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________________ नाम दिये गये हैं । परिशिष्ट तीन में लेखस्थ ज्ञातियों की सूची दी गयी है और परिशिष्ट चार के अन्तर्गत लेखस्थ गोत्रों की सूची है । परिशिष्ट पांच में लेखस्थ सम्वत् सूची दी गयी है । परिशिष्ट ६ के अन्तर्गत आधार सामग्री का अकारादि क्रमसे पूर्ण उल्लेख करते हुए उनके नामों का संक्षिप्तीकरण भी दे दिया गया है, जो इस संकलन में प्रयुक्त हुए हैं । परिशिष्ट के अन्तर्गत जो संख्यायें दी गयी हैं, वे लेखों की हैं । ___इस संकलन को तैयार करने की प्रेरणा आचार्य मुनिचन्द्रसूरिजी से प्राप्त हुई । मुझ पर उनका अत्यन्त स्नेह है । मैं उनके प्रीति का पात्र बन सका यह मेरा सौभाग्य है । अन्त में मैं उन सभी विद्वानों का आभारी हूं जिनकी कृतियों से मुझे सहयोग प्राप्त हुआ है । किरीट ग्राफिक्स के युवा संचालक श्री श्रेणिकभाई और उनके अनुज पियूषभाई ने इसके मुद्रणकार्य को सुन्दर ढंग से पूर्ण किया एवं ऊँकारसूरि आराधना भवन, सुरत ने इसके प्रकाशन की व्यवस्था की । इन सभी के प्रति मैं हृदय से आभार व्यवत करता हूं । - शिवप्रसाद
SR No.006200
Book TitleBruhadgacchiya Lekh Samucchay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir
Publication Year2013
Total Pages82
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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