Book Title: Bhed me Chipa Abhed
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 161
________________ १४४ भेद में छिपा अभेद है। उसके हित को हृदयंगम बनाकर उसे चलाया जा सकता है। जहां बल का प्रयोग होगा वहां दूसरी ही बात पनपेगी। व्यक्ति उसके अनुसार नहीं चलेगा किन्तु उसका मन प्रतिक्रिया से भर जाएगा। अध्यात्म, आन्तरिक चेतना का जागरण, धर्म, संयम, आत्मानुशासन - ये जो सारे शब्द गढ़े गये हैं, उनका आशय यही है कि परिवर्तन किया जा सकता है और जीवन को बदला जा सकता है। जयाचार्य के जीवन के साथ परिवर्तन का एक लम्बा इतिहास जुड़ा हुआ है। उन्होंने तेरापंथ धर्मसंघ में इतनी बातें बदली कि एक तरह से उसमें सौन्दर्य आ गया। परिवर्तन का यह इतिहास जयाचार्य और मार्क्स की तुलना की आधारभूमि प्रस्तुत करता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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