Book Title: Bhed me Chipa Abhed
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 152
________________ आचार्य भिक्षु और रस्किन सत्य पर किसी का अधिकार नहीं होता। वह सबके लिए समान होता है। विचार का धरातल भी सबके लिये समान होता है। उसमें देश और काल कहीं व्यवधान नहीं बनते। किसी भी देश और किसी भी काल में सत्य का शोध करने वाले और उदात्त विचार करने वाले लोग जन्म लेते रहे हैं। आचार्य भिक्षु मारवाड़ में जन्में और जॉन रस्किन जर्मनी में। किन्तु जब दोनों के चिन्तन को देखते हैं तो आचार्य भिक्षु और रस्किन विचार की भूमिका पर बहुत निकट आ जाते हैं, क्षेत्रीय दूरी समाप्त हो जाती है। सर्वोदय का सिद्धान्त महात्मा गांधी तीन व्यक्तियों से बहुत प्रभावित हुए थे - श्रीमद् राजचंद्र, टॉलस्टाय और जॉन रस्किन। जॉन रस्किन की एक पुस्तक पढ़ने के बाद महात्मा गांधी ने सर्वोदय का नाम प्रकट किया। आचार्य समंतभद्र ने सबसे पहले सर्वोदय शब्द का प्रयोग कया था। उन्होंने भगवान महावीर के तीर्थ को सर्वोदय तीर्थ से अभिहित किया। जॉन रस्किन की अन्टू दि लास्ट (Unto the last) नामक पुस्तक से महात्मा गांधी ने सर्वोदय का नाम लिया। रस्किन ने कहा- जो अन्तिम आदमी है, वहां तक तुम सोचो, उस तक पहुंचो। आचार्य भिक्षु ने सर्वोदय शब्द का प्रयोग तो नहीं किया किन्तु उनकी सारी स्थापनाएं सर्वोदय के साथ चलती हैं। गरीबों का पक्ष लेने वाले विरल व्यक्तियों में आचार्य भिक्षु का नाम अग्रणी है। रस्किन और गांधी ने केवल मनुष्यों के बारे में सोचा- गरीबों के प्रति अन्याय न हो। आचार्य भिक्षु का चिन्तन केवल मनुष्यों तक ही नहीं, प्राणी मात्र के लिए था- किसी छोटे से जीव के प्रति भी अन्याय न हो, अतिक्रमण न हो। रस्किन और आचार्य भिक्ष- दोनों के सामने सर्वोदय का सिद्धान्त रहा है, भमिका अलग हो सकती है। रस्किन के सामने समाज का प्रश्न था और Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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