Book Title: Bhed me Chipa Abhed
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 151
________________ १३४ प्रतिरोधात्मक शक्ति है संयम - वर्तमान मानव समाज मोक्ष को माने या न माने, वीतरागता को माने या न माने किन्तु उसके लिए एक 'एन्टी बॉडी' का निर्माण करना जरूरी है। केवल राजसत्ता या दण्ड-विधानों के आधार पर समाज को शासित नहीं किया जा सकता। शरीर में बहुत से जीवाणु भरे पड़े हैं, पर हमारी रोग निरोधक शक्ति, जैविक शक्ति निरंतर बचाव करती है। यदि वह शक्ति कमजोर हो जाए तो व्यक्ति रुग्ण बन जाए। यदि समाज में संयम की प्रतिरोधात्मक शक्ति न रहे तो समाज कभी स्वस्थ और अच्छे ढंग से नही चल सकता। उस शक्ति को जीवित रखने के लिए धर्म को जीवित रखना जरूरी है। संयम जीवित धर्म है। यदि यह बात समझ में आ जाए तो आचार्य भिक्षु भी समझ में आ जाएंगे, महात्मा टालस्टाय भी समझ में आ जाएंगे। Jain Education International भेद में छिपा अभेद For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162