Book Title: Bhagavana Mahavira Hindi English Jain Shabdakosha
Author(s): Chandanamati Mata
Publisher: Digambar Jain Trilok Shodh Sansthan
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जून 2000-- जम्यूटीप स्थल पर 11 जून 2000 को 'जैनधर्म की प्राचीनता' विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया गया।
फरवरी 2001 – भगवान ऋषभदेव की दीक्षाभूमि-प्रयाग (इलाहाबाद) में 'तीर्थंकर ऋषभदेव तपस्थली तीर्थ या नवनिर्माण। इस तीर्थ पर भगवान के दीक्षा कल्याणक के प्रतीक स्वरूप धातु के वटवृक्ष के नीचे 'ध्यान में लीन महायोगी ऋषभदेव की सवा पांच फुट उत्तुंग पिच्छी-कमण्डलु सहित खड्गासन प्रतिमा', केवलज्ञान कल्याणक के प्रतीक स्वरूप भगवान की चतुर्मुखी प्रतिमा सहित दिय समयसमा रचना यानि पाल्माणको प्रतीक स्वरूप 50 फुट उत्तुंग 'कैलाशपर्वत' की भव्य रचना पर भगवान ऋषभदेव की 14 फुट उत्तुंग अत्यंत मनोहारी लालवर्णी पद्मासन प्रतिमा तथा तीन चौबीसी के प्रतीक स्वरूप 72 जिन प्रतिमाएं विराजमान हैं। 'ऋषभदेव कीर्तिस्तंभ' भी स्थापित है। 4 से 8 फरवरी 2001 तक 'भगवान ऋषभदेव पंचकल्याणक प्रतिष्ठा एवं 1008 महाकुंभों से कैलाशपर्वत पर प्रतिष्ठित भगवान ऋषभदेव का महाकुंभमस्तकाभिषेक कार्यक्रम।
फरवरी 2003--- भगवान महावीर की जन्मभूमि कुण्डलपुर (नालंदा) में 'नंद्यावर्त महल तीर्थ' का निर्माण भगवान महावीर मंदिर, भगवान ऋषभदेव मंदिर, नयग्रहशांति जिनमंदिर, त्रिकाल चौबीसी मंदिर और नंद्यावर्त महल (भगवान महावीर का जन्म महल) एवं उसमें स्थापित भगवान शांतिनाथ जिनालय इस तीर्थ के मुख्य आकर्षण हैं। महावीर के जन्मभूमि के प्रचारप्रसार हेतु भगवान महावीर ज्योति स्थ वर्तमान में सम्पूर्ण भारतवर्ष में प्रवर्तन कर रहा है।
इस संस्थान के द्वारा समय-समय पर विविध पंचकल्याणक प्रतिष्ठाएं एवं धार्मिक कार्यक्रम सम्पन्न होते रहते हैं। संस्थान के अद्भुत कार्यकलाप की श्रेणी में है - णमोकार महामंत्र बैंक, जहाँ प्रतिवर्ष श्रद्धालु भक्तों द्वारा लाखों की संख्या में णमोकार मंत्र लिखकर जमा कराए जाते हैं, जो कि विश्वशांति की किरणें प्रसारित करने में अतिशय धरोहर स्वरूप हैं।
संस्थान द्वारा प्रदत्त पुरस्कार
गणिनी ज्ञानमती पुरस्कार-सन् 1995 से प्रत्येक पाँचवे वर्ष यह पुरस्कार जैन धर्म पर उचस्तरीय शोध तथा संस्थान की शैक्षणिक गतिविधियों में सहयोग हेतु किसी भी जैन विद्वान को 1,00,000/- रुपये नगद की राशि, प्रशस्ति-पत्र इत्यादि के रूप में प्रदान किया जाता है।
जम्बूदीप पुरस्कार-- सन् 2000 में स्थापित 25,000/- रुपये की नगद राशि सहित प्रतिवर्ष प्रदान किया जाने वाला पुरस्कार।
आर्यिका रत्नमती पुरस्कार-सन् 1999 में स्थापित 11,000/- रुपये की नगद राशि सहित प्रतिवर्ष प्रदान किया जाने वाला पुरस्कार। कुण्डलपुर पुरस्कार --- सन् 2004 में स्थापित 25,000/-रुपये की नगद राशि सहित
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