Book Title: Bhed me Chipa Abhed
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 146
________________ आचार्य भिक्षु और महात्मा गांधी १२९ परिणाम क्या होगा? निर्माण के लिए छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। तत्काल इलाज करें पुराने जमाने की बात है। वैद्य से एक बीमार ने कहा- वैद्यवर! जुखाम हो गया है, कोई पुड़िया दें। वैद्य ने कहा- चला जा यहां से, क्या समझकर आया है? क्या मैं छोटा वैद्य हं, जो तम्हें जकाम की दवा दं। बीमार आदमी बोला- वैद्यराज! मैं तो बड़ी आशा लेकर आया था। वैद्य ने कहा- मैं तो निमोनिया का इलाज करता हूं। मेरे पास उसकी रामबाण दवा है। कभी निमोनिया हो जाए तो मेरे पास आना। तुम एक काम करो तो आज ही दवा दे दूंगा। तुम्हें जुकाम तो है ही। नदी के पानी में खूब नहाओ। जब निमोनिया हो जाए तब मेरे पास चले आना। मैं इलाज कर दूंगा। 'जो लोग जुकाम को मिटाना नहीं जानते और निमोनिया का इलाज जानते हैं, वे बड़े भयंकर होते हैं। जो छोटी बात पर ध्यान देना नहीं जानते, वे लोग ही ऐसी बातें करते हैं। हम निमोनिया होने ही क्यों दें? इसीलिए कहा है- अग्नि, रोग और शत्र- इनका तत्काल इलाज कर देना चाहिए ताकि ये बढ़े नहीं। इनके साथ एक बात और जोड़ दें- मनष्य का स्वभाव। इसका भी इलाज तत्काल कर देना चाहिए। इस प्रसंग में आचार्य भिक्षु और महात्मा गांधी की प्रकृति एकाकार हो जाती है। कहा जा सकता है- अहिंसा और व्यक्तित्व निर्माण के क्षेत्र में आचार्य भिक्षु और महात्मा गांधी इन दो व्यक्तियों ने जो कार्य किया है, उसके लिए समाज और दर्शन का क्षेत्र इनका ऋणी रहेगा और ये दोनों ही व्यक्ति अध्ययन और मनन का विषय बने रहेंगे। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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