जगसीह भा० देवलदे पुत्रपाता भार्या वोभादेवि सकुटुंबेन निज मातृ पुण्यार्थं श्रीपद्मप्रभ बिंबं का०प्र० बृहद्गच्छे श्रीमहेन्द्रसूरिभिः ॥
१०६. प्राचीन जैन मन्दिर नासिक, जै० धा०प्र०ले०, लेखांक ३९.
१०७. चन्द्रप्रभ स्वामी का मंदिर, बीकानेर, जै०ले०सं०, भाग ३, लेखांक २२७०. १०८. संभवनाथ मंदिर, कालूपुर, अहमदाबाद, J. I. I. A No. 39. १०९. जीरावला तीर्थ देवकुलिका २२, श्री०प्र०ले०सं०, लेखांक २९२अ.
११०. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, बी०जै०ले०सं०, लेखांक ४६३. १११. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, बी०जै० ले० सं०, लेखांक ४६८.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय (११२) पार्श्वनाथ-पंचतीर्थी
संवत् १४२५ वर्षे वैशाख सांख्ला ११ सौमे उपकेशज्ञातीय श्रे० मदन भा० पाथलदे पुत्र देपाल भा० देल्हणदे सुत मेघाकेन श्रीपार्श्वनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं च बृहद्गच्छे नाथ माल्य श्रीबदरिसेणसूरिभिः ।। (११३) तीर्थङ्कर-पंचतीर्थी
सं० १४३० माहवदि २ सोमे --------- ज --------- नावलपु० --------- - भ्रातृधारणापुार्थं पंचतीर्थी का०प्र० श्रीधनदेवसूरिभिः बृहद्गच्छे । (११४) चन्द्रप्रभ-पंचतीर्थी
सं० १४३२ वर्षे फागुण सुदि ३ शुक्रे ओसवाल ज्ञा० श्रे० भाहा भार्या तेजलदे सुत पदमसी सांगा तेषां श्रेसये सुतदेवसहितेन श्रीचन्द्रप्रभबिंबं का०प्र० श्रीबृहद्गच्छे सैद्धान्तिकश्रीनाणचंद्रसूरिपट्टे श्रीअक्षतचंद्रसूरिभिः ॥ (११५) विमलनाथ-पंचतीर्थी
सं० १४३३ वैशाख सुदि ६ शनौ श्रीबृहद्गच्छे उपकेशज्ञा० व्य० षीमा भा० कमणि सु तेजसीषेतसीहयोर्निमित्तं भ्रा० पूना तेन श्रीविमलनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीनरदेवसूरिभिः ॥ (११६) संभवनाथ-पंचतीर्थी ..
सं० १४३४ व० वैशाख वदि २ बुधे ऊकेश ज्ञा० श्रेष्ठि तिहुणा पु० मामट भा० मुक्ती पु० जाणा सहितेन पित्रो श्रेयसे श्रीसंभव वि०का०प्र० श्रीबृहद्गच्छीय श्रीमहेन्द्रसूरि पट्टे श्रीकमलचन्द्रसूरिभिः । (११७) संभवनाथ-पंचतीर्थी ___सं० १४३४ व० वैशाख वदि २ बुधे प्राग्वाट ज्ञा०दो० झाँझा भार्या हीमादे पु० थेराकेन पितृ भ्रातृ श्रेयो० श्रीसंभवनाथ पंचतीर्थी का०प्र० श्रीबृहद्गच्छीय श्रीमहेन्द्रसूरिपट्टे श्रीकमलचन्द्रसूरिभिः ॥
११२. पुरातत्त्व संग्रहालय, सिरोही, अ०प-जै०धा०प्र०, पृष्ठ ५४, लेखांक २१. ११३. आदिनाथजिनालय, मांडवीपोल, खंभात, जै०धा०प्र०ले०सं०, भाग २, लेखांक ६२४. ११४. शांतिनाथ जी का मंदिर, कनासा पाडो, पाटण, वही, भाग १, लेखांक ३२१. ११५. चन्द्रप्रभ स्वामी का मंदिर, जैसलमेर, जै०ले०सं०, भाग-३ लेखांक २२७५. ११६. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, वही, लेखांक ५०९. ११७. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, वही, लेखांक ५१०.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय (११८) पार्श्वनाथ-पंचतीर्थी
सं० १४३६ वैशाख सुदि १३ सोमे श्रीनाहरगोत्रे सा० श्रीराजा पुत्रेण सा० भीमसिंहेन सा०---------पार्श्व बिं०का०प्र० बृहद्गच्छे श्रीमुनिशेखरसूरि पट्टे श्रीतिलकसूरि शिष्यैः श्रीभद्रेश्वरसूरिभिः ॥ (११९) पद्मप्रभ-पंचतीर्थी
संवत् १४४० वर्षे माघ सुदि ४ भौमे श्रीबृहद्गच्छे ऊकेश ज्ञा०सा० तिहण पु० पद्मसी ---------पूना भा० हररिवणि पु० चापा -------- रत्नना ------- केन पितृ पितामह श्रेयोर्थं श्रीशांतिनाथबिंबं कारितं प्र० श्रीसागरचन्द्रसूरिभिः ॥ (१२०) शिलालेख
(१) ओं ॥ स्वस्ति श्रीनृपविक्रमसम(२) यातीत सं (१)४४३ वर्षे कार्ति (३) क वदि १४ शुक्रे श्रीनडूलाई(४) नगरे चाहुमानान्वय महा(५) राजाधिराजश्रीवणवीरदे(६) वसुतराजश्री(र)णवीरदेववि(७) जयराज्ये अ(त्रस्थ) स्वच्छ श्रीमद(द्) (८) बृहद्ग(च्छ) नभस्तलदिनकरो(९) पम श्रीमानतुंगसूरिवंशोद्भ(व) (१०) श्रीधर्मचंद्रसूरिपट्टलक्ष्मी श्र(११) वणोउणोत्पलायमानैः श्रीविन(१२) यचंद्रसूरिभि रन ल्पगुणमाणि
११८. नमिनाथ का मंदिर, लक्ष्मीनारायण पार्क, बीकानेर, वही, लेखांक ११९७. ११९. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, बी०जै०ले०सं०, लेखांक ५४३. १२०. नेमिनाथ मंदिर, नाडलाइ, प्रा००ले०सं०, भाग २, लेखांक ३३५, जै०ले० सं०, भाग १,
लेखांक ८५८.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय
(१३) क्यरत्नाकरस्य यदुवंशशृंगा
(१४) रहारस्य श्रीनेमीश्वरस्य निरा
(१५) कृतजगद(द्) विषाद प्रसाद (दः) स(१६) मृद्दधे (थ्रे) आचंद्रार्कं नंदतात (त्) ॥ श्री ॥
(१२१) शांतिनाथ - पंचतीर्थी
संवत् १४४५ वर्षे ज्येष्ठ वदि पुत्र नींवाकेन पितृ मातृ श्रेयोर्थं श्रीधर्मदेवसूरिभिः ।।
२७
१२ शुक्रे उपकेश ज्ञा०श्रे० कालू भार्या भोली श्रीशांतिनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं बृहद्गच्छे
(१२२) मुनिसुव्रत - पंचतीर्थी
सं० १४४५ फा० वदि १० र० श्रीबृहद्गच्छे श्री (प्रा० )ग्वटज्ञातीय श्रीरत्नाकरसूरिणा भार्या साऊ सुत धीणकेन भ्रातृधारानिमित्तं श्रीमुनिसुव्रतस्वामिबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं वडगच्छा आचार्येन ॥
(१२३) शांतिनाथ - पंचतीर्थी
।। संवत् १४४५ वर्षे फागुण सुदि ९ सोमे उपकेश ज्ञा० हींगड़ गोत्रे सा० पाहट भा० पाल्हणदे पुत्र गोविंद ऊदाभ्यां मिलित्वा पितृत्थ मटकू निमित्तं श्रीशांतिनाथ बिंबं का०प्र० बृहद्गच्छे श्रीरत्नशेखरसूरिपट्टे प्रतिष्ठितं श्रीपूर्णचन्द्रसूरिभिः ॥
(१२४) सुमतिनाथ - पंचतीर्थी
सं० १४४९ वर्षे वैशाख सुदि ६ शुक्रे उसवा० ज्ञा० व्यव० छाहड़ भा० चाहिणदेपुत्र आनु भा० झनू पुत्र वियरसी श्रेयोर्थं श्रीसुमतिनाथ बिंबं का०प्र० श्रीबृह० श्रीअभयदेवसूरिभिः श्रीअमरचंद्रसूरि सं
-1
१२१. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, बी०जै० ले० सं०, लेखांक ५४८. १२२. चन्द्रप्रभ स्वामी का मंदिर, जैसलमेर, जै०ले०सं०, भाग ३, लेखांक २२७९.
१२३. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, बी०जै० ले० सं०, लेखांक ५५२. १२४. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, वही, लेखांक ५५५.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय (१२५) पार्श्वनाथ-पंचतीर्थी
सं० १४४९ वर्षे वैशाख सुद शुक्र ३३ विविक्षाथक छाहड़भार्या वाहरादि पु० आथू भा० मनु पु० रायणजी रमादे श्रेयोर्थं श्रीपार्श्वनाथ बिंबं का०प्र० बृह ग श्रीअभयदेवसूरि । (१२६) चन्द्रप्रभ-पंचतीर्थी
सं० १४५४ वर्षे माह सुदि ८ शनौ उपकेश ज्ञा०श्रे० का भा० आल्हणदे पुत्र नराकेन भा० सोनलदे स० आत्म श्रेय श्रीचन्द्रप्रभ बिंबं का०प्र० बृहद्गच्छीय रामसेनीयावटंक श्रीधर्मदेवसूरिभिः ॥ (१२७) चन्द्रप्रभ-पंचतीर्थी ___ सं० १४५७ व० वैशाख सु० ३ शनौ उपकेश ज्ञा० बलदउठा गोत्रे खहू जइता भा० जइतलदे पुत्र जूठाके भा० सिरियाद सहितेन भ्रातृखेता निमित्तं श्री चंद्रप्रभ बिंबं का० प्रतिष्ठ रामसेनीय श्रीधर्मदेवसूरिभिः ॥ (१२८) महावीर-पंचतीर्थी
१ सं० (१४)५७ फागुण सु० ७ गुरौ गुर्जर ज्ञातीय से० पदमसीह भार्या पदमसिरि श्रेयो) पुत्र जयताकेन श्रीमहावीर बिंबं कारितं वादिदेवसूरिसंताने श्रीधर्मदेवसूरिभिः ॥ (१२९) वासुपूज्य-पंचतीर्थी
संवत् १४६५ वैशाख सुदि ३ गुरौ उपकेश ज्ञा०सा० आसाभार्या पूनादे पुत्र पुना भार्या सुहागदे पित्रो श्रेसये श्रीवासुपूज्यबिंबं कारितं प्र० श्रीबृहद्गच्छे श्रीधर्मदेवसूरिपट्टे श्रीधर्मसिंहसूरिभिः ॥ (१३०) सुमतिनाथ-पंचतीर्थी
सं० १४६५ वैशाख सुदि ३ गुरौ दि० उपकेशज्ञातीय श्रे० आका भा० सजखणदे पु० मोकल भारया (भार्या) साल्हणदे रानूसहितेन पित्रोः सुमतिबिंबं कारितं प्र० श्रीबृहद्गच्छे श्रीधर्मसिंहसूरिभिः ॥
१२५. पार्श्वनाथ जी का मंदिर, नौहर, वही, लेखांक २४८१. १२६. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, वही, लेखांक ५६६. १२७. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, वही, लेखांक ५७५. १२८. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, वही, लेखांक ५८१. १२९. महावीर जिनालय बीकानेर, वही, लेखांक १३४५. १३०. चन्द्रप्रभ स्वामी का मंदिर, जैसलमेर, जै०ले०सं०, भाग ३, लेखांक २२८६.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय
(१३१) पद्मप्रभ - पंचतीर्थी
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सं० १४७२ फागुण सुदि ९ शुक्रे श्री बृहद्गच्छे उपकेशवंशे सा० सोढा भा० मोहणदे पु०सा० हाडाकेन पितृ श्रेयोर्थं श्रीपद्मप्रभबिंबं कारितं प्रति० श्रीगुणसागरसूरिभिः ॥ (१३२) शांतिनाथ - पंचतीर्थी
संवत् १४७२ वर्षे फाल्गुन शुक्ला ९ शुक्रे ऊकेश वंशे श्रे० टापर भार्या माल्ही पुत्र लाखमण छाभाकेन पित्रोः श्रेयसे श्रीशांतिनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं च श्री बृहद्गच्छे श्री कमलचन्द्रसूरिभिः ॥
(१३३) नमिनाथ- पंचतीर्थी
संवत् १४७२ वर्षे फाल्गुन सुदि ९ शुक्रे ऊकेश ज्ञातीय मलाण पुत्र गेलाकेन पित्र पितृव्य भ्रातृ निमित्तं श्रीनमिनाथ बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं च श्रीबृहद्गच्छे श्री कमलचंद्रसूरिभिः ॥
(१३४) सपरिकर पार्श्वनाथ चौबीसी - पंचतीर्थी
॥ संवत् १४७२ वर्षे श्री श्रीमाल ज्ञा० श्रेष्टि गोवल भा० बा० तहकूसुत वर्द्धमानेन आत्मश्रेयसे श्रीपार्श्वनाथचतुर्विंशतिपट्टः कारितः I प्रतिष्ठिता श्रीजयतिलकसूरिभिः बृहद्गच्छेयम् ॥
(१३५) पद्मप्रभ - पंचतीर्थी
संवत् १४७२ वर्षे फागुण सुदि ९ शुक्रे श्रीबृहद्गच्छे उपकेशवंशे सा० सोढा भा० मोहणदे पु०सा० हाडाकेन पितृ श्रेयोर्थं श्रीपद्मप्रभबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीगुणसागरसूरिभिः । (१३६) मुनिसुव्रत - पंचतीर्थी
संवत् १४७३ वर्षे माह सुदि ९ बुधवासरे उपकेशज्ञातीय व्य० धर्मा भा० रत्नादे पु० गोइंद पितृ-मातृ श्रेयसे श्रीमुनिसुव्रतस्वामिबिंबं का०प्र० श्रीबृहद्गच्छे श्रीकमलचंद्र - सूरिभिः ॥ छ ॥
१३१. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, बी०जै० ले०सं०, लेखांक ६६२. १३२. पुरातत्त्व संग्रहालय, सिरोही, अ०प०जै० धा०प्र०, लेखांक १११, पृष्ठ ६५.
१३३. पुरातत्त्व संग्रहालय, सिरोही, वही, लेखांक ११२, पृष्ठ ६५.
१३४. भगवान् वासुपूज्य का मंदिर, शेखनो पाडो, अहमदाबाद, J. I. I.A, No. 88.
१३५. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, बी०जै०ले०सं०, लेखांक ६६२. १३६. मुनिसुव्रतकी प्रतिमा माणिकसागर जी का मंदिर, कोटा, प्र०ले०सं०, भाग १, लेखांक २१२.
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३०
बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय
(१३७) श्रेयांसनाथ - पंचतीर्थी
सं० १४७८ वर्षे फागुण वदि ८ रवौ उ०ज्ञा० श्रेष्ठि वीरड स०सा० गोणाल भा० सुहडादे पु० नोडा भा० नायकदेसहितेन पित्रो ( : ) श्रीश्रेयांसः का०प्र० श्रीबृहद्गच्छे श्रीदेवाचार्यसं(०) श्रीदेवचंद्रसूरिपट्टे भ० श्रीपूंन (पूर्ण) चंद्रसूरिभिः ॥
(१३८) संभवनाथ पंचतीर्थी
सं० १४७८ वर्षे फागुण वदि ८ रवि दिने उ० ज्ञातीय खडहय भा० कस्मीरदे पु० मेघाकेन रीसंभवनाथबिंबं का० प्रति० श्रीबृ० श्रीनरचंद्रसूरिभिः ।। (१३९) धर्मनाथ- पंचतीर्थी
सं० १४७९ वर्षे वैशाख सुदि ३ शुक्रे उ० ज्ञातीय श्रे० रा द्र पुत्र खीमा भा० रूपी श्रेयसे श्रीधर्मनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीबृहद्गच्छे श्रीश्रीमुनीश्वरसूरिभिः ॥ (१४०) वासुपूज्य पंचतीर्थी
।। सं० १४७९ वर्षे पोस (पौष) वदि ५ शुक्रे श्री उ०स० वंसी (शी) य महं सांगा भार्या सीणलदेवि सुत महं सोडण भार्या बाइ साजणि आत्मश्रेयोर्थं श्रीवासुपूज्यबिंबं कारितं श्रीबृहद्गच्छीय श्रीपूर्णचंद्रसूरिभिः प्रतिष्ठितं श्री ॥ श्री ॥ श्री ॥ श्री ॥
(१४१) आदिनाथ- पंचतीर्थी
सं० १४८० वर्षे फागुण सुदि १० बुधे उपेशज्ञातीय व्यव सहजा भार्या सोनलदे पुत्र कूंताकेन भार्या कपूरदे सपरिकरेण निज पुण्यार्थं श्रीआदिनाथबिंबं कारितं प्र० श्रीवृद्धगच्छे भनवाला भ० श्रीरामदेवसूरिभिः ।।
(१४२) आदिनाथ- पंचतीर्थी
संवत् १४८२ ज्येष्ठ वदि ५ शनि० दुगड़ गोत्रे सा० धीड़ा पु० डाड़ा पुत्र साटा हारा रग सुकनाभ्या डाडा पितृव्य सा० रूल्हा पु० रेडा श्रेयसे श्रीआदिनाथ बिंबं कारितं प्र० बृहद्गच्छीय श्रीअमरप्रभसूरिभिः ।। शुभ भवतुः ॥
१३७. आदिनाथ जिनालय, पूना, प्रा०ले०सं०, लेखांक ११९.
१३८. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, बी०जै० ले०सं०, लेखांक ६९१. १३९. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, वही, लेखांक ६९३.
१४०. आदिनाथ जी का
मंदिर, पूना, प्रा०ले०सं०, लेखांक १२२.
१४१. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, बी०जै०ले० सं०, लेखांक ७०१. १४२. विमलनाथ मंदिर, मुर्शिदाबाद, जै० ले०सं०, भाग १, लेखांक ३९.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय (१४३) नमिनाथ-पंचतीर्थी
सं० १४८२ वर्षे माघ सुदि ५ सोमे उपकेश ज्ञातीय श्रे० लूणपाल भा० पूजी पु० गांगाकेन पितृ मातृ श्रेयसे श्रीनमिनाथबिंबं कारितं श्रीबृहद्गच्छे श्रीनरचन्द्रसूरिपट्टे प्र० श्रीवीरचन्द्रसूरिभिः ॥ (१४४) शांतिनाथ-पंचतीर्थी
सं० १४८२ वर्षे माघ वदि ९ बुधे उपकेशज्ञातीय सा० पाता भा० णे (पो) मादे बूल्हाकेन पित्रोः श्रेयसे श्रीशांतिनाथबिंबं कारितं प्र० श्रीबृहद्गच्छे श्रीमहेन्द्रसूरिपट्टे भ० श्रीकमलचंद्रसूरिभिः ॥ (१४५) चन्द्रप्रभ-पंचतीर्थी
सं० १४८२ वर्षे माघ सुदि ५ सोमे उपकेश ज्ञातीय सा० रूदा भा० रूपादे० पु० उधरण सामल सहितेन श्री चंद्रप्रभस्वामि बिंबं का० श्रीबृहद्गच्छे प्र० श्रीकमलचन्द्रसूरिभिः ॥ (१४६) आदिनाथ-पंचतीर्थी
संवत् १४८५ वर्षे ज्येष्ठ (ष्ठ) सुदि १३ सोमे उपकेशज्ञातीय सा० घेता भा० . रांकुं पुत्र सलषा भा० राजलदे सं० पितृमातृश्रे० श्रीआदिनाथबिंबं का० श्रीबृहद्गच्छे प्रतिष्ठितं श्रीगुणसागरसूरिभिः ।। (१४७) चन्द्रप्रभ-पंचतीर्थी
सं० १४८६ वर्षे वैशाख सुदि ७ सोमे श्री श्री दूगड़गोत्रे सा० अर्जुन पुत्रेण सा० उदयसिंहेन भार्या जयताही पु०सा० मूला सा० नागराज सा० श्रीपालादियुतेन आत्मश्रेयसे श्रीचंदप्रभं कारितं प्रतिष्ठितं बृहद्गच्छीय श्रीमुनीश्वरसूरिपट्टे (रत्न)प्रभसूरिभिः ॥ १४३. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, बी० जे०ले०सं०, लेखांक ७१८. १४४. अनुपूर्ति लेख, आबू, अ० प्रा००ले०सं०, (आबू - भाग-२) लेखांक ६२०. १४५. महावीर स्वामी का मंदिर, डागों की गुवाड़, बीकानेर, बी०जै०ले०सं०, लेखांक १५३० १४६. भण्डारस्थ प्रतिमा, गौडी जी का मंदिर, उदयपुर, प्रा०ले०सं०, लेखांक १३३. १४७. जैन मंदिर, पटना, जै०ले०सं०, भाग १, लेखांक २७४.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय (१४८) अजितनाथ-पंचतीर्थी ____ सम्वत् १४८६ वर्षे वैशाख सुदि १३ सोमे दूगडगोत्रे मं०डीडा पु० वील्हाकेत निजश्रेयसे श्रीअजितनाथा बिंब कारतिं प्रतिष्ठितं बृहद् गच्छे श्री मुनिसुश्वरसूरिपट्टधरैः श्री रत्नप्रभसूरिभिः ॥ (१४९) सुमतिनाथ-पंचतीर्थी
संवत् १४८६ वर्षे वैशाख सुदि १३ शनौ उ०ज्ञा०व्य० अमई भा० चांपलदे पुत्र सांगाकेन मूमण निमित्तं श्रीसुमतिनाथबिंब का०प्र० श्रीसत्यपुरीय गच्छे भ० श्रीललितप्रभ
सूरिभिः ॥
(१५०) सुमतिनाथ-पंचतीर्थी
सं० १४८६ वर्षे ज्येष्ठ सुदि १३ सोमे केल्हण गोत्रे सा० शिवराज भार्या नत्थि पुत्रेण साह आसुकेन स्व पित्रो श्रेयसे श्रीसुमतिजिन बिंबं प्र० बृहद्गच्छे श्रीमुनीश्वरसूरिपट्टे श्रीरत्नप्रभसूरिभिः ॥ (१५१) नमिनाथ-पंचतीर्थी ___ सं० १४८६ वर्षे ज्येष्ठ सुदि १३ सोमे श्रीनागूणागोत्रे सोमलशाखायां सा० वीरपाल जेसा ------------ नमिनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीबृहद्गच्छे श्रीमुनीश्वरसूरिपट्टे श्रीचन्द्रप्रभसूरिभिः ॥ (१५२) वासुपूज्य-पंचतीर्थी
सं० १४८७ वर्षे माह वदि ९ भौमे उपकेश सा० मणुन भा० माल्हणदे पुत्र तिहुणा तोडा भार्या पूरि पु० सहजा सहि० पितृनि० श्रीवासुपूज्यबिंबं का०प्र० श्री बृ०भ० श्रीधर्मसिंहसूरिभिः ॥
१४८. मुनिसुव्रत जिनालय, मालपुरा, प्र०ले०सं०, भाग १, लेखांक २५७.. १४९. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, बी० जे०ले०सं०, लेखांक ७३१. १५०. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, बी०जै० ले०सं०, लेखांक ७३५. १५१. विमलनाथ मंदिर, सवाई माधोपुर, प्र०ले०सं०, भाग १, लेखांक २५९. १५२. चिन्तामणि पार्श्वनाथ मंदिर, किशनगढ़, वही, भाग १, लेखांक २६९.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय (१५३) विमलनाथ-पंचतीर्थी
सं० १४८८ वर्षे महा शुदि ५ सोमे उपकेशज्ञा० बेगड़गोत्रे सा० जूला पुत्र सा० हरष भार्या पेतलदे पु० बीढ भा० वीमलदे पित्रोः श्रेयसे श्रीविमलनाथबिंबं का०प्र० श्रीबृहद्गच्छेश श्रीवीरभद्रसूरिभिः ॥ (१५४) मूलनायक शान्तिनाथ-पाषाण
॥ ६० ॥ सं० १४८९ वर्षे मार्ग० सुदि ११ गुरौ रेवत्यां । श्री तातेहड़ गोत्रे सा० (भा ?) पुत्र गह्नार गोसलणीधर --------- भधा गोसल भक्त घट्ट सलिग सारंग संघी (? जी) प्रभृति तत्र साधु ----------श्री शांतिनाथ बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं बृहद्ग(च्छे) श्रीभद्रेश्वरसूरि (?) (१५५) मुनिसुव्रत-पंचतीर्थी
सं० १४८९ पौष सुदि १२ शनौ उ० बलहउती गोत्रे सा० पूना भा० पूनादे पुत्र भीलाकीता भाडा लौपितदे श्रे० श्रीमुनिसुव्रत बिंबं का०प्र० श्रीबृहदके (बृहद्गच्छे) श्रीधर्मदेवसूरिपट्टे श्रीधर्मसिंहसूरिभिः ॥ श्री ॥ (१५६) शांतिनाथ-पंचतीर्थी
सं० १४८९ वर्षे माघ वदि २ शुक्रे प्राग्वाटज्ञातीय श्रे० महणसी भा० महाल्हणदे पु० टोलाकेन बाई वील्हणदे न(न) मित्तं श्रीशांतिनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीबृहद्गच्छीय श्रीलल(लि)तप्रभसूरिभिः ॥ (१५७) शीतलनाथ-पंचतीर्थी
सं० १४९२ वर्षे वैशाख सुदि २ बु० उपकेश ज्ञातीय सा० साल्हा भा० चांपल पु० सामंत आत्मश्रेयोर्थं श्रीशीतलनाथ बिंबं का० श्रीबृहद्गच्छे प्र० श्रीगुणसागरसूरिभिः ॥
१५३. कल्याण पार्श्वनाथ जी का मंदिर, वीसनगर, जै० धा०प्र०ले०सं०, भाग १, लेखांक ५००. १५४. पार्श्वनाथ जी का मंदिर, हनुमानगढ़, बीकानेर, बी०जै० ले०सं०, लेखांक २५२६. १५५. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, बी०जै०ले०सं०, लेखांक ७४३. १५६. चन्द्रप्रभ जिनालय, जालना, प्र०ले०सं०, भाग २, लेखांक ५३. १५७. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, बी०जै० ले०सं०, लेखांक ७५९.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय
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(१५८) पद्मप्रभ पंचतीर्थी
॥ संवत् १४९२ वर्षे मार्ग वदि ५ गुरुवारे ओसवंशे नक्षत्र गोत्रे सा० काला भा० पूरी पु०सा०भाऊ खीमा श्रवणैः भ्रातृ नानिग ताल्हण श्रेयसे श्रीपद्मप्रभ बिंबं का०प्र० श्रीबृहद्गच्छे श्रीसागरचन्द्रसूरिभिः ॥
(१५९) विमलनाथ - पंचतीर्थी
सं० १४९३ जेठ वदि ३ मंगले उप० ज्ञा० पावेचा गोत्रे सा० वीरा भा० वील्हणदे पुत्र कुंभाकेन भा० कामलदे युतेन स्वश्रे० विमल बिंबं का०प्र० बृहद्गच्छे देवाचार्यान्वये श्रीहेमचन्द्रसूरिभिः ।। छ ॥
(१६०) चन्द्रप्रभ - पंचतीर्थी
संवत् १४९५ वर्षे फाल्गुन वदि ९ रविवारे ऊके० वंशे पावेचा गोत्रे सा० नींबा भा० कपूरदे पु० जगमालेन भा० मानू पु० चांपादि युतेन श्रीचंद्रप्रभ बिंबं का०प्र० बृहद्गच्छे श्रीहेमचंद्रसूरि ॥
(१६१) संभवनाथ पंचतीर्थी
सं० १४९७ वर्षे ज्येष्ठ सुदि ३ व्य० पर्वत सुत व पुरप सामल पु० भादा भा० हांसादे पु० देवसीकेन भा० हीरादे सहितेन स्व श्रेयसे श्रीसंभवनाथबिंबं का०वृ०भ० श्रीअमरचन्द्रसूरिभिः ॥
(१६२) वासुपूज्य पंचतीर्थी
सं० १४९८ वर्षे फाल्गुण वदि १० सोमे उपकेशज्ञातीय वरडीया गोत्रे सा० पदमसीह भार्या पदमश्री पु० अर्जुन निजमातृपुण्यार्थं श्रीवासुपूज्यबिंबं का०प्र० श्रीबृहद्गच्छे भ० मुनीश्वरसूरिपट्टे श्रीरत्नप्रभसूरिभिः ॥
१५८. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, वही, लेखांक ७६४.
१५९. धर्मनाथ जी का मंदिर, जोधपुर, जै० ले०सं०, भाग १, लेखांक ६१९.
१६०. आदिनाथ जिनालय, कारंजा, प्र०ले०सं०, भाग २, लेखांक ६१.
१६१. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, बी० जे०ले०सं०, लेखांक ७९४. १६२. महावीर जिनालय, चोथ का बरवाड़ा, प्र०ले०सं०, भाग १, लेखांक ३२५.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय
(१६३) शांतिनाथ - पंचतीर्थी
ॐ ।। संवत् १४९९ वर्षे सावण वदि २ शनिवारे मूलनक्षत्रे लोढ़ागोत्रे सा० महणसीह पुत्र सा० पन्ना नेना भार्या मुनी तत्पुत्र सा० खीमराज भ्रातृ करमसिंह निजमातृपितृश्रे० पुण्यार्थं श्रीशांतिनाथबिंबं का० प्रति० बृहद्गच्छे श्रीपद्माणंदसूरिभिः ॥ (१६४) कुन्थुनाथ- पंचतीर्थी
सं० १४९९ वर्षे माह सुदि ६ उपकेशज्ञातीयसूरोठागोत्रे सा० सिंगारदेव्याभ्यां निजपुण्यार्थं श्रीकुथुनाथबिंबं कारितं प्रति० श्रीबृहद्गच्छे श्रीअमरप्रभसूरिपट्टे श्रीसागरचंद्रसूरिभिः ॥ (१६५) संभवनाथ - पंचतीर्थी
सं० १४९९ वर्षे फागुण वदि २ गुरौ उपकेशज्ञाती० श्रीधरकटगोत्रे सा० हीरराज प्रसिद्धनाम सा० बगुला पुत्रेण सा० लाखा श्रावकेण भार्या गजसीरी पुत्र बलिराजयुतेन श्रीसंभवनाथबिंबं का०प्र० श्रीबृहद्गच्छे श्रीरत्नप्रभसूरिभिः ।।
३५
(१९६६) श्रेयांसनाथ- पंचतीर्थी
सं० १४९९ वर्षे फागुण वदि २ गुरौ उपकेशज्ञातीय वरहडीयागोत्रे सा० गोसल पुत्रेण सा० दुलहत द्वे० नाम राउलेन भा० हर्षमदे पु० अर्जुन सदारङ्ग सहितेन आत्मश्रे० श्रीश्रेयांसबिंबं का०प्र० बृहद्ग० श्रीरत्नप्रभसूरिभिः ।।
(१६७) आदिनाथ:
१. ॥ संवत् १५०० वर्षे मार्गशिर वदि २. २ शनौ ओसवाल ज्ञातीय श्रीनाह ३. र गोत्रे सा० मोहिलसुत सं० नयणा ४. तद्भार्या सं० कुंता नाम्न्यां स्वभर्तुः पु५. ण्यार्थं श्रीआदिनाथ बिंबं कारितं प्र
१६३. पार्श्वनाथ मंदिर, बूंदी, वही, भाग १, लेखांक ३२८.
१६४. मनमोहन पार्श्वनाथ जी का मंदिर, खजुरीपाड़ा, पाटण, जै०धा०प्र०ले०सं०, भाग १, लेखांक २४६. १६५. प्रा०ले०सं०, लेखांक १७६ तथा नया मंदिर, जयपुर, प्र०ले०सं०, भाग १, लेखांक ३३२.
१६६. आदिनाथ जिनालय, गागरडू, प्र०ले०सं०, भाग १, लेखांक ३३३.
१६७. श्री गंगा गोल्डेन जुवली म्यूजियम, बीकानेर, बी०जै०ले०सं०, लेखांक २१५७.
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३६
६. तिष्ठितं श्रीरत्नप्रभसूरिपट्टे ॥
७. श्रीमहेन्द्रसूरिभिः श्रेयसे भवतु ८. श्रीबृहद्गच्छे ॥ श्री ॥
(१६८) महावीर - पाषाण
(ए) ॥ सं० १५०१ अक्षयतृतीयां भ० श्रीमुनीश्वरसूरि पुण्यार्थ का० देवभद्रगणेन ॥ शुभं भवतु ॥
(बी) ।। ६० ।। संवत् १५०१ वर्षे वैशाख सुदि अक्षयतृतीयां श्रीभट्टनगरे श्रीवृद्धगच्छे देवाचार्यसंताने श्रीजिनरत्नसूरि श्रीमुनिशेखरसूरि श्रीतिलकसूरि श्रीभद्रेश्वरसूरि तत्पट्टोदयशैलदिनमणि । वादीन्द्रचक्रचूडामणि शिष्य जन चिन्तामणि भ० श्री मुनीश्वरसूरि पुर्ण्यं वा। देवभद्रगणि श्री महावीर बिंबं कारितं । प्र० श्रीरत्नप्रभसूरिपट्टे श्रीमहेन्द्रसूरिभिः चिरं नंद्यात् शुभम् ।
(१६९) अजितनाथः
१. संवत् १५०१ वैशाख शुक्ल २ सोमे
२.
रोहिणी नक्षत्रे जंवडगोत्रे । सं० गे
३.
डा संताने सा० सच्चा पुत्रसा० केण्ह
४.
ण भार्या श्राविका हेमी नाम्न्या स्वपति पुण्यार्थं श्रीअजितनाथ बिंबं कारि
तं प्रतिष्ठितं श्रीबृहद्गच्छे श्रीदेवाचार्य सं
ताने। श्रीरत्नप्रभसूरिपट्टे श्रीमहेन्द्रसूरिभिः ।
बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय
५.
६.
७.
( १७०) संभवनाथ - पाषाण
( ) वा० देवभद्रगाणिना बिंबं कारितं ॥
( ) १ ॥ ६० ॥ स्वस्ति श्री संवत् १५०१ वर्षे वैशाख सुदि ३ तृतीयायां बृहद्गच्छे श्रीदेवाचार्य संताने श्रीमुनीश्वरसूरिवादीन्द्रचक्रचूड़ामणि राजात्रलीत कला
१६८. श्री गंगा गोल्डेन जुबली म्यूजियम, बीकानेर, वही, लेखांक २१५२. १६९. श्री गंगा गोल्डेन जुबली म्यूजियम, बीकानेर, बी०जै०ले०सं०, लेखांक २१५४. १७०. श्री गंगा गोल्डेन जुबली म्यूजियम, बीकानेर, वही, लेखांक २१५३.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय
३७
२ प्रकाश नभोमणि वर शिष्य वाचनाचार्य देवभद्रगणिवरेण श्रीसंभवनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं ।। श्रीरत्नप्रभसूरिपट्टे श्रीमहेन्द्रसूरिभिः शुभं भवतु ॥
(१७१) नमिनाथ- पंचतीर्थो
सं० १५०१ ज्येष्ठ वदि १२ सोमे उप० ज्ञा० स० जेसा भा० जसमा दे०पु० कान्हा रता रामा कान्हा भा० श्याणी स० पितृ श्रे० श्रीनमिनाथबिंबं का०प्र० श्रीबृहद्गच्छे श्रीनरचन्द्रसूरिपट्टे श्रीवीरचन्द्रसूरिभिः ॥
(१७२) सुविधिनाथ- पंचतीर्थी
सं० १५०१ वर्षे माह सुदि १० सोमे उपकेश० छोहरयागोत्रे साह नेतसी पुत्र सोना भार्या नइणसिरी पुत्र तेजा भार्या पाल्हू पुत्र हांसाकेन पारस श्रेयसे आत्मश्रेयसे श्रीसुविधिनाथबिंबं का० बृहद्गच्छे प्रतिष्ठितं श्रीमुनिदेवसूरिभिः ॥
(१७३) सुविधिनाथ- पंचतीर्थी
सं० १५०४ वर्षे ज्येष्ठ वदि ३ सोमे उप ज्ञा० बोकड़िया गोत्रे सा० पाल्हा भा० पाल्हणदे पु० भांडा भा० जासल दे० पुत्र जातेन आत्मा श्रे० श्रीसुविधिनाथ बिंबं का०प्र० बृहद्गच्छे भ० श्रीधर्मचन्द्रसूरिपट्टे भ० श्रीमलयचन्द्रसूरिभिः ॥ श्री ॥
(१७४) शीतलनाथ- पंचतीर्थी
सं० १५०४ वर्षे मार्गशिर सु० ६ सोमे उपकेशज्ञातीय छोहरिया गो० सा० बोहित्थ भा० बुहश्री पु०सा० फलहू आत्म पु० श्री शीतलनाथबिंबं का०प्र० श्री बृहद्गच्छे पू०भ० श्रीसागरचन्द्रसूरिभिः ।।
(१७५) शीतलनाथ- पंचतीर्थी
संवत् १५०४ वर्षे फागुण सुदि ११ उपकेश ज्ञा० उच्छित्रवाल गोत्रे सा० पला भा० भानादे पु० भांडा भा० पाल्हणदे युतेन मातृ पितृ नि० श्रीशीतलनाथ बिंबं का०प्र० श्रीवृद्ध० भ० श्रीअमरचंद्रसूरिभिः ॥
१७१. महावीर स्वामी का मंदिर, बीकानेर, वही, लेखांक १३६०.
१७२. चन्द्रप्रभ जिनालय, कोटा, प्र०ले० सं०, भाग १, लेखांक ३४५.
१७३. महावीर स्वामी का मंदिर, बीकानेर, बी०जै०ले०सं०, लेखांक १३२०.
१७४. महावीर स्वामी का मंदिर, वैदों का चौक, बीकानेर, बी०जै० ले०सं०, लेखांक १२९५. १७५. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, वही, लेखांक ८८८.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय (१७६) वासुपूज्य-पंचतीर्थी
सं० १५०५ वर्षे फागु० वदि ७ बुध दिने उप०सा० धागा भार्या सुहागदे ध --------- भा० सूमलदे पुत्र उलल भा० मूलसिरि सहि० पित्रोः श्रेयसे श्रीवासुपूज्य बिंबं का०प्र० श्रीअमरचंद्रसूरिभिः ॥ (१७७) सुमतिनाथ-पंचतीर्थी
सं० १५०६ वैशा(ख) सु० ८ भूमे उ० मंडलेचा गोत्रे सा० डूदा भा० रंगादे पु० जपुता तासर जइता भा० जिणमादे खे -------- भा० तारादे पु० अमरा श्रे० सुमतिनाथ बिंबं का०प्र०बृ०ग० पुण्यप्रभसूरिभिः । (१७८) चन्द्रप्रभ-पंचतीर्थी
॥ संवत् १५०६ वर्षे फागुण सुदि ३ रवौ ओसवाल ज्ञातीय दूगड़ गोत्रे सा० खेतात्मज सं० सुहड़ा पुत्रेण स० सहजाकेन । सा० खिल्लण पु०सा० खिमराज युतेन पितामही माथुरही पुण्यार्थं श्रीचन्द्रप्रभ बिंबं का०प्र०बृ० गच्छे श्रीमहेन्द्रसूरि श्रीरत्नाकरसूरिभिः । (१७९) मुनिसुव्रत-पंचतीर्थी
॥ सं० १५०७ वर्षे जेठ सु० १० सोमे उ०ज्ञा०सं० साता भा० माल्हणदे पु० नइणा भा० मेहिणि पु० हांसा नापु स० पितृ श्रे० श्रीमुनिसुव्रतबिंबं का०प्र० श्रीबृहद्गच्छे भ० श्रीवीरचंद्रसूरिभिः ॥ (१८०) विमलनाथ-पंचतीर्थी
॥ ॐ ॥ संवत् १५०७ वर्षे मार्गसिर सुदि ६ शुक्रे उपकेशज्ञातीय जावड़गोत्रे सं० धणसीह भार्या दादह वीसल भार्ता (भ्राता) महिपाल पु० नगराज साधो आत्मपुण्यार्थं श्रीविमलनाथबिंबं का०प्र० श्रीबृहद्गच्छे श्रीसागरसूरिभिः।। १७६. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, वही, लेखांक ८४५. १७७. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, वही, लेखांक ८९९. १७८. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, वही, लेखांक ९०५. १७९. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, वही, लेखांक ९१७. १८०. चन्द्रप्रभ जिनालय, आमेर, प्र०ले०सं०, भाग १, लेखांक ४१९.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय (१८१) सुमतिनाथ-पंचतीर्थी
॥ संवत् १५०८ वर्षे वैशा --------- साजण भार्या मेघी आत्मपुण्यार्थं श्रीसुमतिनाथबिंब कारा० बृहद्गच्छे भ० श्रीमहेन्द्रसूरिभिः ॥ (१८२) संभवनाथ
सं० १५०८ वर्षे मार्गशिर वदि २ बुधे श्रीडीडूगोत्रे सा० मूणा भार्या मोल्ही एतयोः पुत्रेण सा० नानिग श्रीसंभवनाथबिंबं का०प्र० श्रीबृहद्गच्छे रत्नप्रभसूरि पट्टे श्रीमहेन्द्रसूरिभिः ॥ (१८३) चन्द्रप्रभ-पंचतीर्थी
सं० १५०८ वर्षे मार्गसिर वदि २ बुधे श्रीउताडगोत्रे सा० भूणा भार्या तोल्ह मोल्ही एतयोः पुत्रेण ----------- तातिनाम्न्या पित्रोः पु० श्रीचंद्रप्रभबिंबं का०प्र० श्रीबृहद्गच्छे श्रीरत्नप्रभसूरिपट्टे श्रीमहेन्द्रसूरिभिः ॥ (१८४) पार्श्वनाथ-पंचतीर्थी
॥ सं० १५१० वर्षे चैत्र वदि ८ बुधे श्रीमालज्ञा० काणागोत्रे सा० जयता भा० कान्हू पुत्र । सा० हांसा- चांपाभ्यां स्वश्रेयोर्थं श्रीअभिनन्दनबिंबं का०प्र० श्रीबृहद्गच्छे श्रीमतिसुन्दरसूरिभिः ॥ (१८५) पार्श्वनाथ-पंचतीर्थी
|| संवत् १५१० चैत्र वदि वदि ८ बुधे श्रीमालज्ञा० चढचहयागोत्रे पं० गोसल भा० गुरादे पुत्र अर्जुनेन स्वश्रेयसे श्रीपार्श्वनाथबिंबं का०प्र० श्रीबृहद्गच्छे श्रीसांतिसुन्दरसूरिभिः ॥ (१८६) शांतिनाथ-पंचतीर्थी . ॥ सं० १५१० वर्षे आषाढ़ सुदि २ गुरौ श्री सोनी गोत्रे सा० मूग संताने सा० भिखू पु० सा० कालू भार्या कमलसिरि पुत्र पूना । सा० कालूकेन आत्मपुण्यार्थं श्रीशांतिनाथ बिंबं कारितं श्रीबृहद्गच्छे भ० श्रीमहेन्द्रसूरिभिः॥ १८१. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, बी०जै०ले०सं०, लेखांक ९२३. १८२. शाकरचन्द्र प्रेमचन्द्र की टूक शत्रुजय, श००, लेखांक १२०. १८३. हेमाभाई ट्रॅक, शत्रुजय, श०गि०द०, लेखांक ४२१. १८४. शांतिनाथ मंदिर, चांदलाई, प्र०ले०सं०, भाग १, लेखांक ४५२. १८५. सुमतिनाथ मंदिर, रतलाम, प्र०ले०सं०, भाग १, लेखांक ४५३. १८६. शांतिनाथ जी का मंदिर, चूरू, राजस्थान, बी०जै०ले०सं०, लेखांक २४०९.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय (१८७) कुन्थुनाथ-पंचतीर्थी
॥ संवत् १५१० वर्षे माघ सुदि ५ दूगड़गोत्रे सा० सीहा भा० इदी पु० सहदे साऊँ सोढा सहजा सलखा तेषु सहदेव गौरीपुण्यार्थं कुन्थुनाथबिंब कारितं प्र० श्रीबृहद्गच्छे श्रीअमरप्रभसूरिपट्टे श्रीरत्नचन्द्रसूरिभिः ॥ (१८८) पद्मप्रभ-पंचतीर्थी
सं १५१० वर्षे श्रीश्रीमालज्ञा० श्रे० भीमसी भा० हरखूसुत आल्हाकेन भा० कउतिगदे सुत सहिसा शिवदासलखराजादिकुटुंबयुतेन स्वश्रेयोऽर्थं श्रीपद्मप्रभबिंबं का०प्र० वडगच्छे श्रीपूर्णचन्द्रसूरिभिः ॥ (१८९) पद्मप्रभ-पंचतीर्थी
॥ संवत् १५११ वर्षे ज्येष्ठ सुदि ३ गुरौ श्रीहंगडगोत्रे सा० श्रीपोपासंताने सं० अर्जुनभार्या सखणी पु०सं० सिवराज सु० धनराज भार्या० सालिगही सुतेन भावदेवेन भा० वीरी पु० जगमलयुतेन श्रीपद्मप्रभस्वामिबिंबं का०प्र०बृ० श्रीमहेन्द्रसूरिपट्टे श्रीरत्नाकरसूरिभिः शुभम् ॥ (१९०) चन्द्रप्रभ-पंचतीर्थी
संवत् १५११ वर्षे ज्ये०सु० ३ गुरौ दिने ऊ० ज्ञातीय श्री वरलद्धगोत्रे नाथु संताने राजा भार्या राजलदे सुत सह सावलू राणा हुदा श्री मल्लयुतौ पितृ मातृ श्रेयसे श्रीचंद्रप्रभस्वामी बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्री बृहद्गच्छे श्रीमुनिशेखरसूरिसंताने श्रीमहेन्द्रसूरि श्री श्री श्री रत्नाकरसूरिभिः शुभं ॥ (१९१) अजितनाथ-पंचतीर्थी
सं० १५१२ व०वै० शु० १० सोमे उसवंशे लोढागोत्रे सा० चाहड़ भार्या देल्हू पु० निल्हा भा० सोनी करमी सु०सा० हासकेन भातृ सानाउ साखेऊ हासा भार्या रत्नी सु०सा० ठाकुर सा० ईसर सा० ऊँधारी प्रमुखयुतेन स्वश्रेयसे श्रीअजितनाथबिंबं का० प्रति० श्रीबृहद्गच्छे श्रीसूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥
१८७. महावीर मंदिर, सांगानेर, प्र०ले०सं०, भाग १, लेखांक ४६६. १८८. चन्द्रप्रभजी का मंदिर, जानी शेरी, बड़ोदरा, जै०या०प्र०ले०सं०, भाग २, लेखांक १५४. १८९. माणिकसागर जी का मंदिर, कोटा, प्र०ले० सं०, भाग १, लेखांक ४७१. १९०. संभवनाथ का मंदिर, अजीमगंज, जै० ले०सं०, भाग १, लेखांक २३. १९१. श्रीमालों का मंदिर, जयपुर, प्र०ले०सं०, भाग १, लेखांक ६११.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय (१९२) अजितनाथ-पंचतीर्थी
सं० १५१३ वर्षे मार्गसिर सुदि १० सोमे श्रीवरलद्ध गोत्रे सा० दोदा पुत्र सा० हेमराजेन पत्रा (?) हेमादे पुत्र बालू धनू सहसू अलणा युतेन श्रीअजितजिनबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं बृहद्गच्छे श्रीमेरुप्रभसूरिपट्टे श्रीराजरत्नसूरिभिः।। (१९३) पद्मप्रभ-पंचतीर्थी
सं० १५१३ वर्षे माघ सुदि ३ शुक्रे श्रीउपकेशज्ञातीय परवजगोत्रे व्य० सिवा पुत्र देवाकेन भा० देवलसहितेन मातृ संसारदे पुण्यार्थं श्रीपद्मप्रभबिंबं कारितं श्रीवडगच्छे श्रीसर्वदेवसूरिभिः प्रतिष्ठितं श्रीरस्तु । (१९४) शांतिनाथ-पंचतीर्थी
॥ संवत् १५१६ वर्षे आषाढ सुदि ४ शुक्रे उपकेशज्ञा० बरहडीयागोत्रे कुंरसी भार्या कपूरदे पु० रेडा-टीलाभ्यां स्वपित्रो (:) श्रेयसे श्रीशांतिनाथबिंबं का०प्र० श्रीबृहद्गच्छे श्रीमेरुप्रभसूरिभिः ॥ (१९५) पद्मप्रभ-पंचतीर्थी
सं० १५१६ वर्षे मार्ग वदि ५ उपकेशज्ञातौ दूगड़गोत्रे सा० सिवराज पु० सं० भिक्खा हांसा भल्हयुतौ भ्रातृ सोहिल पुण्यार्थं श्रीपद्मप्रभबिंब का० बृहद्गच्छे श्रीसागरचंद्रसूरिभिः ॥ (१९६) सुमतिनाथ-पंचतीर्थी _____ सं० १५१७ वर्षे ज्येष्ठसुदि ५ गुरु प्राग्वाटज्ञातीय परिखभादाभार्यामाकूसुतजीवामूलासहितेन आत्मश्रेयोऽर्थं श्रीसुमतिनाथजीवितस्वामिबिंबं का०प्र० बृहद्गच्छे सत्यपुरीशाखायां भ० श्रीपासचंद्रसूरिभिः झायणाग्रामे ॥
१९२. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, बी०जै०ले० सं०, लेखांक ९७३. १९३. ऋषभदेव का बड़ा मन्दिर, थराद, श्री०प्र०ले०सं०, लेखांक २२०. १९४. विमलनाथ जिनालय, कोटा, प्र०ले०सं०, भाग २, लेखांक १०४. १९५. चन्द्रप्रभ स्वामी का मंदिर, जैसलमेर, जै०ले०सं०, भाग ३, लेखांक २३३८. १९६. चिन्तामणि पार्श्वनाथ जिनालय, खंभात, जै० घा०प्र०ले०सं०, भाग २, लेखांक ५८४.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय (१९७) धर्मनाथ-पंचतीर्थी
संवत् १५१८ वर्षे माघ सुदि ५ शुक्रे श्रीश्रीमालज्ञा० मं० बीसल भा० लाडी पु० आसाभा० जसमादे पु० तेजाकालाभा० ठवीचमकूसहिताभ्यां श्रीधर्मनाथबिंबं का०प्र० बृहद्गच्छे श्रीजयमंगलसूरिसंताने श्रीपुनचंदसूरिपट्टे श्रीकमलप्रभसूरिभिः ॥ (१९८) शान्तिनाथ
संवत् १५१८ वर्षे माघ सुदि १० सोमवारे उपकेशवंशे। श्रीवरहुडियागोत्रे । सा० अमरा पुत्र सा० दूसल पु०सा० खीमा भार्या श्रा० खेतलदे नाम्नी स्वश्रेयसे ------ - पु० मेडा सा० धरमा सहितेन श्रीशांतिनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीबृहद्गच्छे श्रीमुनीश्वरसूरिपट्टे श्रीरत्नप्रभसूरिपट्टे श्रीमहेन्द्रसूरिपट्टे श्रीरत्नाकरसूरिपट्टे श्रीगुणनिधानसूरि श्रीमेरुप्रभसूरिभिः ॥ शुभं भवतु ॥ (१९९) कुन्थुनाथ-पंचतीर्थी
संवत् १५१९ वर्षे वैशाख वदि १० ऊकेश ज्ञा०व्य० कृपा भा० सोषल सुत सूराकेन भा० शाणी सुत ठाकुर मेघादि कुटुंब युतेन श्रेयार्थं श्रीकुंथुनाथ बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसूरिभिः बृहद्गच्छे जीराउला श्रीउदयचंद्रसूरिभिः।। (२००) कुन्थुनाथ-पंचतीर्थी
॥ संवत् १५१९ वर्षे वैशाख वदि ११ शुक्रे उसवालज्ञातीय हारगोत्रे सं० रामा पु० सामंत भार्या सहजदे पु०सं० सिवाकेन आत्मश्रे० श्रीकुंथुनाथबिंबं का० बृहद्गच्छीय प्रत० श्रीदेवचंद्रसूरिभिः ॥ (२०१) सुमतिनाथ-पंचतीर्थी
संवत् १५१९ वर्षे ज्येष्ट (ष्ठ) सुदि ९ शुक्रे प्राग्वाट ज्ञा०व्य० नरपाल भा० भामलदे पु० रामाकेन भा० रामादे सुत सलिग जेसासहि० श्रीसुमतिनाथपंचती० बि०प्र० वृ(बृ)हद्ग० ब्रह्माणीय श्रीउदयप्रभसूरिभिः ॥ १९७. अजितनाथ जी का मंदिर, सुतार की खड़की, अहमदाबाद, जै० धा०प्र० ले०सं०, भाग १, लेखांक १३३९. १९८. शांतिनाथ मंदिर, भंडारस्थ प्रतिमा, पंचतीर्थी मंदिर, नाकोड़ा, नाकोड़ा तीर्थ श्रीपार्श्वनाथ, संपा०
विनयसागर, लेखांक ३४. १९९. पुरातत्त्व संग्रहालय, सिरोही, पटनी, पूर्वोक्त, लेखांक ६७, पृष्ठ ८४. २००. चन्द्रप्रभस्वामी का मंदिर, जैसलमेर, जै०ले०सं०, भाग ३, लेखांक २३४३. २०१. अनुपूर्ति लेख, आबू, अ० प्रा० जै०ले०सं०(आबू - भाग २), लेखांक ६४३.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय
(२०२) आदिनाथ- पंचतीर्थी
संवत् १५१९ वर्षे पौष वदि ५ शुक्रे उ०ज्ञा० कूकूलोलगोत्रे महं० गोपालपु० जावडभा० २ संपूरी जीवादेपु० अदाहरराज सोमाएतैः मं० जावडनिमित्तं पितृनिमित्तं श्रीआदिनाथबिंबं का०प्र० बृहद्गच्छे श्रीजयमंगलसूरिसं० श्रीकमलप्रभसूरिभिः शुभं भवतु ॥ (२०३) शीतलनाथ चौबीसी - पंचतीर्थी
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।। ए सं० १५१९ वर्षे माघ सुदि ९ शनौ उ०ज्ञा० धनणिया गोत्रे भ० पीमा गोपा माला पोमादे पु० षेतामाता वेला भा० पूजलदे सहितेन स्वपुण्यार्थं श्रीशीतलनाथ बिं० का०प्र० श्रीबृहद्गच्छे श्रीजयमंगलसूरीणां शिष्ये । श्रीहेमचंद्रसूरिपट्टे श्रीकमलप्रभसूरिभिः ॥ श्री पत्तन । ऊचीशेरी वास्तव्य ॥
(२०४) अनन्तनाथ- पाषाण
संवत् १५सुदि १० सोमे ऊकेशवंशे वरहुडीयागोत्रे सा० अमरा पुण्यार्थं दूसल पु०सा० खीमा पु०सं० सहजा पुण्यार्थं श्री अनन्तनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीबृहद्गच्छे श्रीरत्नाकरसूरिपट्टे श्रीमुनिनिधानसूरिभिः
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(२०५) आदिनाथ- पंचतीर्थी
संवत् १५२० वर्षे वै० सुदि ५ भौमे श्रीज्ञातीय श्रीपल्हयउ गोत्रै सा० भीषात्मज सा० घेल्हा तत्पुत्र सा० सांगा प्रभृतिभिः स्वपितृ पुण्यार्थं श्री आदिनाथ बिंबं कारितं बृहद्गच्छे श्रीरत्नप्रभसूरिपट्टे प्रतिष्ठितं श्री महेन्द्रसूरिभिः ॥
(२०६) संभवनाथ - पंचतीर्थी
।। सं० १५२१ आषाढ़ वदि १३ उप० ज्ञातीय गुहउचागोत्रे मं० भडा भा० गांगी पु० देल्हा हेमादेल्हा भा० चनकू पु० दीता हेमा भा० अमरी पु० दूल्हा सहि० मं० भडानि० श्रीसंभवनाथबिंबं का०प्र० श्रीबृहद्गच्छे श्रीहेमचन्द्रसूरिभिः श्रीः ॥
२०२. पद्मप्रभ का मंदिर, दलाल का टेकरा, खेड़ा, जै०धा०प्र० ले०सं०, भाग २, लेखांक ४३७. २०३. शामला पार्श्वनाथ मंदिर, लाम्बाशेरी पोल, अहमदाबाद; J.I. I. A No. 462.
२०४. भण्डारस्थ प्रतिमा, शांतिनाथ मंदिर, नाकोड़ा, नाकोड़ा श्री पार्श्वनाथतीर्थ, लेखक- विनयसागर, लेखांक ६५. २०५. संभवनाथ जी का मंदिर, अजमेर, जै०ले०सं०, भाग १, लेखांक ५५९.
२०६. पंचायती मंदिर, जयपुर, प्र०ले० सं०, भाग १, लेखांक ६१६.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय (२०७) अजितनाथ-पंचतीर्थी
॥ सं० १५२३ वर्षे मार्गसिर सुदि १० सोमे श्रीवरलद्धगोत्रे । सा० दोदा पुत्र सा० हेमराजेन पत्नी हेमादे पुत्र बालू धनू सहसू डालण युतेन श्री अजितजिनबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं बृहद्गच्छे श्रीमरुप्रभसूरिपट्टे श्रीराजरत्नसूरिभिः।। (२०८) कुन्थुनाथ-पंचतीर्थी
सं० १५२४ वैशा० सु० ६ गुरौ ऊकेश ज्ञाती मंडवेचा गोत्रे सा० नाल्हा भा० नींबू पु० सहसा भा० संसारदे पु० वीरम सहितेन आ०श्रे० श्रीकुंथुनाथ बिंबं का०प्र० श्रीबृहद्गच्छे श्रीजयमंगलसूरि संताने भ० श्रीकमलप्रभसूरिभिः ॥ (२०९) शांतिनाथ-पंचतीर्थी
॥६० ॥ सं० १५२४ वर्षे मार्गसिर वदि १२ सोमे श्रीनाहरगोत्रे सा० राजा पुत्र सा० पुनपाल भार्या चोखी नाम्न्या पुत्र डालू धणपाल देवसीह पुतया श्रीशांतिनाथबिंबं का०प्र० श्रीबृहद्गच्छीय श्रीमेरुप्रभसूरिपट्टे श्रीराजरत्नसूरिभिः ॥ (२१०) कुन्थुनाथ-पंचतीर्थी
संवत् १५२४ वर्षे फागुण सुदि ७ बुधे श्रीमालज्ञातीय श्रीपल्हवडगोत्रे ------- -- सुतेन ----------- श्रीपालकुमरपाल यु० पूर्ववालियपुण्यार्थं श्रीकुंथुनाथबिंबं कारितं श्रीबृहद्गच्छीय श्रीरत्नाकरसूरिपट्टे प्र० श्रीमेरुप्रभसूरिभिः।। (२११) सुपार्श्वनाथ-पंचतीर्थी
सं० १५२५ चैत्र वदि १० गुरौ उसवंशे मांडलेचा बुहरा रूदा भा० मेहिणि सुत ताला भा० हांसू सुत माऊ दास भार्या वीरु रामा समरु पु० श्रीसुपासबिंबं का० वडगच्छे प्र० कमलप्रभसूरि० ॥
२०७. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, बी०जै०ले० सं०, लेखांक १०३१. २०८. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, वही, लेखांक १०३५. २०९. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, वही, लेखांक १०३७. २१०. आदिनाथ जी का मंदिर, पूना, प्रा०ले०सं०, लेखांक ३८०. २११. महावीर मंदिर, पनवाड़, प्र०ले० सं०, भाग १, लेखांक ६५५.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय
(२१२) आदिनाथ- पंचतीर्थी
॥ सं० १५२५ वर्षे ज्येष्ठ व० १ शुक्रे श्रीउपकेश गूंडूचा गोत्रे मं० हांसा भा० लालू सुत० पदमउलेचा सहितेन पितृहांसा निमित्तं श्रीआदिनाथबिंबं कारि० प्रतिष्टि (ष्ठि) तं श्रीबृहद्गच्छे श्रीअमरचंद्रसूरिपट्टे श्रीदेवचंद्रसूरिभिः ॥ संकलपुरा ॥
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(२१३) सुमतिनाथ - पंचतीर्थी
सं० १५२५ वर्षे आषाढ़ सुदि ९ शंनौ ऊपकेशज्ञा० सा० सामल भा० सारू पु० देधर मांजा चाईया मांजा भा० मल्ही पु० सोमा सहि० समसा भ्रातृयु० पितृव्य भ्रातृ हेमा भा० सोहतीपुण्यार्थं श्रीसुमतिनाथबिंबं कारापितं प्र० बृहद्गच्छे बोकडीयावट ० श्रीधर्म्मचंद्रसूरिपट्टे श्रीमलयचंद्रसूरिभिः ॥
(२१४ ) शांतिनाथ - पंचतीर्थी
संवत् १५२५ वर्षे मार्ग शुदि ३ शुक्रवासरे श्रीमालज्ञातीय तातरहीलागोत्रे संघवी कान पुत्र सारंग सेगा सांतिनाथबिंबं कारपितं श्रीबृहद्गच्छे श्रीहेमशेखरसूरिगच्छे तत्पटे श्रीप्रेमप्रभसूरितत्पटे श्रीशालिभद्रसूरि प्रतिष्ठितं स निमिरो ( ? )||
(२१५) सुमतिनाथ - पंचतीर्थी
।। संवत् १५२५ वर्षे मार्ग० सुदि ९ बुधे । ओसवालान्वये स्वयंभगोत्रे सा० साल्हा भा० गांगी । सा० मोल्हा भा० गेली सा० गोला भा ०खेतू पुत्र धन्ना । आत्मश्रेयोर्थं श्रीसुमतिनाथबिंबं कारापितं । प्र० बडगच्छे श्रीगुणसुन्दरसूरिपट्टे श्रीविनयप्रभसूरिभिः ॥ श्रीरस्तु ॥
(२१६) सुविधिनाथ- पंचतीर्थी
संवत् १५२६ वर्षे मार्ग० वदि ५ सोमे प्रा० ज्ञातीय व्य० विजा भा० लाबलदे पु० राणा भा० सहितेन स्व श्रेयसे श्रीसुविधिनाथ बिंबं का० प्र० बृहद्गच्छे श्री देवचंद्रसूरिभिः ।।
२१२. आदीश्वर मंदिर, राजामेहतापोल कालूपुर, अहमदाबाद; J.I.I.A, No. 600. २१३. आदिनाथ जी का मंदिर, जामनगर, प्रा०ले०सं०, लेखांक ४०२. २१४. आदिनाथ जिनालय, कोटा, प्र०ले० सं०, भाग १, लेखांक ६६५. २१५. शांतिनाथ मंदिर, भोजपुर, वही, भाग १, लेखांक ६६६. २१६. पुरातत्त्व संग्रहालय, सिरोही, पटनी, पूर्वोक्त, लेखांक ९८, पृष्ठ ८७.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय (२१७) आदिनाथ-पंचतीर्थी
॥ सं० १५२८ वर्षे चैत्र वदि ५ सो० उसवाल ज्ञातीय वीराणेचा गोत्रे सा० तोल्हा पुत्रेण सा० सहदेवेन भा० सुहागदे पु० डूंगर जिनदेव युतेन स्वपुण्यार्थं श्री आदिनाथबिंब कारितं प्र० श्री बृहद्गच्छे श्रीमेरुप्रभसूरि भ० श्रीराजरत्नसूरिभिः ॥ (२१८) वासुपूज्य-पंचतीर्थी
॥ संवत् १५२८ वर्षे वैशाख वदि ५ रवौ उपके० ज्ञा०सा० महिपा भा० राजू पु० जेसा माईया भा० धरमिणी सहिते पित्रोः श्रेयसे श्रीवासुपूज्यबिंब का० प्रतिष्ठितं श्रीबृह० श्रीवीरचन्द्रसूरि आ० श्रीधरप्रभसूरिसहितेन।। (२१९) शीतलनाथ-पंचतीर्थी
॥ सं० १५२८ वर्षे वैशाख वदि ६ चंद्रे उपकेशज्ञातौ दूगड़गोत्रे । सा० शिखर भा० घेली पुत्र धनपालेन भा० पासू नानिग सोनपाल प्रमुखसहितेन स्वश्रेयसे श्रीशीतलनाथबिंबं का०प्र० श्रीबृहद्गच्छे श्रीमेरुप्रभसूरिभिः ॥ (२२०) शांतिनाथ-पंचतीर्थी
संवत् १५२८ वर्षे ज्येष्ठ सुदि १३ शुक्रे श्रीमालवंशीय चहचहियागोत्रे सा० देवा भा० हाली पु० रूडा भा० मंदोअरि पु० देवण बाला भा० थारू पु० टेका गिरराज बांलाकेन स्वपुण्यार्थं श्रीशांतिनाथबिंबं का०प्र० श्रीबृहद्गच्छे श्रीमाणिक्यसुन्दरसूरिभिः ॥ (२२१) संभवनाथ-पंचतीर्थी
सं० १५३० वर्षे माघ सुदि रवौ उपकेश ज्ञातीय श्रेष्ठि प्रथमा भार्या पांचीपुत्र परवत भार्या पाल्हणदे सहितेन मातृ सहितेन आत्मश्रेयोर्थं श्रीसंभवनाथबिंबं का० प्रतिष्ठितं बृहद्गच्छे वोकंडीयावंटके श्रीधर्मचंद्रसूरिपट्टे श्रीमलयचंद्रसूरिभिः ॥ २१७. महावीर स्वामी का मंदिर, बीकानेर, बी०जै० ले०सं०, लेखांक १३३७. २१८. पंचायती मंदिर, जयपुर, प्र०ले० सं०, भाग १, लेखांक ७०१. २१९. बड़ा मंदिर, नागोर, वही, लेखांक ७०३. २२०. गौडी पार्श्वनाथ मंदिर, पालिताणा, श० वै०, लेखांक १९६. २२१. वासुपूज्य मंदिर, रूपसुरचन्द्र की पोल, अहमदाबाद; J.I.I.A, No. 654.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय (२२२) विमलनाथ-पंचतीर्थी
॥ संवत् १५३१ वर्षे माघ सुदि पंचमी शुक्रवारे पल्लीवालज्ञाती साह राज तत्पुत्र धर्मसी तत्पुत्र पियंवर। विमलनाथबिंबं कारापितं प्रतिष्ठितं श्रीबृहद्गच्छे श्रीशालिभद्रसूरिभिः ॥ श्री ॥ (२२३) कुन्थुनाथ-पंचतीर्थी
संवत् १५३२ वर्षे चैत्र सुदि ११ दिने बरहडियागोत्रे सा० इसर भा० इहवदे पु० सालिग भा० सुण सा० देवा धर्मसी देवा भा० देवश्री पु० तारायुतेन श्रीकुन्थुनाथबिंबं कारितं प्रति० श्रीबृहद्गच्छे भ० श्रीमेरुप्रभसूरिपट्टे आचार्य श्रीराजरत्नसूरिभिः शुभंभवतु श्रेयस्तात् ॥ (२२४) कुन्थुनाथ-पंचतीर्थी
॥ संवत् १५३४ वर्षे आषाढ़ सुदि १ गुरुवारे श्रीपल्हवडगोत्रे सं० घेल्हसंताने सं० छाहड पुत्र सा० शिवराजभार्या संसारदे पुत्र कल्हणयुतेन स्वश्रेयसे श्रीकुन्थुनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं बृहद्गच्छीय श्रीमेरुप्रभसूरिभिः श्रीराजरत्नसूरिभिः।। (२२५) कुन्थुनाथ-पाषाण
संवत् १५३४ वर्षे आषाढ़ सुदि १ गुरौवारे श्रीवरलच्छ गोत्रे सं० कर्मण संताने सा० वणपालात्मज सा० सिधा भार्या सिंगारदे पुत्र खेता चितहंद पुत्रा युतेन स्वपुण्यार्थं श्रीकुन्थुनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं बृहद्गच्छीय श्रीमेरुप्रभसूरिपट्टे श्रीराजरत्नसूरिभिः । (२२६) शांतिनाथ-पंचतीर्थी
__ सं १५३४ वर्षे वैशाख सुदि ३ सोपतवा भा० अगणी पुत्र नापा सादा नापल पणदे सूरमदे षुजसवानाथ तेजा नाल्हा स० श्रीशांतिनाथ बिंबं आत्मश्रेयसे का०प्र० बृहद्गच्छे भ० कलशचंद्रसूरिभिः ॥ २२२. पार्श्वनाथ मंदिर, बूंदी, प्र०ले०सं०, भाग १, लेखांक ७३८. २२३. विमलनाथ मंदिर, बेंतेड, प्र०ले०सं०, भाग १, लेखांक ७४२. २२४. पार्श्वनाथ मंदिर, बूंदी, प्र०ले० सं०, भाग १, लेखांक ७७४. २२५. मुनिसुव्रत का मंदिर, नाल, बीकानेर, बी० जे०ले०सं०, लेखांक २२८१. २२६. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, वही, लेखांक १०८०.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय
४८
(२२७) चन्द्रप्रभ - पंचतीर्थी
संवत् १५३४ वर्षे माह सुदि ६ शनौ ऊके० मूंदो गो० साढ़ा भा० नेतू पु० ध आभा महिया भा० कान्ह पु० गंगा भा० लिक्ष्मी पु० चांपा भा० चांपलदे पित्र श्रेयसे श्रीचन्द्रप्रभ बिंबं का० प्रति० श्रीबृहद्गच्छे श्रीवीरचन्द्रसूरि पट्टे श्रीधनप्रभसूरिभिः ॥
(२२८) वासुपूज्य - पंचतीर्थी
॥ संवत् १५३५ वर्षे माह सुदि ९ प्राग्वाटज्ञातीय सांभरयागोत्रे सा० समरा भा० हानी पु० आल्हा देवसी आल्हा भा० आल्ही पु० ऊधा पद्मसी चांदा पंचायणयुतेन स्वश्रेयसे । श्रीवासुपूज्यबिंबं कारितं प्र० श्रीबृहद्गच्छीय भ० ज्ञानचन्द्रसूरिभिः ॥ (२२९) आदिनाथ - पंचतीर्थी
संवत् १५३६ वर्षे का०सु० १५ बु० गोखरूगोत्रे सा० लोहट भा० संपई पुत्र सा० टिला भा० कउतिगदे भ्रातृ पारस भा० पाल्हणदे पु० छीता धर्मसी पितृ - आत्मश्रेयसे श्री आदिनाथबिंबं का०प्र० बृहद्गच्छे ज्ञानचन्द्रसूरिभिः ॥
(२३०) सुमतिनाथ - पंचतीर्थी
सं० १५३६ वर्षे वैशाख सुदि ८ भूमे उ० मंडलेचा गोत्रे सा० कूदा भार्या रंगादे पु० जइता ता आर जइता भा० जिस्मादे तास्मा भा० नारादे पु० अमरा आ० ० सुमतिनाथबिंबं का०प्र०बृ०ग० पुण्यप्रभसूरिभिः।।
(२३१) शांतिनाथ - पंचतीर्थी
सं० १५३६ फागुण सुदि ३ बाफणा गोत्रे सा० मूला भा० महगलदे पु०सा० धर्माकेन भा० अमरी पु० पेथाकाजासांतलसामल सकुटुंबयुतेन श्रीशांतिनाथबिंबं कारितं प्रति० श्रीबृहद्गच्छे श्रीमेरुप्रभसूरिभिः ।।
२२७. महावीर स्वामी का मंदिर, बीकानेर, वही, लेखांक १२९८.
२२८. चन्द्रप्रभ मन्दिर, कोटा, प्र०ले० सं०, भाग १, लेखांक ७९२. २२९. पंचायती मंदिर, जयपुर, प्र०ले०सं०, भाग १, लेखांक ७९७. २३०. भण्डारस्थ प्रतिमा, चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर, बी०जै० ले०सं०, लेखांक १०९६. २३१. सुपार्श्वनाथ का मंदिर, जैसलमेर, जै० ले०सं०, भाग ३, लेखांक २१९६.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय (२३२) महावीर-पाषाण ___सं० १५३६ वर्षे फागुण सुदि ३ दिने श्रीवरहुडिया गोत्रे सा० खीमा पुत्र स० धरमा भार्या --------- सा० खीमा पु०सा० माडा० देऊ पुत्र गढमल्ल धरमा नाम्ना निजभार्या पुण्यार्थं श्रीमहावीर बिंबं कारितं श्रीबृहद्गच्छे श्रीरत्नाकरसूरिपट्टे श्रीमेरुप्रभसूरिभिः।। (२३३) कुन्थुनाथ-पंचतीर्थी
॥ संवत् १५३७ वर्षे ज्येष्ठ वदि ४ भोमे बगलथिआण श्रीश्रीमालज्ञातीय सा० सोमिल भा० सहजलदे द्वि० सोनलदे पु० सांगा भार्या रतनादे पुत्र खेता खीमा पुण्यार्थं श्रीकुन्थुनाथबिंब कारितं प्रति० श्रीबृहद्गच्छे भ० श्रीसोमसुन्दरसूरिभिः -------------|| (२३४) शांतिनाथ-पंचतीर्थी
संवत् १५३८ वर्षे ज्येष्ठ शुक्लपक्षे दशमीतिथौ शुक्रे श्रीमालीज्ञातीय- चहचइयागोत्रे मा० दवा० भा० दीलु पुत्र सुरा भा० मंदोयरि पु० देवण बाभा भाथा रूयु । टे । काजिरराज बालाकेन स्वपुण्यार्थं श्रीशांतिनाथबिंब का० प्र० श्रीबृहद्गच्छेराश्रीमाणिकसुंदरसूरिभिः ॥ (२३५) ......... पंचतीर्थी
संवत् १५३९ वर्षे ---------- गुर्जरज्ञातीय व्य० वना पुत्र तेजाकेन पुत्र झांझण -------- श्रीबृहद्गच्छे प्र० श्रीगुणप्रभसू० प्रतिष्ठितं श्रेयनिमित्तं ॥ (२३६) मुनिसुव्रत-पंचतीर्थी
॥ संवत् १५४२ वर्षे वैशाख वदि ९ शुक्रे उपकेशज्ञा० सिंघाडियागोत्रे सं० रेडा सं०सा० ऊदा भार्या ऊदलदे पु०सा० छाजू श्रीमल जिणदत्त पारसयुतेन आ०पु० श्रीमुनिसुव्रतबिंब का०प्र० ॥ श्रीबृहद्गच्छे भ० श्रीमेरुप्रभसूरिभिः ॥ श्रीः ॥ श्रीः ॥
२३२. अष्टापद जी का मंदिर, जैसलमेर, बी०जै० ले०सं०, लेखांक २७२१. २३३. आदिनाथ मंदिर, चाडसू, प्र०ले०सं०, भाग १, लेखांक ८१२. २३४. देरी क्रमांक १८२, शजय, श०गि०द०, लेखांक १८२. २३५. महावीर मंदिर, सांगानेर, प्र०ले०सं०, भाग १, लेखांक ८२०. २३६. नया मंदिर, जयपुर, प्र०ले०सं०, भाग १, लेखांक ८२८ तथा प्र०ले०सं०, लेखांक ४८५.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय
(२३७) धर्मनाथ- पंचतीर्थी
॥ संवत् १५४३ वर्षे वैशाख सुदि ३ सोमे श्री उसवंशे बृद्धशाखयां साह मांडूण पुत्र साह नाथ भा० नासलदेपुत्र साह जीवाकेन भार्या बीजलि पु० हर्षायुतेन आत्मश्रेयसे श्रीधर्मनाथबिंबं कारितं श्रीवडगच्छे भ० श्रीदेवकुंवरसूरिभिः प्र० भल्लाडी गामो ॥ (२३८) श्रेयांसनाथ- पंचतीर्थी
सं० १५४८ वर्षे पौष सुदि १३ सोम दिने उस० फूलपरगगोत्रे सा० डूंगर भा० लीलू पु० नरसिंघ भ०कूप पु० चोली सहितेन पुण्यार्थं कारापितं श्रीश्रेयांसबिंबं । प्र० बृहद्गच्छे श्रीवीरचन्द्रसूरि पट्टे श्री धनप्रभसूरिभिः श्रेयोर्थं ।।
( २३९ ) सपरिकर अजितनाथ पंचतीर्थी
सं० १५४९ वर्षे माह सु० ५ सोमे उपकेश ज्ञा० धनपति गोत्रे सा० जिणदत्त भा० चांदू पु०सा० नीसल भा० हर्षाई पितृ मातृ आत्मश्रेयसे श्रीअजितनाथबिंबं का०प्र० श्रीबृहद्गच्छे श्रीजयमंगलसूरिन्वये श्रीकमलप्रभसूरिपट्टे प्र० श्रीपुण्यप्रभसूरिभिः ॥ (२४०) संभवनाथ पंचतीर्थी
संवत् १५५० वर्षे माह सुदि ५ गुरु उ० ज्ञातीय धनाणेचागोत्रे सा० वीसल भा० नायवदे पु०सा० वणा भा० वाल्हादे पु० रायमल आत्म० श्रीसंभवनाथबिंबं का०प्र० श्रीबृहद्गच्छे श्रीजयमंगलसूरिसंताने भ० श्रीपुण्यप्रभसूरिभिः ।।
(२४१) शिलालेख
(१) ॥। ८० ।। श्री जिनाय नमः जयति परमतत्त्वानंदकेलीविलासः त्रिभुवनमहनीयः सर्व्वसंपन्निवासः (२) दलितविषयेदोषो रिक्तजन्मप्रयासः । प्रचुरनुपमधामालंकृतः श्री सुपासः ॥ १ संवत् १५५१ वर्षे शाके (३) १४१६ (प्र) वैशाख सुदी पष्टी तिथौ शुक्रवासरे पुनर्वसु नक्षत्रे खलची वंशे सुरताण श्रीग्यासदीन विजय ( ४ ) राज्ये । तस्य पुत्र सुलताण श्री नासिरसाहि युवराज्या मंत्रीश्वर माफरल मलिक श्री पुंजराज बांधव मुंजराज (५) संहिते॥ श्री श्रीमालज्ञातिय बुहरा गोत्रे । बुहरा रणमल्लभार्या रयणादे । पुत्र बुहरा श्री पारसभार्या
२३७ चन्द्रभ जिनालय, मांडवी पोल, अहमदाबाद J. I. I.A, No. 734. २३८. शांतिनाथजिनालय, उज्जैन, प्र०ले०सं०, भाग २, लेखांक १७५. २३९. अजितनाथ मंदिर, बाघनपोल, अहमदाबाद, J. II. A No. 747. २४०. शान्तिनाथ मंदिर, रामपुरा, प्र०ले०सं०, भाग १, लेखांक ८५९.
२४१. तारापुर मंदिर, माण्डवगढ, “माण्डवगढ के तारापुर मंदिर का शिलालेख", जैनसत्यप्रकाश, वर्ष ३, अंक १, पृ० ४४-४८
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय
५१
उभया (६) कुलानंददायिनी सव्पुरत्नगर्भा मटकू । सत्पुत्र बुहरा गोपाला उभय कुलालंकरणा। सुशीला भार्या पुनी (७) पुत्र संग्राम जीझा । बुहरा संग्राम भार्या करमाई जीझाभार्या जीवादे प्रमुख सुकुटुम्ब युतेन ।। श्री भिन्नमाल । (८) वडगच्छे श्री वादीदेवसूरिसंताने। सुगुरु श्री वीरदेवसूरिः । तत्पट्टे श्री अमरप्रभ सूरिः तत्पट्टालंकार विजयवतां (९) गच्छ नायक पूज्य श्री श्री कनकप्रभसूरीश्वराणां । उपदेशेन ॥ प्रगट प्रतापमल्लेन । परोपकारकरणचतुरेण (१०) निजभुजोपर्शित वित्तव्यय पुण्य कार्य सुजन्म सफलीकरणेन । राजराजेन्द्र सभासंशोभितेन । सज्जन जन (११) मानस राजहंसेन । श्रीशत्रुंजयादि तीर्थावतार चतुष्टय पट्टनिर्मापणेन । श्री देवगुरु आज्ञा पालन तत्परेण । सर्व (१२) कार्य विदुरेण । श्रीमाल ज्ञाति बुहरा ( ? ) विभूषणेन । सर्वदा श्री जिनधर्म सकर्मकरण निर्दूषणेन । श्रीमन् । (१३) मंडपाचल निवासीय विजयवन् बुहारा श्री गोपालेन । मंडपपुर्यात् दक्षिण दिग् विभागे । तलहट्यां । श्री तारापुरे (१४) सुपुण्यार्थं । मनोवांधित दायक सप्तम श्री सुपार्श्व जिनेद्रस्य सर्वजनसंजनिताल्हादः सुप्रसादः प्रसादः कारितः (१५) स गोपालः शिलाभरण विलसत्वृत्तिरमलो । विनीतः प्रज्ञावान् विविध मुक्तारम्भ निपुणः ॥ जिनाधीनः स्वांत: (१६) सुगुरुचरणाराधनपरः पुनीभार्यायुक्तो भवति गृहस्थाश्रमसुखं ॥ १ ॥ चिरं नंदतु ॥ सर्वशुभं भवतु ॥ श्रीरस्तु ॥
(२४२) मुनिसुव्रत - पंचतीर्थी
॥ सं० १५५१ वैशाख सुदि ११ सोमे उपकेशज्ञातीय माडदेचागोत्रे सा० मेलात्मज । सा० झांझा भा० पदी पु० भूदावर स्वनिमित्तं बिंबं मुनिसुव्रत । प्र० बृह० भ० श्रीधनप्रभसूरिभिः ॥
(२४३ ) शांतिनाथ - पंचतीर्थी
॥ संवत् १५५२ वर्षे फागुण वदि ८ सोमे सोनगोत्रे सा० नाथू पु०सा० साधारण पु०सा० देदा भा० देवलदे नाम्न्या स्वपुण्यार्थं कुटुम्बश्रेयसे श्रीशांतिनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीबृहद्गच्छे श्रीज्ञानचन्द्रसूरिभिः श्रीछल्ली वास्तव्यम् ॥
(२४४ ) शांतिनाथ - पंचतीर्थी
संवत् १५५६ वर्षे वैसाख सुदि १३ रवौ उसवालज्ञातीय श्रे० खेता भा० संपुरी सु०श्रे० खोना भा० वीरु सुत लखा भार्या लखमादेभ्यां सहितेन स्वश्रेयोऽर्थं श्रीशांतिनाथबिंबं कारितं वडगच्छे प्र० देवचंद्रसूरिभिः । शेरपुरग्रामे ।
२४२. सेठ जी का घर देरासर, कोटा, प्र०ले० सं०, भाग १, लेखांक ८६०. २४३. विजयगच्छीयमंदिर, जयपुर, वही, भाग १, लेखांक ८७०. २४४. गणेशमल सौभाग्यमल का मंदिर, बम्बई, जै०धा०प्र०ले०, लेखांक २६९.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय (२४५) कुन्थुनाथ-पंचतीर्थी _____ संवत् १५५७ वर्षे आषाढ़ वदि १० शुक्रे रेवत्यां श्रीदूगड़गोत्रे सं० रूपा पु०सा० सहसू भार्या लूणाही पु० सालिगेन पुत्र अभयराज सहितेन स्वपित्रो पुण्यार्थं श्रीकुंथुनाथ बिंबं कारितं श्रीबृहद्गच्छे पू० श्रीरत्नाकरसूरिपट्टे श्रीमेरुप्रभसूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ (२४६) कुन्थुनाथ-पंचतीर्थी
संवत् १५५९ आषाढ़ सुदि बुधे । श्रीपल्हुवडगोत्रे । सा० तोला सन्ताने कुंवर पालहण साधुकेन भा० देवल पु० पासु रूपचन्द युतेनात्मश्रेयसे श्रीकुन्थुनाथबिंबं कारितं प्र० बृहद्गच्छे भ० श्रीमेरुप्रभसूरिपट्टे श्रीमुनिदेवसूरिभिः ॥ श्री ।। (२४७) आदिनाथ-पाषाण
संवत् १५६६ वर्षे अश्विन सुदि ४ भौमवासरे श्रीबृहद्गच्छे श्रीप्रानास – (?) संतति भा श्रीमुनिदेवसूरि शिष्य वा० न्यानप्रभ श्रीआदिनाथबिंबं ----------- सा --- ..-------- पुत्रसा० वरगषण अभ्यथतैन सीयात्रसे रोषेन ? ॥ श्री ॥ (२४८) अजितनाथ-पंचतीर्थी
संवत् १५६६ वर्षे माह सुदि ४ गुरौ ओसवालज्ञातीया बूवादेचागोत्रे सा० हांसा भा० हांसलदे पुत्र सा० होला भा० हीरादे पुत्र लोलासहितेन श्रीअजितनाथबिंबं का०प्र० श्रीबृहद्गच्छे बोक० वटंके श्रीमलयहंससूरिभिः।। (२४९) नमिनाथ-पंचतीर्थी ।
___ संवत् १५६९ माघ सुदि १५ गुरौ अहिमदाबादवास्तव्य श्रीश्रीमालज्ञा० पं० सादा भा० चमकू सुत वरजांगेन भा० हांसी भ्रातृ भोला वृद्ध गोमादिकुटुंबयुतेन स्वमातृश्रेयसे श्रीनमिनाथबिंबं का०प्र० श्रीबृहद्गच्छे श्रीकमलप्रभसूरिभिः ॥ २४५. शांतिनाथ जी का मंदिर, नाहटों में, बीकानेर, बी०जै०ले०सं०, लेखांक १८३०. २४६. बड़ा मंदिर, नागोर, प्र०ले० सं०, भाग १, लेखांक ९०२. २४७. शांतिनाथ जी का मंदिर, हनुमानगढ़, बीकानेर, बी०जै०ले०सं०, लेखांक २५२७. २४८. सुपार्श्वनाथ का मंदिर, जैसलमेर, जै० ले० सं०, भाग ३, लेखांक २२०५. २४९. शांतिनाथ जिनालय, शांतिनाथपोल, अहमदाबाद, जै०या०प्र०ले०सं०, भाग १, लेखांक १३२०.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय
(२५०) आदिनाथ- पंचतीर्थी
संवत् १५७२ वर्षे वैशाख सुदि ५ सोमे ऊ०ज्ञा० फूलपगरगोत्रे सा० दधीरथ पु०सा० धर्मा भा० २ पाबू साल्ही पाबू पु० जांजा भा० पूरी
पुत्र मोकल प्रमुख समस्त कुटुम्बेन स्वश्रेयसे श्रीआदिनाथबिंबं कारितं प्र० श्री वडगच्छे श्रीश्री चंद्रप्रभसूरिभिः ॥ श्री ॥ जावर वास्तव्य ॥
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(२५१) चन्द्रप्रभ - पंचतीर्थी
संवत् १५८१ वर्षे वैशाख वदि ५ गुरौ ओसवाल ज्ञा० साह रत्ना भा० रत्नादे पुत्र वाघा सौधलगोत्रे भा० पूतली आत्मश्रेयसे पितृनिमित्तं श्रीचंद्रप्रभबिंबं का० श्रीबृहद्गच्छे भ० श्रीदेवकुंजरसूरिपट्टे श्रीदेवेन्द्रसूरि प्रतिष्ठितम् ॥
(२५२) स्तम्भलेख
संवत् १६१३ वैशाख सुदि ९ दिने श्रीबृहद्गच्छे भट्टारक श्री ७ पुण्यप्रभसूर तत्शिष्य मुनिविजयदेवः श्रीनेमिनाथः प्रणमिति ।। वक्रेतरचेतसा यात्रा कृता सफला भवतु ॥ नित्यं पुनरपि दर्शनमस्तु मंगलं श्री ।
(२५३) शिलालेख
॥ संवत् १६१३ वर्षे वैशाष (ख) सुदि ८ दिने श्रीवृ (बृहद्गच्छे भट्टारकश्री ७ पुरण (पूर्ण) प्रभसूरि तत्सिक्ष (च्छिष्य) मुनिविजयदेवेन यात्रा कृता सफला भवतु ॥ (२५४) पार्श्वनाथ - पंचतीर्थी :
संवत् १६३९ वर्षे चैत्र वदि ११ भूमे खरदूथ भा० भीऊ पुत्र सोमा महरा स्वश्रेयोऽर्थं श्रीपार्श्वनाथबिंबं कारापितं प्रतिष्ठितं श्रीउदयसिंहसूरिभिः वडगच्छे ॥
२५०. पंचायती मंदिर, लस्कर, ग्वालियर, जै०ले० सं०, २५१. जैन मंदिर, ऊंझा, जै०धा०प्र०ले० सं०, भाग
भाग २, लेखांक १३८६. १, लेखांक १८३.
२५२. लूणवसही, आबू, अ० प्रा० जै० ले०सं०, ( आबू भाग २) लेखांक ३८९.
२५३. विमलवसही, आबू, वही, लेखांक १९९.
२५४. शांतिनाथ जी का मंदिर, चोकसीपोल, खंभात, जै०धा०प्र० ले०सं०, भाग २, लेखांक ८४७.
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चामुंडा प्रशस्ति लेख का मूल पाठ*
ओं।। श्वेतांभोजातपत्रं किमु गिरि दुहितुः स्तटिन्या गवाक्ष: किंवा सौख्यासनं वा महिम मुख महासिद्ध देवी गणस्य। त्रैलोक्यानंदहेतोः किमदितमनघं श्लाघ्य नक्षत्र मुच्चै शंभो लस्थलेंदुः सुकृति कृतनुतिः पातु वो राज लक्ष्मी।। १ ॥ ईशस्यांकावनिरनुपमानंद संदोह मूला चंचद्वासोंचल दलमयी भूषण प्रौढ पुष्पा। सल्लावण्योदय सुफलिनी पार्वती प्रेम वल्ली लक्ष्मी पुष्णात्वनु दिन मति व्यक्त भक्त्या नतानां ॥ २ ॥ विकट मुकुट माद्यत्तेजसा व्योम्नि दैत्यानिव भुवि मणिमय्या मेखलायाः क्वणेन । अनणुरणित लीला हंसकेस्त्रासयंती फणि पति भुवनांतश्चंडिका वः श्रियेस्तु ॥ ३ ॥ श्री मद्वत्समहर्षि हर्ष नयनो
द्भूतांवु पूर प्रभा पूर्वैवीधर मौलि मुख्य शिखरालंकार तिग्मद्युतिः । पृथ्वी त्रातु मपास्त दैत्य तिमिरः श्री चाहमानः पुरा वीरः क्षीर समुद्र सोदर यशो राशि प्रकाशो भवत् ॥४॥ रत्ना वल्यामिव नृपततो तत्क्रमे विश्रुतायां धर्मस्थान प्रकर करण प्राप्त पुण्योत्सवायां । श्री नझूलाधि पतिर भव ल्लक्ष्मणो नाम राजा लक्ष्मीलीला सदन सदृशाकार शाकंभरींद्र: ॥ ५ ॥ आपाताला त्समर जलधिं मदरो यस्य खड्गो मुष्टिव्याजाद्भुजग पतिना शृंखले नावबद्धः । निर्मथ्योच्चैः सपदि कमलां लीलयोद्धृत्यमत्तश्चक्रे नृत्तं रणित कटक: केलि कंपच्छलेन ॥ ६ ॥ तस्माद्धि माद्रि भवनाय यशो पहारी श्रीशोभितो जनि नृपो स्य तनूद्भवोथ । गांभीर्यधैर्य सदनं बलि राज देवो यो मुञ्जराजबल भंगमचीकरत्तं ॥ ७ ॥ साम्राज्याशा क रेणुं रिपु नृपति गज स्तोम माक्रम्य जढे यत्खङ्गो गंध हस्ती समर रस भरे विंध्य शैलाय माने । मुक्ता शुक्तींदु कांतोज्ज्वल रुचिषु लसत्कीतिरेवातटेषु प्रौढ़ाने दोपचारो ल्वण पुलकततिः पुष्कराणां छलेन ॥ ८ ॥ तत्पितृव्य जतयाय बांधव: श्री
F. Keilhorn, "Sundha Hill Inscription of Cacigadeva, Vikram Samvat 1319.” Epigraphia Indica, Vol IX, 1907-08, p. 79, पूरनचन्द्र नाहर, जैनलेखसंग्रह, भाग-१, लेखांक ९४३-४४.
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय
५५
महींदुर जनिष्ट भूपतिः । यत्कृपाण लतिकामुपेयुषां छायया विरहितं मुखं द्विषां ॥ ९ ॥ जज्ञे कांतस्तदनुचभुवस्तत्तनुजो श्वपालः कालः क्रूरे द्विषि सुचरिते पूर्ण चंद्रायमानः । यः संलग्नो न खलु तमसा नैव दोषाकरात्मा तेजो भक्तः क्वचिदपि न यः किंच मित्रोदयेषु ॥ १० ॥ केयूरा निविष्ट रत्न निकर प्रोद्यत्प्रभाडंवरं व्यक्तं संगर रंग मंडपतले यं वैरिलक्ष्मीः श्रिता। वीरेषु प्रसृतेषु तेषु रजसा नीतेषु दुर्लक्ष्यतां लब्धो पायबलापि निर्मल गुणैर्वश्या प्रशस्या कृतिः ॥ ११ ॥ पुत्रस्तस्याहिल इति नृपस्तन्मयूख च्छलेन स्रष्टा यस्य व्यधित यशसां तेजसां तोलनां नु । गंगा तोले शशि तपनयो भतश्चारु चेले मध्यस्थायि ध्रुवमिष लसत् कंटके कौतुकेन ॥ १२ ॥ गुर्जराधिपति भीम भूभुजः सैन्य पूर मजयद्रणेषु यः । शंभुवत् त्रिपुर संभवं बलं वाडवानल इवांबुधे र्जलं ॥ १३ ॥ सैन्या क्रांता खिल वसुमती मंडलस्तत्पितृव्यः श्रीमान् राजा भवदथ जिताराति मल्लो णहिल्लः । भीम क्षोणी पति गज घटा येन भग्ना रणाग्रे हृद्यार्थां भोनिधि रघु कृते वहे पंक्तिः खलानां ||१४|| अंभोजानि मुखान्यहो मृग द्वशां चंद्रो दयानां मुदो लक्ष्मीर्यत्र नरोत्तमानुसरण व्यापार पारंगमा । पानानि प्रसभं शुभानि शिखरि श्रेणीव गुप्यद्गुरुस्तोमो यस्य नरेश्वरस्य तुलनां सेनांबु राशेर्दधौ ।। १५ ।। उव्वींरुद् विटपावलंब सुगृही हर्म्येषु दत्त्वा दृशं ध्यातात्यंत मनोहराकृति निज प्रासाद वातायनः । भूस्फोटानि वनांतरेषु विततान्या लोक्य हाहेति वाक् सस्मारा तपवारणानि शतशो यद्वैरि राज व्रज ॥ १६ ॥ दृष्टः कैर्न चतुर्भुजः स समरे शाकंभरी यो बलाज्जग्राहानुजधान मालव पतेर्भोजस्य साढाह्वयं । दंडाधीशम पार सैन्य विभवं तीव्रं तुरुष्कं च यः साक्षाद्विष्णुर साधनीय यशसा शृंगारिता येन भूः ॥ १७ ॥ जज्ञे भूभृत्तदनु तनयस्तस्य बाल प्रसादो भीमक्ष्मा भृच्चरण युगली मर्द्दन व्याजतो यः । कुर्वन्पीडा ि बलतया मोचयामास कारागाराद् भूमी पति मपि तथा कृष्णदेवाभिधानं ॥ १८ ॥ श्रीकर्योजलदभ्रमं दधुरहो सैन्येस्य सेवारसा यातर्तुप्रतिमे समुज्ज्वल पटा वासा मराल श्रियं । कंपं वायु वशेन केतु निवहाः शस्यानुकारं च ते सङ्गीतानि च कोकिलारव तुलां चित्तेतु तापं द्विषः ।। १९ ।। श्रीमांस्तस्याजनि नर पतिर्बांधवो जिंदुराजो यः संडेरेऽर्क इव तिमिरं वैरि वृंदं विभेद । यस्य ज्योतिः प्रकरमभितो विद्विषः कौशिकाभा द्रष्टुं शक्ता न हि गुहा मध्यमध्या श्रितास्तत् ॥ २० ॥ गच्छतीनां रिपु मृगदृशां भूषणानां प्रपाते वाष्पासायैर्घनतति तुलां बिभ्रतीनामरण्ये । दूर्वा भ्रांतिं मरकत मणि श्रेणयोयत्प्रयाणे तांबूलीय भ्रममिव चिरं चक्रिरे पद्म रागाः ।। २१ ।। पृथ्वीं पालयितुं पवित्र मतिमान् यः कर्षुकाणां करं मुंचन् प्राप यशांसि कुंद धवला न्यानंद हृद्याननः । पृथ्वी पाल इति ध्रुवंक्षिति पति स्तस्यांग जन्माभवत्प्रत्येक्षीरु निधिः स गूर्जर पतेः कर्णस्य सैन्या पहः ॥ २२ ॥ यत्सेना
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५६
बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय किल कामधेनु सदृशी कीर्ति स्रवंती पयः स्वच्छंदं सचराचरेपि भुवने शत्रूस्तृणीकुर्वती । धर्मं वत्समिव स्वकीय मनघं वृद्धिं नयंती मुदा कस्यानंदकरी बभूव न भुवोभीष्टं समातन्वती ॥ २३ ॥ श्री योजकी भूपतिरस्य बंधुर्विवेक सौध प्रबल प्रतापः। श्वेतात पत्रेण विराजमानः शक्त्याणहिल्लाख्य पुरेपि रेमे ॥ २४ ॥ त्यक्त्वा सौघमुदार केलि विपिनं क्रीडाचले दीर्घिकां पल्यंका श्रयणं करेणुषु मुदां स्थानं समंतादपि । यस्यारि क्षितिपाल वाल ललना: शैले वने निर्झरे स्थूल ग्रावशिरस्सु संस्मृति भगुः पूर्वोपभुक्तश्रियां ॥ २५ ॥ श्री आशा राज नामा समजनि वसुधा नायक स्तस्य बंधुः साहाय्यं मालवानां भुवि यदसि कृतं वीक्ष्य सिद्धाधिराजः। तुष्टो धत्ते स्म कुंभं कनक मय महो यस्य गुप्यद्गुरु स्य तं हर्तुं नैव शक्तः कलुषित हृदय: शेष भूपाल वाग्मि: ॥ २६ ॥ उदय गिरि शिर: स्यं किं सहस्त्रांशु बिंबं वितत विशदं कीर्तेर्मूर्ध्नि किनु प्रतापः । उपरि सुभग ताया उद्गता मंजरी किं कनक कलश आभाद्यस्य गुप्यद्गुरु स्थः ॥ २७ ॥ कनक रुचि शरीरः शैलसाराभिरामः फणि पति मयनीयस्थावतारः स विष्णोः । सलिल निधि सुताया मंदिरे स्कंध देशे दधदवनि मुदारामग्रिमः पुण्य मूर्तिः ॥ २८ ॥ सत्रागार तड़ाग-कानन-हरप्रासाद-वापी-प्रपा-कूपादीनि विनिर्ममे द्विज जनानंदी क्षमा मण्डले । धर्मस्थान शतानि यः किल बुध श्रेणीषु कल्पद्रुमः कस्तेस्यंदु तुषार शैल धवलं स्तोतुं यश: कोविदः ॥ २९ ॥ श्वेतान्येव यशांसि तुंगतुरग स्तोमः सितः सुध्रुवां चंचन्मौक्तिकभूषणानि धवलान्युच्चैः समग्राण्यपि। प्रेमालाप भवं स्मितं च विशदं शुभ्राणि वस्त्रोकसां वृंदानीति नृपस्य यस्य पृतना कैलास-लक्ष्मी श्रिता ।। ३० ॥ प्रशस्तिरियं बृहद्गच्छीय-श्री जयमंगलाचार्य-कृतिः ॥ भिषग्विजयपाल-पुत्र-नाम्व सिंहेन लिखिता । सूत्र जिसपाल-पुत्र-जिसरविणोत्कीर्णा ॥
____ॐ ॥ जटा मूले गंगा प्रबल लहरी पूरकुहना समुन्मील च्छत्र प्रकर इव नमेषु नृपतां । प्रदातुं श्री शंभुः सकल भुवनाधीश्वर तया तया वा देयाद्वः शुभ मिह सुगंधाद्रि मुकुटः ॥ ३१ ॥ आशा राज क्षितिप तनयः श्री मदाल्हादनाह्वो जज्ञे भूभृद्भुवन विदित श्चाहमानस्य वंशे। श्रीनद्ले शिव भवन कृद्धर्म सर्वस्व वेत्ता यत्साहाय्यं प्रति पद महो गूजरेश श्चकांक्ष ॥ ३२ ॥ चंचत्केतक चम्पक प्रविलसत्ताली तमाला गुरु स्फूज च्चन्दन नालिकेर कदली द्राक्षाम्र कने गिरौ । सौराष्ट्रे कुटिलोग्र कण्टक भिदात्युद्दाम कीर्तेस्तदा यस्या भूदभिमान आसुर तया सेनाचराणां रवः ॥ ३३ ॥ श्री मांस्तस्यांगज इह नृपः केल्हणो दक्षिणा शाधीशोदचद्भिलिम नृपते नि हृत्सैन्य सिंधुः । निर्भिद्योच्चैः प्रबल कलितं य स्तुरुष्कं व्यधत्त श्री सोमेशास्पद मुकुट वत्तोरणं कांचनस्य ।। ३४ ।। धातास्य प्रबल
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय प्रताप निलयः श्री कीर्तिपालो भवद् भूनाथ: प्रति पक्ष पार्थिव चमूदाशंबु वाहो पमः। यत्खङ्गां बुनिघौ हतारि करिणां कुंभस्थलीभ्यः क्षरन्मुक्तानां निकरो पराल ललितं धत्ते स्म धारा श्रयः ॥ ३५ ॥ यो दुर्दात किरात कूट नृपतिं भित्वाशरैरासलं तस्मि न्कांसहदे तुरुष्क निकरंजित्वारण प्रांगणे । श्री जावालिपुरे स्थितिं व्यरचयन्नदुल राज्येश्वर चिंता रत्न निभः समग्र विदुषां निःसीम सैन्याधिपः ॥ ३६ ॥ श्री समर सिंह देवस्तत्तनयः क्षोणि मण्डलाधिपतिः । इन्द्र इव विबुध हृदयानन्दी पुरुषोत्तमो हरिवत् ॥ ३७ ।। प्राकारः कनका चले विरचितो येनेह पुण्यात्मना नाना यंत्र मनोज्ञ कोष्ठक ततिर्विद्याधरी शीर्षवान्। किं शेष: फण वृंदमेदुर तनुर्वक्षस्थलेवा भुवो हारः किं भ्रमण श्रमादुडु गणः किं वैष भेज स्थितिं ॥ ३८ ॥ कमल वनमिवेदं वप्रशीर्षा लि दंभानिखिल विपुल देश श्री समा कर्षणाय । लिखित विशद् विंदु श्रेणिवन्मत्त वैरि क्षितिपति विफला जिस्तोम संख्या निमित्तं ॥ ३९ ॥ तोलयामास यः स्वर्णैरात्मानं सोमपर्वणि । आराम रम्यं समरपुरं यः कृतवानय ॥ ४० ॥ श्रीकीर्ति पाल भूपति पुत्रो जावालि पुरवरे चक्रे । श्री रूदल देवी शिव मंदिरयुगलं पवित्र मतिः ॥ ४१ ॥ श्री समरसिंह देवस्य नंदन: प्रबल शौर्य रमणीयः । श्री उदयसिंह भूपतिरभूत्प्रभाभास्वदुपमानः ॥ ४२ ॥ श्री नझूल-श्री जावालिपुरमाण्डव्यपुर-वाग्भटमेरु-सूराचंद्रराटद-खेड-रामसैन्य श्री माल-रत्नपुर-सत्यपुर-प्रभृति देशा नामय मधिपतिः ॥ ४३ ॥ शेष: स्तोतुमिव प्ररूढ रसना भारः समंतादभूत् क्षीराब्धि: परिरब्धु मुधुरभुजः कल्लोल माला मिषात्। द्रष्टुं चानि मिषाक्षि -पंकज वनो वास्तो: पतिर्यस्य तां विश्व श्री हृदयस्य हारलतिकां कीर्तिं सितांशूज्ज्वलां ॥ ४४ ॥ श्री प्रह्लादनदेवी राज्ञो यस्यां गजं प्रसूते स्म । श्री चाचिग देवाहूं तथैव चामुंडराजाख्यं ॥ ४५ ॥ धीरो दात्तस्तुरुष्काधिपमददलतो गूर्जरेंद्रेर जेयः सेवायात क्षितीशोचित करण पटुः सिंधु राजांतको यः। प्रोद्दामन्याय हेतु भरत मुख महा ग्रन्थ तत्त्वार्थवेत्ता श्री मज्जावालिसंज्ञे पुरि शिव सदन द्वंद्व कर्ता कृतज्ञः ।। ४६ ॥ तत्पट्टोदय शैल भानुरनघप्रोद्दाम धर्म क्रिया निष्णात: कमनीय रूप निलयो दानेश्वरः सु प्रभुः । सौम्यः शूर शिरोमणिश्च सदय: साक्षादिवेंद्र: स्वयं श्री मांश्चिाचिग देव एव जयति प्रत्यक्ष कल्पद्रुमः ॥ ४७ ।। मूभंगेन भयंकरेण विजित प्रत्यथिं भूमी पति: श्री मांश्चाचिग देव एव तनुते निर्विघ्न वृत्तिं भुवं । द्वैजिह्वयं विदधातु पन्नग पतिर्वक्रं वराहो मुखं कूर्मों नक्रततिं करींद्र निवहः संघात सौस्थ्यं परं ॥ ४८ ॥ मेरो: स्थैर्य वचन रचनं वाक्पते यस्य तुल्यं पृथ्वी भारोद्धरणमसमं पन्नगेंद्रानुषंगि । लाक्षाद्राम: किमयमथवा पूर्ण पीयूष रश्चिश्चिंता रत्नं प्रणयिनि जने देव एवैष तस्मात् ॥ ४९ ॥ स्फूर्जद्वीरम गूर्जरेश दलनीय: शत्रु शख्यं द्विषंश्चंचत्पातुक पातनैकरसिकः संगस्य रंगा पहः ।
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय उन्माद्यन्नहरा चल स्य कुलिशा कार स्त्रिलोकी तल भ्राम्यत्कीतिर शेष वैरि दहनोदन प्रतापोल्वणः ॥ ५० ॥ श्री माले द्विज जानुवाटिक कर त्यागी तथा विग्रहादित्य स्यापि च राम सैन्य नगरे नित्याच॑नार्थ प्रद। प्रोत्तुंगेप्य पराजितेश भवने सौवर्ण-कुंभध्वजारोपी रूप्यज मेखला वितरण स्तस्यैवदेवस्य यः ॥ ५१ ॥ चक्रे श्री अपराजितेश भवने शाला तथास्यां रथं कैलास प्रतिमस्त्रिलोक कमलालंकार रत्नोच्चयः । येन क्षोणि पुरंदरेण कृतिना मानंद संवित्तये भाग्यं वा निज मेव पर्वत तुलां नीतं समंतादपि ॥ ५२ ॥ कर्णे दान रुचिर्बलिश्च सुकृती श्लाघ्यो दधीचि स्तथा हृद्य: कल्पतरुः प्रकाम मधुराकारश्च चिन्तामणिः । श्री मच्चाचिगदेव दान मुदितां स्तन्नाम गृह्णति यत्तत्कीर्तेरपि नूतनत्व मभवद्भूमीभुजां सद्मसु ॥ ५३ ॥ स्फूज निर्झर झांकृतेन सुभगं तत्केतकीनां वनं मिश्री भूतमनेक कस्र कदली वृंदेन धत्तेऽत्र यः । आम्राणां विपिनं च देव ललना वक्षोरुह स्पर्द्धये वोद्यत्प्रोढ़ फलावली कवचितं जम्बू वने नाचितं ॥ ५४ ॥ मरौ मेरो स्तुल्यस्त्रिदश ललना केलि सदनं सुगन्धा दिर्नानातरु निकर सन्नाह सुभगः । नृपेणेंद्रेणेव प्रसृमर तुरङ्गोच्चय खुर प्रकं प्रोर्वी पीठ रतिरस वशात्तेन ददृशे ॥ ५५ ॥ तन्मूर्दिघ्न त्रिदशेंद्र पूजिता पदां भोज द्वयां देवतां चामुंडा मघटेश्वर रीति विदिताम भ्यर्चितां पूर्वजैः । नत्वा भ्यर्च्य नरेश्वरोथ विदधेस्या मंदिरे मंडपं क्रीडत्किंनर किन्नरी कल रवो न्माद्यन्मयूरी कुलं ।। ५६ ॥ सम्वत् १३१९ त्रयोदश शतै कीन विशतौ मासि माधवे । चक्रेऽक्षय तृतीयायां प्रतिष्ठा मंडपे द्विजैः ॥ ५७ ॥ संपल्लाभं घटयतु शुभं कुंक्षि वक्त्रो गणेश: सिद्धिं देयाद्रभि मत तमां चंडिका चारु मूर्तिः । कल्याणाय प्रभवतु सतां धेनु वर्गः पृथिव्यां राजा राज्यं भजतु विपुलं स्वस्ति देव द्विजेभयः ॥ ५८ ॥ स श्रीकरी सप्तक वादिदेवा चार्यस्य शिष्योऽजनि रामचन्द्रः । सूरिविनेयो जय मङ्गलोऽस्य प्रशस्तिमेतां सुकृती व्यधत्त ॥ ५९ ॥ भिषग्वर-विजय पाल-पुत्रेण नाम्बसीहेन लिखिता ॥ सूत्रधार-जिसपाल-पुत्रेण-जिसरविणोत्कीर्णा ॥
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परिशिष्ट - १
अजारी
अहमदाबाद
अहमदाबाद
अहमदाबाद
अहमदाबाद
अहमदाबाद
अहमदाबाद
अहमदाबाद
अहमदाबाद
अहमदाबाद
अहमदाबाद
अहमदाबाद
अजमेर
अजीमगंज
आबू
आबू
आबू आमेर
आरासणा
उज्जैन
उदयपुर
ऊंझा
कारंजा
किशनगढ
कुंभारिया
कुंभारिया कुंभारिया कोटा
परिशिष्ट - १
सम्बधित लेखों के वर्तमान प्राप्तिस्थान
महावीर जिनालय
आदीश्वर जिनालय, राजामेहता पोल, कालुपुर अजितनाथ जिनालय सुधार की खड़की अजितनाथ जिनालय, बाघन पोल
चन्द्रप्रभ जिनालय, मांडवी पोल
चौमुखी देरासर
जैनमंदिर, मोतीपोल
वासुपूज्य जिनालय रूपसुरचन्द्र की पोल वासुपूज्य जिनालय, शेख पाडो
शामला पार्श्वनाथ जिना०, लाम्बा शेरी पोल
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सीमंधर स्वामी का मंदिर, दोशीवाडा
संभवनाथ जिनालय, कालुपुर
संभवनाथ जिनालय
संभवनाथ जिनालय
वही
विमलवसही
विमलवसही, हस्तिशाला चन्द्रप्रभ जिनालय
शांतिनाथ जिनालय
भंडारस्थ प्रतिमा, गौडीजी का मंदिर
जैन मंदिर
आदिनाथ जिनालय
चितामणि पार्श्वनाथ जिनालय
नेमिनाथ जिनालय
शांतिनाथ जिनालय
पार्श्वनाथ जिनालय
आदिनाथ जिनालय
३०
२१२
१९७
२३९
२३७
५१
७३
२२१
२९, १३४
२०५
८५
१०८
२०३
१९०
२९, ३३, १०४, २५२
३ ४ ६ २२ २३ २४
२५ २६ २७ २८ ३७ ७४ २५३
३० ८०
१८०
४६, ४७, ४८, ५०, ६३
२३८
१४६
२५१
१६०
१५२
५ ७८९ ११
१२ १३ २१४४
५५ ५६ ५७ ५८
५९ ६० ६१ ६२
६४ ६५ ६६ ७०
७१ ७५ ९३
२
१७
२१४
५९
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६०
कोटा
कोटा
बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय १६२ २२८ १९४ १३५ १८९ २४२
१
REEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEET
कोटा कोटा कोरटा खंभात खंभात खंभात खंभात खेड़ा गिरनार चाडसू चांदलाई चुरू जयपुर जयपुर जयपुर जयपुर जयपुर जामनगर जालना जालौर जीरावला जैसलमेर जैसलमेर जैसलमेर जोधपुर डभोई थराद हीमाणा नाकोड़ा नागपुर नाडोल नासिक नागौर नागौर नाडलाई
चन्द्रप्रभ जिनालय विमलनाथ जिनालय माणिकसागरजी का मंदिर सेजी का घर देरासर ऋषभदेव जिनालय आदिनाथ जिनालय, मांडवी पोल विमलनाथ जिनालय, चौकसी पोल शांतिनाथ जिनालय, चौकसी पोल चिन्तामणि पार्श्वनाथ जिनालय पद्मप्रभ जिनालय, दलाल का टेकड़ा वस्तुपाल द्वारा निर्मित जिनालय आदिनाथ जिनालय शांतिनाथ जिनालय शांतिनाथ जिनालय महावीर जिनालय, चोथ का वरवाड़ा नया मंदिर पंचायती मंदिर विजयगच्छीय मंदिर श्रीमालों का मंदिर आदिनाथ जिनालय चन्द्रप्रभ जिनालय तोपखाना महावीर जिनालय अष्टापदजी का मंदिर चन्द्रप्रभ जिनालय सुपार्श्वनाथ जिनालय धर्मनाथ का मंदिर धर्मनाथजी का मंदिर ऋषभदेव का बड़ा मंदिर शांतिनाथ जिनालय भण्डारस्थ प्रतिमा, शांतिनाथ जिनालय श्वे० जैनमंदिर पद्मप्रभ जिनालय प्राचीन जैनमंदिर शांतिनाथ जिनालय बड़ा मंदिर नेमिनाथ जिनालय
११३ ७७ २५४ ३४, १९६ २०१ ३२ २३३ १८४ १८६ १६२ १६५, २३६ २०६, २१८, २२९ २४३ १९१ २१३
१५३
३२
१०१, १०९ २३२ ११५, १२२, १३०, १९५, २०० २३१ १५९
८७
१९३
१०० १९८, २०२ ८४ १४, १५ १०६
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--------------------------------------------------------------------------
________________
परिशिष्ट-१
पटना
१४७ २११ ४५
पनवाड़ पाटण पाटण पाटण पालिताता
१६४ .
जैनमंदिर महावीर जिनालय भाभा पार्श्वनाथ देरासर मनमोहन पार्श्वनाथ जिनालय, खजुरीवाडा शांतिनाथ जिना० कनासानो पाडो गौडीपार्श्वनाथ जिनालय आदिनाथ जिनालय चन्द्रप्रभ जिनालय, जानी शेरी महावीर जिनालय भंडारस्थ प्रतिमा, चित्तामणिजी का मंदिर
पूना
बडोदरा ब्राह्मणवाडा बीकानेर
११४ २२० १३७, १४०, २१० १८८ ७४ १८ १९ २० ३१ ३३ ३५ ३६ ५३ ५४ ६७ ६९ ७२ ७८ ७९ ८१ ८२ ८३ ८८ ९९ १०३ ११० १११ ११६ ११७ ११९ १२१ १२३ १२४ १२६ १२७ १२८ १३१ १३६ १३८ १३९ १४१ १४३ १४९ १५० १५५ १५७ १५८ १६१ १७५ १७६ १७७ १७८ १७९ १८१ १९२ २०७ २०८ २०९ २२६ २३० ११८ ८६ १०७ १२९ १४५ १५४ १७१ १७३ १७४ २१७ २२५ १२५ १६७ १६८ १६९ १७० ५२ १६३ २२२ २२४ २२३ २१५ २४१ १४८
बीकानेर बीकानेर बीकानेर बीकानेर बीकानेर बीकानेर बीकानेर बीकानेर बीकानेर
नमिनाथ जिनालय, लक्ष्मीनारायण पार्क गौड़ीपार्श्वनाथ जिनालय चन्द्रप्रभ जिनालय महावीर जिनालय, डागों की गुवाड़ पार्श्वनाथ जिनालय, हनुमानगढ महावीर स्वामी का मंदिर, बैदों का चौक मुनिसुव्रत जिनालय, नाल पार्श्वनाथ जिनालय नौहर गंगागोल्डेन जुबली म्यूजियम पार्श्वनाथ जिनालय विमलनाथ जिनालय शांतिनाथ जिनालय तारापुर मंदिर मुनिसुव्रत जिनालय
बूंदी
बैतेड
भोजपुर
माण्डवगढ मालपुरा
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--------------------------------------------------------------------------
________________
६२
मुर्शिदाबाद मुम्बई रतलाम राणकपुर रामपुरा लींच वीरमगाम वीसनगर शत्रुजय शत्रुजय शत्रुजय सवाईमाधोपुर सांगानेर सिरोही
विमलनाथ जिनालय गणेशमल सौभाग्यमल का मंदिर सुमतिनाथ जिनालय जैनमंदिर (त्रैलोक्य दीपक जिनालय) शांतिनाथ जिनालय जैन मंदिर अजितनाथ जिनालय कल्याण पार्श्वनाथ जिनालय हेमाभाई की ट्रॅक साकरचन्द्र प्रेमचन्द्र की ट्रॅक देरी क्रमांक १८२ विमलनाथ जिनालय महावीर जिनालय पुरातत्त्व संग्रहालय
बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय १४२ २४४ १८५ ३८, ३९ २४० ६८ १०२ १५३ १८३ १८२ २३४ ९४ १५१ १८७ २३५ ७६, ११२, १३२, १३३, १९९, २१६
सुरत
सीमंधर स्वामी का मंदिर, तालेवाले की पोल
परिशिष्ट-२ लेखस्थ आचार्य व मुनिजनों के नाम ११४
७९, १०२, १२४, १७५, १७६, २१२ ८६, १४२, १६४, १८७, २४१ ८, ९, २१, ४४, ४६, १२४, १२५
८४
अक्षतचन्द्रसूरि अजितदेवसूरि अमरचन्द्रसूरि अमरप्रभसूरि अभयदेवसूरि आणंदसूरि उदयचन्द्रसूरि उदयप्रभसूरि उदयसिंहसूरि कनकप्रभसूरि कमलप्रभसूरि कमलचन्द्रसूरि कनकसूरि कलशचन्द्रसूरि गुणनिधानसूरि गुणप्रभसूरि गुणसमुद्रसूरि गुणसागरसूरि
८०, १९९ २०४ २५४ ६३, २४१ १९७, २०१, २०५, २०८, २११, २३९, २४९ ११६, ११७, १३२, १३३, १३५, १४४, १४५
८७
२२६ १९८
२३५ १०८
१३१, १३६, १४६, १५७
Page #70
--------------------------------------------------------------------------
________________
परिशिष्ट-२
६३
२१५ ९२ ४, ७, ११, १२, १३, ४०, ६१, ६५, ६६ १५१, २५० १३४ ५४ ७९, १९७, २०१, २०५, २०८, २४०
६५ ७१, १०१ २१ ११४, २२२, २२४, २४३ २४७ १०९ २२, २३, २४, २५, २६, २७, २८
२५१
गुणसुन्दरसूरि गुणाकरसूरि चक्रेश्वरसूरि चन्द्रप्रभसूरि जयतिलकसूरि जयदेवसूरि जयमंगलसूरि जयानंदसूरि जयसिंहसूरि जिनचन्द्रसूरि जिनभद्रसूरि नाण (ज्ञान) चन्द्रसूरि ज्ञानप्रभवाचक दिन्नविजयसूरि देवचन्द्रसूरि देवकुंजरसूरि देवचन्द्रसूरि देवभद्रगणि देवसूरि देवेन्द्रसूरि धनदेवसूरि धनप्रभसूरि धनेश्वरसूरि धर्मतिलकसूरि धर्मचन्द्रसूरि धर्मदेवसूरि धर्मसिंहसूरि धरप्रभसूरि श्ररचन्द्रसूरि नरदेवसूरि नेमिचन्द्रसूरि पद्मचन्द्रगणि पद्मचन्द्रसूरि पद्मदेवसूरि पद्मसूरि पद्माणंदसूरि पडोचन्द्रसूरि पूर्णचन्द्रसूरि
१३७, २००, २१२, २४४ १६८, १७० १४, १५, १७, ३०, ३२, ३७, ७८, १७० ६३, ७२, १०१, २५१ ११३ २२७, २३८, २४२ १९, २०, २१, ३०, ३३, ३४, ३५ ९८ ९६, १२०, १७३, २२१ ७८, ८२, १२१, १२६, १२७, १२८, १२९, १५५ १२९, १३०, १५२, १५५ २१८ १३८, १४३, १७१ ११५ ६, १७ १४, १५ ७७, ८५ ३७, ४१, ८३
१६३ ५१ १२३, १३७, १४०, १८८, १९७
Page #71
--------------------------------------------------------------------------
________________
६४
परमानंदसूर
पासचन्द्रसूरि
पासभद्रसूरि
पूर्णभद्र
पुण्यप्रभसूर
पूर्णदेवसूरि
प्रद्युम्नसूर
प्रभाणंद
प्रेमप्रभसूर
वदरिसेणसूरि
बुद्धिसागर
ब्रह्मदेवसूर
भद्रेश्वरसूरि
भावदेवसूर
तिसुन्दर
मलयचन्द्रसूरि
महेन्द्रसूरि
माणिक्यसूरि माणिक्यन्द्रसूर
मानतुंग
मानदेवसूर
मुनिचन्द्रसूरि
मुनिदेवसूरि
मुनिरत्नसूर
शेखरसूरि
श्व
प्रभ
यशोदेवसूरि
यशोभद्रसूर
रत्नप्रभसूर
रत्नाकरसूरि
रत्नशेखरसूरि रामदेवसूरि
राजन
बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय
१२, १३, ४४, ४८, ५०, ५२, ५३, ५५, ५७, ५८, ६०, ६२,
६४, ६७, ७०, ७१, ७५, १००
१९६
९४
३७, ४३
१७७, २३०, २४०, २५२
३२
४२
७६
२१४
११२
८, ९
४३
३, ८८, ८९, ९१, ११८, १५४
९३
१८४
१७३, २२१
१०६, १०७, ११०, १११, ११६, ११७, १४४, १६७, १६८, १६९, १७०, १७८, १८१, १८३, १८६, १९०, १९८, २०३
५१
२२०, २३४
१२०
४२, ४५, ५४, ६८, ८०
१५
१७२, २४६, २४७
२९, ७३, ७४
९५, १०४, ९०, ११८
१३९, १४७, १४८, १५०, १५१, १६२, १६८, १७०, १९८ १९२, १९४, १९८, २०७, २०९, २१०, २१७, २१९, २२३,
२२४, २२५, २३१, २३२, २३६, २४५, २४६
२२, २३, २४, २५, २६, २७, २८
८१
४४, ४७, ४८, ६२, ६४, ७१, ९२, १४७, १४८, १५०, १६२, १६५, १६६, १६७, १६८, १६९, १७०, १८३, १८८, २०३
१०३, १२२, १७८, १९०, १९८, २१०, २३२, २४५
१०५, १२३
१४१
१९२, २०७, २०९, २१७, २२३, २२४, २२५
Page #72
--------------------------------------------------------------------------
________________
परिशिष्ट-२
६५
३४, ९४, ९९, १०१, १८७ १४९, १५६ ३, ४, ७, ११, १२, १३, ५६, ५९, ६१, ६५, ६६ ४३, ८२, १२८, १३७, २४१
९३
२५२, २५३ १, ५, ५६
४०
८८, ९९, ९१, १०३
१२० २१५
७५
रामचन्द्रसूरि ललितप्रभसूरि वर्धमानसूरि वादिदेवसूरि विजयचन्द्रसूरि विजयदेवमुनि विजयसिंहसूरि विजयसेनसूरि (नागेन्द्रगच्छीय) विजयसेनसूरि (भद्रेश्वरसूरि के शिष्य) विजयचन्द्रसूरि विनयप्रभसूरि वीरसूरि वीरचन्द्रसूरि वीरदेवसूरि वीरभद्रसूरि शांतिभद्रसूरि शांतिसुन्दरसूरि शांतिप्रभसूरि श्रीचन्द्रसूरि श्रीतिलकसूरि सर्वदेवसूरि सागरचन्द्रसूरि सागरसूरि सोमप्रभसूरि सोमसुन्दरसूरि हरिभद्रसूरि
१४३, १७१, १७९, २१८, २२७, २३८ ८३, २४१ १५३ २१४, २२२ १८५ ९, १०, ३८, ३९, ४४, ४६, ४८ ५६ ११८. २, ८०, ९७, १९३ ११९, १५८, १६४, १७४, १९५ १८० २१ए, ६१, ६५, ६६ २३३ ३१, ३४, ३५, ४४, ४६, ४७, ४८, ४९, ५०, ५३, ५५, ५७, ६०, ६२, ६४, ७० १६, १६०
हेमचन्द्रसूरि हेमचन्द्रसूरि (जयमंगलसूरि के शिष्य) हेमरलसूरि हेमसूरि हेमप्रभसूरि हेमशेखरसूरि
२०५, २०६ १०५ ३०, ३२ ७७, ८४, ८५ २१४
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--------------------------------------------------------------------------
________________
६६
ओसवाल, उपकेश
पल्लीवाल प्राग्वाट
बृहद्गच्छय लेख समुच्चय परिशिष्ट-३
लेखस्थ ज्ञाति सूची ७२, ७३, ९६, ९९, १०२, १०६, १०७, ११२, ११४, ११५, ११६, ११९, १२१, १२३, १२४, १२६, १२७, १२९, १३०, १३१, १३२, १३३, १३५, १३६, १३७, १३८, १३९, १४०, १४१, १४३, १४४, १४५, १४६, १४९, १५२, १५३, १५७, १५८, १५९, १६०, १६२, १६४, १६५, १६६, १६७, १७१, १७२, १७३, १७४, १७५, १७६, १७७, १७८, १७९, १८०, १९०, १९१, १९३, १९४, १९५, १९७, १९९, २००, २०१, २०२, २०५, २०६, २०८, २११, ११२, ११३, २१५, २१७, २१९, २२१, २२७, २३०, २३६, २३७, २३८, २३९, २४०, २४२, २४४, २४८, २५०, २५१ ५१, २२२ ३, ४, ७, ८, ९, ११, १२, १३, २२, ३६, ४०, ४४, ४५, ४७, ४८, ५०, ५२, ५५, ५७, ५८, ६०, ६२, ६३, ६४, ६५, ७०, ७१, ८३, ८७, ९३, ९७, ११७, १२२, १५६, १९६, २०४, २१६, २२८ ४२, ६८, ९२, १०५, १०८, ११०, १११, १३४, १८५, १८८, २०३, २१०, २१४, २२०, २३३, २३४, २४१, २४९
परिशिष्ट-४
लेखस्थ गोत्र सूची १७५ १८३ १५० ९० २०१ १२८ २२९ २०६, २१२ १८५, २२० १७२, १७४ १६९ ९४, १८० १८२
श्रीमाल
उच्छित्रवाल उताड केल्हण कोल्हण . कूकूलोल गुर्जर गोखरू गुहउचा-गुंडूचा चहचहिया छोहरिया जंवड जावड़
डीडू
२१४
तातरहीला तातेड़
१५४ १४२, १४७, १४८, १७८, १८७, १९५, २१९, २४५
दूगड़
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--------------------------------------------------------------------------
________________
परिशिष्ट-३/४
६७
७४
दुस्साव . धनणिया . धनपति धनाणेचा धर्कट नक्षत्र नागूणा नाहर परवज पल्हवड पल्हयउ पावेचा फूलपरग बरहडीया बाफणा बलदउठा बलहउती
२०५ २३९ २४० ३७, ५४, १६५ १५८ १५१ ११८, १६७, २०९ १९३ २१०, २२४, २४६ २०५ १५९, १६० २३८, २५० १९४, १९८, २०२, २२३ ९५, २३१ १२७ १५५ १५३ २४१ १७३ १७७, २०८, २३०, २४२
बेगड़
२२७
१६३, १९१ १९०, १९२, २०७, २२५
बुहप बोकडिया मंडलेचा मूंदो लोढा वरबद्ध (वरलच्छ) वरडीया वरहुडिया वीराणेचा वृद्धशाखा सांभरया सिंघाणिया सुरोगा सोन सोनी स्वयंभ हींगड़ हार हंगड़
१६२, १६६ २३२ २१७ २३७
२२८
२३६ १६४ २४३ १८६ २१५ १२३
२००
१८९
Page #75
--------------------------------------------------------------------------
________________
६८
वि० सं०
११४३
११४८
११८७
११९१
१२००
१२०४
१२०५
१२०७
१२१४
१२१५
१२१६
१२२०
१२२७
१२३४
१२३६
१२४५
१२४९
१२५१
१२६०
१२६८
१२७३
१२७५
१२७९
१२८४
१२८८
१२९०
१२९३
१३०५
१३०७
१३१०
१३१४
१३१६.
लेखक्रमांक
१
२
३ ४
५
६
७
८९
१० ११
१२ १३
१४ १५ १६
१७
१८
१९
२०
२१
२३ २४ २५ २६
२७ २८ २९
३०
३१
३२
परिशिष्ट-५ संवत् सूचा (विक्रमीय)
वि० सं०
३३
३४
३५
३६
३७
३८
३९
४०-४१
४२
४३
४४४५ ४६
४७ ४८
४९
१३२३
१३२७
१३३१
१३३४
१३३५
१३३७
१३३८
१३३९
१३४१
१३४३
१३४५
१३४६
१३४९
१३५१
१३५२
१३५६
१३५७
१३५९
१३६०
१३६७
१३६८
१३६९
१३७१
१३७३
१३८३
१३८५
१३८६
१३८७
१३८८
१३९०
१३९१
बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय
लेखक्रमांक
५०
५१
५२
५३ ५४
५५ ५६ ५७ ५८
५९ ६०
६१
६२ ६३ ६४ ६५
६६ ६७
६८
६९
७०
७१
७२
७३ ७४
७५
0 0 0 0 AACAAN ˆ ˆ 0 6 6 6 6 9
७६
७७
७८
८०
८१
८२
८३ ८४
८५
८६
८७
८८
८९
९०
९१
९२
९३
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--------------------------------------------------------------------------
________________
परिशिष्ट-५
लेखक्रमांक ९४ ९५
९७ ९८, ९९ १०० १०१ १०२ १०३ १०४
वि०सं० १४८७ १४८८ १४८९ १४९२ १४९३ १४९५ १४९७ १४९८ १४९९
लेखक्रमांक १५२ १५३ १५४ १५५ १५६ १५७ १५८ १५९ १६० १६१ १६२ १६३ १६४ १६५
१०५
१६६
१५०० १५०१
वि०सं० १३९२ १३९३ १४०१ १४०६ १४०८ १४११ १४१२ १४१४ १४१७ १४१८ १४२२ १४२३ १४२४ १४२५ १४३० १४३२ १४३३ १४३४ १४३६ १४४० १४४३ १४४५ १४४९ १४५४ १४५७ १४६५ १४७२
१५०४ १५०६
१५०७
१०६ १०७ १०८ १०९ ११० १११ ११२ ११३ ११४ ११५ ११६ ११७ ११८ ११९ १२० १२१ १२२ १२३ १२४ १२५
१५०८ १५१०
१२६
१५११ १५१२ १५१३ १५१६ १५१७ १५१८ १५१९
१६७ १६८ १६९ १७० १७१ १७२ १७३ १७४ १७५ १७७ १७८ १७९ १८० १८१ १८२ १८३ १८४ १८५ १८६ १८७ १८८ १८९ १९० १९१ १९२ १९३ १९४ १९५ १९६ १९७ १९८ १९९ २०० २०१ २०२ २०३ २०५ २०६ २०७ २०८ २०९ २१० २११ २१२ २१३ २१४ २१५ २१६ २१७ २१८ २१९ २२०
१४७३ १४७८ १४७९ १४८० १४८२
१२७ १२८ १२९ १३० १३१ १३२ १३३ १३४ १३५ १३६ १३७ १३८ १३९ १४० १४१ १४२ १४३ १४४ १४५
१५२० १५२१ १५२३ १५२४ १५२५
१४६
१४८५ १४८६
१४२६ १५२८
१४७ १४८ १४९ १५० १५१
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________________
७०
वि०सं०
१५३२
१५३४
१५३५
१५३६
१५३७
१५३८
१५३९
१५४२
१५४३
१५४८
१.
२.
३.
४.
५.
६.
७.
लेखक्रमांक
२२२ २२३
२२४ २२५ २२६
२२७
२२८
२२९ २३० २३१
२३२
२३३
२३४
२३५
२३६
२३७
२३८
१६.
१७.
वि०सं०
परिशिष्ट- ६
संदर्भग्रन्थनाम संकेत- विवरण
८.
९.
१०. प्रतिष्ठा लेख संग्रह ( भाग १-२ ) प्र०ले०सं०
११. नाकोड़ा पार्श्वनाथ तीर्थ ना०पा०ती०
१५५०
१५५१
१५५२
१५५६
१५५७
१५५९
१५६६
१५६९
१५७२
१५८१
१६१३
१६३९
अर्बुद प्राचीन जैन लेख संदोह (आबू, भाग-२) अ० प्रा० जे०ले० सं० अर्बुदाचल प्रदक्षिणा जैन लेख संदोह (आबू, भाग-५) अ०प्र० जै०ले० सं० अर्बुद परिमंडल की जैन धातु प्रतिमायें एवं मंदिरावलि अ०प्र०जै०धा० मं० आरासणा अने कुंभारिया आ०अ०कु०
जैन धातु प्रतिमा लेख संग्रह भाग १-२ जै०धा०प्र०ले०सं०
जैन धातु प्रतिमा लेख जै०धा०प्र०ले०
जैन लेख संग्रह ( भाग १- ३) जै०ले०सं०
प्राचीन जैन लेख संग्रह (भाग - २) प्रा०जै० ले० सं०
प्राचीन लेख संग्रह प्रा०ले०सं०
१२. बीकानेर जैन लेख संग्रह बी०जै० ले० सं०
१३. बाड़मेर जिले के प्राचीन जैन शिलालेख वा०जि० प्रा० जै०शि० पाटण जैन प्रतिमा लेख संग्रह पा०जै०प्र०ले० सं०
१४.
१५. मालवांचल के जैन लेख मा०जै०ले०
राधनपुर प्रतिमा लेख संग्रह रा०प्र० ले०सं०
श्री प्रतिमा लेख संग्रह श्री० प्र०ले० सं०
बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय
लेखक्रमांक
२४०
२४१ २४२
२४३
२४४
२४५
२४६
२४७ २४८
२४९
२५०
२५१
२५२ २५३
२५४
१८. शत्रुंजय गिरिराज दर्शन श०गि०द०
१९. शत्रुंजय वैभव श० वै०
२०. Jain Image Inscriptions of Ahmedabad JIIA.
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________________
પૂજ્યપાદ્ આચાર્યદેવ કારસૂરીશ્વરજી મહારાજ જ્ઞાનમંદિર ગ્રંથાવલીમાં પ્રાપ્ય પુસ્તકો...
પૂ. આચાર્યદેવ મુનિચન્દ્રસૂરિજી મ. સંપાદિત - સંકલિત પ્રેરિત ગ્રંથો - વીર નિર્વાણ સંવત ઔર જૈન કાલગણના : લે. પં.શ્રી કલ્યાણવિજયજી ગણિ . શ્રમણ ભગવાન મહાવીર : ૫. શ્રી કલ્યાણવિજયજી ગણિ (હિન્દી) • જૈન સાહિત્યનો સંક્ષિપ્ત ઈતિહાસ લે. મોહનલાલ દેસાઈ - જૈન સંસ્કૃત સાહિત્યનો ઈતિહાસ ભાગ ૧-૨-૩ : લે. હીરાલાલ ૨. કાપડિયા - પાઈઆ ભાષાઓ અને સાહિત્ય - હીરાલાલ કાપડિયા
વ્યવહાર સૂત્ર ભાગ-૧ થી ૬, વ્યવહાર સૂત્ર પ્રતાકારે ભાગ-૧ થી ૭ . દસ વૈકાલિક સૂત્ર : પૂ. આ. ભદ્રકરસૂરિજી મ.સા.ના વિવેચન સાથે v પ્રસંગવિલાસ . પ્રસંગ અંજન પ્રસંસિદ્ધિ (હિન્દી) . પ્રસંગ રંગ પ્રસંગ સરીતા . સંવિરા (હિન્દી) n પ્રસંગ કલ્પલત્તા . હીર સૌભાગ્ય (સટીક) . પ્રવચન સારોદ્ધાર વિષમપદ વ્યાખ્યા • દસમાવગચરિયું . ધર્મરત્નકરંડક : કથારત્નાકર પ્રભાવકચરિત્ર (ગુજરાતી ભાષાંતર) . ઉપમિતિ કથોદ્ધાર કર્તા : પં. શ્રી હંસરત્નવિજયજી ગણિ ઉવાઈયસુત્તમ્ - સુરસુંદરી ચરિયું (સંસ્કૃત છાયા સાથે) - સંપાદિકા સા. મહાયશાશ્રીજી મ., • પ્રમાણનયતવાલોક (વિવેચન સા. મહાયશાશ્રીજી મ.).
ચૈત્યવંદન ચવિંશતિકા - સંપાદિકા સા. મહાયશાશ્રીજી મ., . કર્મગ્રંથ : ઉપશમ શ્રેણિ, ક્ષપક શ્રેણિ, શાંતિનાથ ચરિત્ર સાનુવાદ, દાનોપદેશ-માલા સવિવેચન રમ્ય રેણુ,
પૂ. આચાર્યદેવ યશોવિજયસૂરીશ્વરજી મહારાજની વાચનાઓ... . દરિસણ તરસિએ ભાગ ૧-૨ . બિછુરત જાયે પ્રાણ . સો હિ ભાવ નિગ્રંથ . આપ હિ આપ બુઝાય . પ્રગટ્યો પૂરન રાગ
આતમજ્ઞાની શ્રમણ કહાવે » મેરે અવગુણ ચિત્ત ન ધરો . ઋષભ જિનેશ્વર પ્રિતમ માહરો પ્રભુનો પ્યારો સ્પર્શ » પરમ ! તારા માર્ગે . આત્માનુભૂતિ
I અસ્તિત્વનું પરોઢ અનુભૂતિનું આકાશ રોમે રોમે પરમ પર્શ . પ્રભુના હસ્તાક્ષર . ધ્યાન અને કાયોત્સર્ગ . માણ્યું તેનું સ્મરણ
રસો હૈ સઃ . પ્રવચન અંજન જો સદ્ગુરુ કરે એકાન્તનો વૈભવ
v સાધનાપથ - સમાધિશતક ભાગ-૧ થી ૪ સમુંદ સમાના બુંદ મેં
? સંપર્કઃ . આ. શ્રી ઉઠેકારસૂરિ આરા. ભવન ગોપીપુરા, સુરત ૧, ટેલી : ૨૪૨૬૫૩૧ . શ્રી વિજય ભદ્ર ચે. ટ્રસ્ટ, ભીલડીયાજી, ૩૮૫૫૩૦, ટેલી ૦૨૭૪૪/૨૩૩૧૨૯
આ. શ્રી ૩ૐકારસૂરિ જ્ઞાનમંદિર, વાવ પથકની વાડી, દશા પોરવાડ સોસા, પાલડી, અમદાવાદ, ૩૮૦૦૦૭, ટેલી : ૨૬૫૮૬૨૯૩.
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આચાર્યશ્રી ૐૐકારસૂરિ જ્ઞાન મંદિર ગ્રંથાવલી
પ્રભુવાણી પ્રસાર સ્થંભ (યોજના-૧,૧૧,૧૧૧)
૧. શ્રી સમસ્ત વાવ પથક શ્વેતાંબર મૂર્તિપૂજક જૈન સંઘ-ગુરુમૂર્તિ પ્રતિષ્ઠા-સ્મૃતિ
૨. શેઠશ્રી ચંદુલાલ કકલચંદ પરીખ પરિવાર, વાવ
૩. શ્રી સિદ્ધગિરિ ચાતુર્માસ આરાધના (સં. ૨૦૫૭) દરમ્યાન થયેલ જ્ઞાનખાતાની આવકમાંથી.
હસ્તે : શેઠશ્રી ધુડાલાલ પુનમચંદભાઈ હેક્કડ પરિવાર, ડીસા, બનાસકાંઠા
૪. શ્રી ધર્મોત્તેજક પાઠશાળા, શ્રી ઝીંઝુવાડા જૈન સંઘ, ઝીંઝુવાડા
શ્રી સુઈગામ જૈન સંઘ, સુઈગામ
૫.
૬. શ્રી વાંકડિયા વડગામ જૈન સંઘ, વાંકડિયા વડગામ
૭. શ્રી ગરાંબડી જૈન સંઘ, ગરાંબડી
૮. શ્રી રાંદેરરોડ જૈન સંઘ-અડાજણ પાટીયા, રાંદેર૨ોડ, સુરત
बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय
૯. શ્રી ચિંતામણી પાર્શ્વનાથ જૈન સંઘ પાર્લા (ઈસ્ટ), મુંબઈ
૧૦. શ્રી આદિનાથ તપાગચ્છ શ્વેતાંબર મૂ.પૂ.જૈન સંઘ, કતારગામ, સુરત
૧૧. શ્રી કૈલાસનગર જૈન સંઘ, કૈલાસનગર, સુરત
૧૨. શ્રી ઉચોસણ જૈન સંઘ, સમુબા શ્રાવિકા આરાધના ભવન, સુરત જ્ઞાનખાતેથી
૧૩. શ્રી વાવ પથક જૈન શ્વે. મૂ.પૂ. સંઘ, અમદાવાદ
૧૪. શ્રી વાવ જૈન સંઘ, વાવ, બનાસકાંઠા
૧૫. કુ. નેહલબેન કુમુદભાઈ (કટોસણ રોડ)ની દીક્ષા પ્રસંગે થયેલ આવકમાંથી
૧૬. શ્રી આદિનાથ શ્વેતાંબર મૂર્તિપૂજક જૈન સંઘ, નવસારી
૧૭. શ્રી ભીલડીયાજી પાર્શ્વનાથ જૈન દેરાસર પેઢી, ભીલડીયાજી
૧૮. શ્રી નવજીવન જૈન શ્વે. મૂ.પૂ. સંઘ, મુંબઈ
૧૯. શ્રી જશવંતપુરા જૈન સંઘ - શ્રાવિકા બહેનોના જ્ઞાનદ્રવ્યમાંથી
પ્રભુવાણી પ્રસારક (યોજના-૬૧,૧૧૧)
૧. શ્રી દિપા શ્વેતાંબર મૂર્તિપૂજક જૈન સંઘ, રાંદેરોડ, સુરત
૨. શ્રી સીમંધરસ્વામી મહિલા મંડળ, પ્રતિષ્ઠા કોમ્પલેક્ષ, સુરત
૩. શ્રી શ્રેણીકપાર્ક જૈન શ્વેતાંબર મૂર્તિપૂજક સંઘ, ન્યૂ રાંદેરરોડ, સુરત
૪. શ્રી પુણ્યપાવન જૈન સંઘ, ઈશિતા પાર્ક, સુરત
૫. શ્રી શ્રેયસ્કર આદિનાથ જૈન સંઘ, નીઝામપુરા, વડોદરા ૬. શ્રી અમરોલી જૈન સંઘ - અમરોલી, સુરત
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પ્રિભુવાણી પ્રસાર અનુમોદક (યોજના - ૩૧,૧૧૧) ૧. શ્રી મોરવાડા જૈન સંઘ, મોરવાડા ૨. શ્રી ઉમરા જૈન સંઘ, સુરત ૩. શ્રી શત્રુંજય ટાવર જૈન સંઘ, સુરત ૪. શ્રી ચૌમુખજી પાર્શ્વનાથ જૈન મંદિર ટ્રસ્ટ
શ્રી જૈન શ્વેતાંબર તપાગચ્છ સંઘ ગઢસિવાના (રાજ.) ૫. શ્રીમતી તારાબેન ગગલદાસ વડેચા-ઉચોસણ ૬. શ્રી સુખસાગર અને મલ્હાર એપાર્ટમેન્ટ સુરતની શ્રાવિકાઓ તરફથી ૭. રવિજ્યોત એપાર્ટમેન્ટ, સુરતની શ્રાવિકાઓ તરફથી ૮. અઠવાલાઈન્સ જૈન સંઘ, પાંડવબંગલો, સુરત શ્રાવિકાઓ તરફથી ૯. શ્રી આદિનાથ તપાગચ્છ જે.મૂર્તિપૂજક જૈન સંઘ, કતારગામ, સુરત ૧૦. શ્રીમતી વર્ષાબેન કર્ણાવત, પાલનપુર ૧૧. શ્રી શાંતિનિકેતન સરદારનગર જૈન સંઘ, સુરત ૧૨. શ્રી પાર્શ્વનાથ જૈન સંઘ, ન્યુ રામારોડ, વડોદરા ૧૩. પાંડવ બંગલો (અઠવાલાઇન્સ) સુરતની આરાધક બહેનો તરફથી, સુરત
પ્રભુવાણી પ્રસાર ભક્ત (યોજના - ૧૫,૧૧૧) ! ૧. શ્રી દેસલપુર (કંઠી) શ્રી પાર્શ્વચંદ્રગચ્છ ૨. શ્રી ધ્રાંગધ્રા શ્રી પાર્શ્વચંદ્રસૂરીશ્વરગચ્છ ૩. શ્રી અઠવાલાઈન્સ જૈન સંઘ, સુરત શ્રાવિકા ઉપાશ્રય
વાવ નગરે પૂજ્ય આચાર્ય ભગવંત ૐકારસૂરિ મહારાજાની
ગુરૂ મૂર્તિ પ્રતિષ્ઠા સ્મૃતિ ૧. રૂા.૨,૧૧,૧૧૧ શ્રી વાવ શ્વેતાંબર મૂર્તિપૂજક જૈન સંઘ ૨. રૂા.૧,૧૧,૧૧૧ શ્રી વાવ પથક થે. મૂર્તિપૂજક જૈન સંઘ, અમદાવાદ ૩. રૂા. ૩૧,૦૦૦ શ્રી સુઈગામ જૈન સંઘ ૪. રૂા. ૩૧,૦૦૦ શ્રી બેણપ જૈન સંઘ ૫. રૂા. ૩૧,૦૦૦ શ્રી ઉચોસણ જૈન સંઘ ૬. રૂા. ૩૧,૦૦૦ શ્રી ભરડવા જૈન સંઘ ૭. રૂા. ૩૧,૦૦૦ શ્રી અસારા જૈન સંઘ ૮. રૂા. ૩૧,000 શ્રી ગરબડી જૈન સંઘ ૯. રૂા. ૩૧,૦૦૦ શ્રી માડકા જૈન સંઘ ૧૦. રૂા. ૩૧,000 શ્રી તીર્થગામ જૈન સંઘ
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૧૧. રૂા. ૩૧,૦૦૦
૧૨. રૂા. ૩૧,૦૦૦
૧૩. રૂા. ૩૧,૦૦૦
શ્રી કોરડા જૈન સંઘ શ્રી ઢીમા જૈન સંઘ શ્રી માલસણ જૈન સંઘ
૧૪. રૂા. ૩૧,૦૦૦ શ્રી મોરવાડા જૈન સંઘ
૧૫. રૂ।. ૩૧,૦૦૦ ૧૬. રૂા. ૧૧,૧૧૧ શ્રી વાસરડા જૈન સંઘ, સેવંતીલાલ મ. સંઘવી
बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय
શ્રી વર્ધમાન શ્વે.મૂ.પૂ.જૈન સંઘ, કતારગામ દરવાજા, સુરત
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________________ 'ਚ ਕੰਮ ਕਰ ਨ ਤੋਂ ਬਬਰ ਵੀ ਤੇ ਰੰਜ ਦੀ ਰੀਲ ਇਸਤਰ ਸਜ ਗਈ ਡਾ ਹਰੇਕ ਵਿਰਸੇ ਨਾ ਕਰੋ ਲਈ ਕਹਿ ਦਉਲੀਕਿਕ ਕਲਕਤਲਓ। ਉਬਰੇਰਤ ਹੋਰ ਵੀ ਕਈ ਸਾਰੀ ਉਮਰ ਨਵੀਆਂ ਦੀ ਨ ਸੀਹਵੀਰ ਕੌਰ ਮੁਗ ਵੀ ਕੀ ਹੈ ਤੇ ਦੀ ਜਨਰ ਦੀ ਹਦਾਸ ਸਦੀਕਲ ਨੂੰ ਰੱਦ Bਨ ਦੀ ਹੁੰਦੀ ਆ / ਦਲ Sਰ ਵਰਗਟ KIRIT GRAPHics : 079-2533 0095